करवा चौथ वर्ष में एक बार आने वाला ऐसा त्यौहार है ,जो कि सुहागन स्त्रियों के लिए अत्यंत सुखद और आनंद दायक है ।यह त्यौहार प्रेम प्रदर्शन का त्यौहार है ।की पौराणिक मान्यताओं से परे इस त्यौहार का एक विशेष महत्व यह भी है दांपत्य जीवन की मधुरता बनी रहे। इस त्यौहार में केवल पति पत्नी ही नहीं बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों की भी अहम भूमिका होती है ।अक्सर समाज में सास-बहू के रिश्ते को कडवाहट से भरा हुआ दर्शाया जाता है। कुछ हद तक यह होता भी है। परंतु चौथ व्रत के पूर्व सास के द्वारा बहू को सरगी खिलाकर, व्रत के लिए उपहार प्रदान कर ,अपना प्रेम व्यक्त किया जाता है ।वही बहू भी पूजन के उपरांत सासू मां को उपहार प्रदान करके अपना प्रेम प्रदर्शित करती है। पहले करवा चौथ केवल स्त्रियों हीं किया करती थी ।परंतु समय बदल रहा है पत्नी के साथ पति भी इस व्रत को रखने लगे हैं। आखिर उन्हें भी तो जीवन भर साथ निभाने के लिए पत्नी की लंबी उम्र की आवश्यकता होती है न ।और हां एक बात और कहना चाहूंगी वास्तविकता की पृष्ठभूमि पर इस त्यौहार का किसी की आयु लंबी होने से जरा भी संबंध नहीं है क्योंकि जीवन मरण तो समय के हाथ है।जिसेपरिवर्तित करना हम मानवों के बस की बात नहीं। परंतु एक दूसरे के प्रति प्रेम भावना को बढ़ाने के उद्देश्य पति ,पत्नी दोनों के द्वारा किया गया यह व्रत अति उत्तम है।