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ऊंची दुकान फीके पकवान

8 अप्रैल 2022

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राधा के व्यापार में समय घटा चल रहा था इसके द्वारा संचालित अनाथ आश्रम के   खर्च को उठा पाना मुश्किल हो रहा थाl
तब उसने कुछ लोगों से अनाथ आश्रम के खर्च के लिए चंदा लेना शुरू किया l   वह अपने अनाथ आश्रम के संचालन के लिए  बाकी सभी लोगों से थोड़ी बहुत मदद मांगा करती थी व् सभी लोग अपनी क्षमता अनुसार इसकी मदद किया भी करते थेl
एक दिन वह अपनी मित्र आरुषी के घर गई ................
क्या करू आरुषी कुछ समझ नहीं आ रहा,  इसमें व्यापार में भीघाटा  लग रहा है और चंदे  से इतनी राशि इकठ्ठी नहीं हो पाती  जिससे  आश्रम सुचारू रूप से चल सकेl
अगर यह आश्रम बंद हो गया देश में रहने वाले बुजुर्ग कहां जाएंगे मेरा दिमाग कुछ भी काम नहीं कर रहाl
तुम भी कुछ उपाय बताओl........
देखो राधा  एक ही उपाय है की,  छोटे लोगों छोटे व्यापारियों से चंदा मांगने पर थोड़ी बहुत ही राशि इकठ्ठी  हो पाएगीl
जब बड़े व्यापारियों से चंदा इकट्ठा करेंगे तभी कुछ बात बन सकती हैl
मेरे नजर में एक ऐसे ही बड़े व्यापारी हैं धर्म-कर्म के काम में हमेशा लगे रहते हैं,  और हमेशा ही मंदिरों और साधु महात्माओं को बड़ी धनराशि दान में दिया करते हैl
यदि तुम कहो तो मैं तुम्हारे साथ चल कर उनसे कुछ मदद मांग सकती हूंl........फिर देर किस बात की चलो चलतें हैं l
सेठ राजा राम का घर.........
अति सुंदर तरीके से सजा बैठका,  उत्तम क्वालिटी के सोफे, फर्श पर काली न,  सेंटर टेबल पर कीमती गुलदान, कीमती पर्दे राजाराम की भव्यता को चार चांद लगा रहे थेl
राधा और आरुषि   बैठक में राजाराम का इंतजार कर रहे थेl
थोड़ी देर में राजाराम का आगमन हुआ.... लंबा चौड़ा आकर्षक व्यक्तित्व, और पहनावे से संपन्नता पूरी तरह से झलक रही थीl
उन्हें देखकर राधा बन ही मन सोचने लगी इसे यदि कुछ मदद मिल जाती तुम मुझे आश्रम बंद न करना पड़ेगाl
कुछ समय के लिए मदद मिल जाएगी तब तक मेरा व्यवसाय भी ठीक हो जाएगाl.........
राजाराम आरुषि और राधा के सामने ही  बड़े शाही अंदाज में बैठ गयाl
श्रीमान मैं राधा आपके ही नगर से हूं, मैं यहां एक विद्याश्रम चलाती हूं, उसके लिए ही मैं आपसे चंदा मांगने आई हूं यदि आप हमारी मदद करें तो आपकी बहुत बड़ी कृपा होगीl
राजाराम ने अपना चेक बुक निकाला और उसमें चंदे की राशि ₹100 लिखकर राधा को पकड़ा दीl
चिक्की राज देखते ही राधा का दिमाग चकरा गया मंदिरों और साधुओं को, लाखों रुपए दान करने वाला आज वृद्ध आश्रम के लिए ₹100 चंदा दे रहा हैl
राधा ने आरुषि  से कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप बाहर निकल आईl  गेट पर आकर राधा ने पलटकर बंगले की ओर देखा जो किसी भव्य हवेली से कम नहीं लग रहा थाl
उसे देखकर राधा के मुंह से सहसा ही निकल गया "ऊंची दुकान फीके पकवान"
कितनी आशाओं के साथ राधा ने इस हवेली में प्रवेश किया था, राजारामजी सब पर पानी फेर दियाl
समाज में एक से एक बड़े  धनाढ्य पड़े हुए हैं, जो धर्म के नाम पर  दिखावे के लिए बहुत बड़ी बात्रा में धनराशि दान कर देते हैंl
वही जरूरतमंदों की मदद करते समय उनकी जेबें  खाली रह करती हैl
आज भी हमारे देश में ऐसे ऐसे अमीर है जो देश के गरीबों को जरूरतमंदों की अगर मदद करें तो, हमारा देश विकासशील से विकसित भारत बन जाए और दुनिया में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर ले.........

जय हिंद


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