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उपन्यास

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अगले दिन सुबह राज अपनी मीटिंग के लिए MEA  निकल गया। वहां जाकर उसने गेस्ट लिस्ट को डिस्कस किया, सारी फॉर्मेलिटीज पूरी की, पेपर्स जमा करा दिए और उनसे वादा किया कि प्रपोजल फाइनल होते ही वह उनको ईमेल

एंकर ने अपने दोनों हाथ फैलाये और जमीन पर घुटनो के बल बैठ गया। राज ने अनुभा की ओर देखा तो वो मुस्करा दी। फिर राज ने मम्मी और पापा की ओर देखा तो वो दोनो भी मुस्करा दिए। अब राज को सब समझ आ गया। वह आफिस क

राज ने दुबारा से अनुभा को फ़ोन लगाया। इस बार एक ही बेल में उसने उठा लिया और बोली, "यार बिजी हूँ, कहा ना! फुरसत मिलने पर कॉल करूँगी।" "ये लड़कियों का भी ना, कुछ समझ नहीं आता। ये हरकत मैंने की होती तो म

रात को काफी देर तक उसे नींद नहीं आई। सोचता रहा क्या करे! अगर वह और अनुभा चाहें  तो कल ही शादी कर ले, इतने गणमान्य लोग और जानने वाले आएंगे कि रिश्तेददार और घरवाले आये या नहीं, कोई नहीं पूछेगा।&nb

"नहीं कुछ नहीं! ..... बेटा! इस बार तो तुम बहुत बिजी रहीं, नाम के लिए घर आई हो। सारी जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर पड़ गई, चैन से दो घड़ी बात भी नहीं कर पाई तुमसे। " अनुभा की मम्मी ने चाय पकड़ाते हुए कहा।"मम्मी

जय पुलिस स्टेशन में ही था अभी तक , अचानक जय का फोन वाइब्रेट हुआ ,,, स्क्रीन पर मधुरा फ्लैश हो रहा था

तरुण और जय अपने अपने घर की तरफ निकल लिए इस बात से अनजान कि दो आंखे उन्हे देख रही थी , उन पर नजर रखे

धनंजय जी ने धीरे से जय को खुद से अलग किया और उसके आंसू पोंछते हुए कहा , 

जा जाकर आराम कर अब

अनुभा और राज साउथ दिल्ली एसडीएम कार्यालय पहुचें। काउंटर पर पता चला कि आज तो फॉर्म जमा करने का समय समाप्त हो गया है। ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं,  पर एड्रेस प्रूफ और बर्थ सर्टिफिकेट वगैरह डाक्यूमेंट

राज अगले दिन सुबह 7 बजे ही हॉस्पिटल पहुंच गये। अच्छी खबर थी कि प्लेटलेट्स 2,50,000 पार कर गए थे। एचबी 11 था । डॉक्टर ने कहा कि "अब खतरे की कोई बात नहीं है। पेशेंट्स बहुत ज्यादा आ रहें हैं इसलिये आज

सुबह 9 बजे से ही एम्स के वेटिंग एरिया मे इतनी भीड़ हो गई कि गार्ड को आकर पूछना पड़ा कि उन सब के मरीज़ किस-किस डिपार्ट्मन्ट में हैं। गार्ड को समझा दिया गया कि वे सब ब्लड डोनेट करने आये हैं।  "तो ब्लड

अनुभा को जब होश आया तो उसने देखा कि वह एक बेड पर लेटी है। उसके बेड के साइड में लगे स्टैन्ड पर Glucose Intravenous Infusion की बोतल से ग्लूकोस की एक-एक बूंद धीरे-धीरे केनुला से होती हुई उसके हाथ की नस

अनुभा ने बेल बजाई तो हाथों और बालों में बेसन लगाए छोटी ने दरवाजा खोला। अनुभा को देखते ही वो अनुभा से लिपट कर रोने लगी। अनुभा ने उसको शांत किया और दोनों बहनें अंदर आईं। छोटी अनुभा के लिए पानी और कुछ

इनकम टैक्स कमिश्नर साहब की पार्टी का मतलब है निहायत ही आफिस का माहौल। फर्क सिर्फ इतना है कि आफिस की बातों के अलावा वहाँ खाना होता है, और पीना भी। लेकिन जूनियर ऑफीसर्स को खाने-पीने के बजाय इस बात

अनुज ने बुके अनुभा को दिया और कल के लिए दिल से सॉरी बोला।  फिर दूसरा हाथ, जो  अभी तक पीछे किया हुआ था, आगे किया।  एक रेड कलर के गिफ्ट रैपिंग पेपर में लिपटा हुआ गिफ्ट बड़ी अदा से उसने अनु

मेंहदी की रस्म पूरी हो गई ,, । इधर मिहिर की नज़रें हर वक्त पिया पर थी , लेकिन पिया ने उस पर ध्यान नह

काफी देर तक सन्नाटा छाया रहा। फिर मिस्टर सिंह ने चुप्पी तोड़ी- "कल आपके डिपार्टमेंट हैड के यहां पार्टी है, आपको भी इनविटेशन आया होगा, मुझे आया है। जाएंगी क्या? जाना ही पड़ेगा, क्योंकि यह डिपार्टम

दिल दियां गल्लां....... करांगे नाल नाल बह के आँख नाले आँख नू मिला के  दिल दियां गल्लां हाय करांगे रोज़ रोज़ बह के सच्चियाँ मोहब्बतां निभा के..….. अनुज भी गाने के बोल धीमे-धीमे गुनगुना रहा है।

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