नई दिल्ली : प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली संसदीय समिति ने 92 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए आम बजट और रेल बजट के मर्जर को मंजूरी दे दी है। यानी अब रेल बजट और आम बजट एक साथ पेश होंगे। ख़बरों के अनुसार मर्जर बजट को एक फ़रवरी को पेश किया जायेगा जबकि पहले यह 28 फ़रवरी को पेश किया जाता था। कहा जा रहा है कि रेल बजट को आम बजट के साथ मर्ज करने से घाटे में चल रहे रेलवे को 10 हजार करोड़ रूपये की बचत होगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 1924 में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान रेल बजट और आम बजट को अलग किया गया था। रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाने से सरकार पर बोझ कम होगा। बता दें कि रेलवे में सबसे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद रेलवे पर 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया था। प्रभु की तमाम कोशिशों के बाद भी रेल को पटरी पर न ला पाने के बाद अब केंद्र सरकार ने अपना आखिर विकल्प चुन लिया है। अब रेल का हिसाब किताब जेटली देखेंगे। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कई कोशिश की कि रेल किसी तरह संभाला जाए इसलिए उन्होंने कोयले के माल भाड़े बढ़ोतरी की। बता दें कि रेल का 50 फीसदी राजस्व कोयले की ढुलाई से आता है।
जबकि यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी पर 33 हजार करोड़ सालाना का बोझ सरकार को अलग से देना पड़ता है। यही नहीं रेलवे अपने 458 प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 4.83 लाख करोड़ का बोझ झेल रहे हैं। बजट में विभिन्न मंत्रालयों के खर्च को योजना और गैर-योजना बजट के तौर पर दिखाये जाने की व्यवस्था को भी समाप्त किये जाने का प्रस्ताव है। सरकार का इरादा समूची बजट प्रक्रिया को एक अप्रैल को नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले पूरी करने का है, ताकि बजट प्रस्तावों को नया वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही अमल में लाया जा सके।