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उपन्यास

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कुछ देर में तरुण और मिहिर भी सबके साथ खाना खाकर घर अपने घर चले गए ।

तृ

चारों शिमला से फिर वापस भोपाल लौट आए , मधुरा ने तरुण को पूरी तरह से इग्नोर करना शुरू कर दिया। वही तर

अभी कोई बलहरशाह स्टेशन निकला है कुछ यात्री चढ़े और उतरे।। जब सभी सेटल हो गए तो मम्मी ने चाय वाले को रोका और दो कप चाय ली। अपने पिटारे से बिस्किट निकाल ही रहीं थी कि दीपचंद जी और अभय जी धमक गए।  "आ

मधुरा तरुण ने सीने से लग गई और तुरंत ही वहां स्नोफॉल होने लगा , मधुरा उस बर्फबारी को देख कर बेहद खुश

मिहिर तरुण के साथ रहने लगा इस तरह मिहिर तरुण और जय की दोस्ती और गहराती चली गई ।


ट्रैन भागती जा रही है, सभी स्टेशनों पर नहीं   रुकती। पर जहां रुकती है, वहां से  कुछ मुसाफिर चढ़ते हैं और कुछ उतर जातें है। ट्रैन में मेरे साथ मेरे 4 चार  कलीग भी हैं जो एग्जाम देने

जय ने तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट किया और भागते हुए सीधा अपने रूम में पहुंच गया उसने तरुण की मदद से मिहिर क

पिया की छुअन मिहिर को जानी पहचानी लगी उसके दिल से फिर वही आवाज आई "रैना"


पिया के

तृषा ने गेट के पास जाकर गेट खोला और पलट कर जय की तरफ देखा तो जय ने ना में अपना सर हिला दिया उसक

मिहिर और तरुण एक साथ अपने अपने घर चले गए टाइम से जय के यहां भी पहुंचना था उन्हे ।

तरुण जय के घर

आर्यन - तृषा ने ये बात शिव्या को बताई शिव्या ने मुझसे बात की और मैने पापा से बात करके ये रिश्ता

किसी की भी जिंदगी का सबसे हसीन इवैंट ‘विवाह‘ एक संस्कार है जो दो दिलों के साथ ही दो परिवारों और कितने ही अन्य लोगों को रिश्तों की कड़ी में पिरोता है।  प्यार, उल्लास और मौज-मस्ती के इस माहौल क

तृषा तुरंत जय को धक्का देकर अपने रूम में भाग गई और जय मुस्कुराता रह गया।



अब तक आपने पढ़ा कि मृत्युंजय को धरा और अजीत के प्यार के बारे में सब पता चल जाता है और वो बहुत उलझन म

अब तक आपने पढ़ा कि जय धरा से मिलने दूसरे शहर गया है जहां वो अपने कॉलेज फ्रेंड अजीत से भी मिला <

भाग-5. इसको समझाओ कुछ!
इधर कानपुर में शाम के नौ बज चुके थे। शिवाक

जब कुछ न समझ आए तो जो हो रहा है उसे होने दो।  नियति के कार्यों में संदेह कर, अपने आप को साबित करने के चक्कर में कभी कभी हम नियति से उलझ पड़ते है।  मैने भी डिसाइड कर लिया है कि जो हो रहा है ठ

पिया - धोखे से हां मैं बहुत अच्छे से जानती हूं तुम जैसे लड़कों को,,। आइंदा कभी मेरे सामने मत आना वरन

अजीत ने धरा को धीरे से खुद से दूर करते हुए कहा।

धरा हमे चलना चाहिए ,,, रात भी हो चुकी है और बारि

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