नई दिल्लीः देश की निःस्वार्थ सेवा करते सरहद पर शहीद हो जाने वाले सैनिकों के परिवार की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं है। छत्तीसगढ़ के नुकनपाल बीजापुर में तीन साल पहले शहीद हुए सैनिक मदनलाल की पत्नी पिछले तीन साल से अपने ट्रांसफर के लिए अधिकारियों के यहां गुहार लगाते थक चुकी हैं। मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
120 किमी दूर जाती हैं पढ़ाने
शहीद मदनलाल की पत्नी संगीता पेशे से प्राथमिक स्कूल की शिक्षक हैं। वे अपने गांव डुलहारा से 120 किमी दूर नहरपुर में पढ़ाने जाती हैं। चार साल की बेटी को घर पर छोड़कर स्कूल जाना पड़ता है। इतनी दूरी का हर रोज सफर करना भारी मुसीबत झेलने जैसा रहताहै।
शहादत के वक्त ट्रांसफर का मिला था आश्वासन
जब 27 नवंबर 2013 को नक्सलियों से मोर्चा लेते मदन शहीद हुए थे तो ढांढस बंधाने आए नेताओं और अफसरों ने पत्नी का घर के नजदीक ट्रांसफर करने का आश्वासन दिया था। मगर कुछ नहीं हुआ।