अनुभा सुबह उठी तो एक अनजानी खुशी उसके चेहरे पर झलक रही थी। अनुज से मिलने से पहले उसे लगता था कि वह अपनी किंग साइज जिंदगी अपने तरीके से जी रही है, और क्या चाहिए? पर इंसान की फितरत ऐसी है कि उसे आसान जि
आफिस से घर आकर अनुभा ने पापा और मम्मी से बात की। अब पापा की तबियत ठीक थी। मम्मी बार-बार अनुज से मिलकर सब कुछ फाइनल करने के लिए जोर डाल रहीं थीं क्योंकि अनुज केवल दो दिनों के लिए ही कोलकता में है।&nbs
अनुभा ने डोर नॉक करने के बाद, हैंडल घुमाकर दरवाजा खोला तो देखा जॉइंट सेक्रेटरी फाइलों में सर घुसाए कुछ लिखने में व्यस्त हैं, शायद उन्होंने डोर की आवाज नहीं सुनी या व्यस्तता दिखाना चाहते हैं या सचमुच
अनुभा ऑफिस पहुंच कर कुछ फाइल्स देखने लगी तो कोलकता ऑफिस बिल्डिंग की फ़ाइल उसके हाथ मे आ गई। यहां पर उनका आफिस CPWD की रेंटेड बिल्डिंग में चल रहा है। डिपार्टमेंट ने बिल्डिंग के लिए एक लैंड फाइनल किया ह
२. प्रेरणा
"मम्मी आप!" "क्या करूँ! फोन पर तू ढंग से बात करती नहीं। तेरे पास टाइम ही नही होता मेरे लिए, ना अपने लिए। अगर मैं कहती कि मैं आ रही हूँ तो तू कुछ बहाना बनाकर मुझे मना कर देती। इसलिए मैंने तेरे प
स्टेज पर उद्घोषिका माइक पर अनुभा चौहान के नॉवल "राम वही जो सिया मन भाये' की कुछ पंक्तियां पढ़ रही है। "छूट तो बहुत कुछ जाएगा मां, दुपहर को लंच जरूर खाने की वो हिदायत, शाम को आफिस का हाल तफसील से
मिहिर ने वापस उसकी गोद में अपना सर रख लिया पिया उसके बालो में हाथ फेरने लगी और कुछ देर में मिहिर को
मिहिर उसकी बात सुने बिना पूरी तरह उसे इग्नोर करके वहां से चला गया और सीधा राठौर मेंशन से बाहर निकल ग
तीसरे दिन राज के पिताजी राज के साथ हमारे घर आए। ड्राइंग रूम में केवल मम्मी पापाजी थे। हम सब के कान उधर ही लगे थे। "एक्चुअली में आप लोगों ने शादी क्यों तोड़ी? कुछ कहना भी था तो सीधे हमसे बात
15 दिनों बाद शादी है। कार्ड छप चुके है। मैंने आफिस से एक महीने की छुट्टी ले ली है। मेरा और राज का मिलना अब बहुत कम हो गया है। क्योंकि बहुत से काम करने हैं और समय बहुत कम है। राज से और उसके
ड्राइवर ने गाड़ी स्टेशन पर रोकी। जैसे ही में उतरी, पीछे से आवाज आई-" गुड मॉर्निंग समिता""गुड मॉर्निंग सर आप यहां कैसे?""आप कल के प्रोग्राम में तो आई नहीं! आपका मोमेन्टो देना था, मैंने सोचा
आप महाबलीपुरम गए और भारत का पहला लाइटहाउस नहीं देखा तो क्या देखा? ममल्लापुरम या महाबलीपुरम में बंगाल की खाड़ी के साथ कोरोमंडल तट पर स्थित, पहले ये एक मंदिर था, लेकिन बाद में इसकी छत पर आग जलाकर नाविक
कामिनी
ये एक काल्पनिक कहानी हैं किसी भी घटना से मिलना मात्
अजीत और तरुण ने मिहिर को सीने से लगा लिया।
रात का साढ़े नौ बजा था अजीत , तरुण और मिहिर तीनों ने डाइनिंग पर बैठे खाना खा चुके थे ।
सुबह रूम एक्सटेंसन पर कॉल से मेरी आँख खुली। देखा तो सुबह के 7 बजे थे। मम्मी शायद बाथरूम में थीं। रिसेप्शन से कॉल था "मैडम कोई आपसे मिलने आया है।" जरूर कुरियर वाला होगा, इतनी सुबह -सुबह, मैं भुन
तरुण मिहिर से अलग हुआ बिस्तर पर लेट गया मिहिर ने अपनी आंखों के कोरों को साफ किया और फिर वो भी लेट गय
आज मेरा पेपर था। एग्जाम हॉल से बाहर आने पर मुझे ऐसा लगा जैसे कितने महीनों का बोझ उतर गया हो। आफिस में ग्राउंड फ्लोर पर डोरमिटरी है जिसमे कोलकता से आईं मेरी चार कॉलीग्स ठहरी हुई हैं। उनमें से सवि