नई दिल्ली: पिछले दिनों उड़ी आतंकी हमले में देश के 18 जवान शहीद हो गए। ये हर कोई जानता है कि ये हमला पाकिस्तानी आंतकवादियों ने किया लेकिन हर बार की तरह पाकिस्तान ने इस बार भी इससे अपना पल्ला झाड़ लिया और कहा भारत बिना किसी सबूत के हम पर इल्जाम लगा रहा है। लेकिन अब सेना के हाथ कुछ ऐसे सबूत लगे हैं जिससे पाकिस्तान पर शक पुख्ता होता जा रहा है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक गृह मंत्रालय के सूत्रों ने जानकारी मिली है कि आर्मी बेस पर हमला करने वाले आतंकियों ने एक-दूसरे से संपर्क करने के लिए जापानी वायरलेस का इस्तेमाल किया था। सेना को दो जापानी वायरलेस सेट मिले हैं, जिनमें उर्दू में 'बिल्कुल नया' लिखा है, इससे साफ होता है कि हमलावरों के संबंध पाकिस्तान से थे। बता दें कि ये वायरलेस सेट किसी देश की सुरक्षा एजेंसी को बेचे जाते हैं।
जापान ने बेचे थे वायरलेस सेट
अब सुरक्षा एजेंसीयां इस बात की तफ्तीश में जुटी हैं कि जापानी वायरलेस सेट को पाकिस्तान में बेचा गया है या नहीं! बता दें सेना ने मौके से बरामद कुल 48 चीजों के साथ दो वायरलेस सेट भी एनआईए को सौंपे हैं। इसके साथ दो मैप भी एनआईए को दिए गए हैं, जिसमें से एक मैप जला हुआ है। नैशनल टैक्निकल रिसर्च लैब इसकी जांच कर रही है। वहीं, एक इंडियन फर्म 'आई कॉल' का मोबाइल भी मिला है।
लोकेशन ट्रेस होने से बचने के लिए किया गया था वायरलेस सेट का इस्तेमाल
उडी हमले में हमला करने वाले आतंकी बेहतर तरीके से प्रशिक्षित थे। उन्हें डिजिटल कोड्स का इस्तेमाल करना बखूबी आता था अपनी लोकेशन को ट्रेस न किया जा सके। इसके लिए वो वायरलेस सेट का इस्तेमाल कर रहे थे। आंतकी इतने शातिर थे कि उन्होंने जीपीएस से अपनी आखिरी लोकेशन भी डिलीट कर दी है।
पठानकोट में भी किया गया था वायरलेस सेट का इस्तेमाल
उड़ी में हमला करने वाले आंतकियों के जैसी ही तकनीक का इस्तेमाल पठानकोट हमले में भी किया गया था। खुफिया सूत्रों की माने तो उरी पर हमला करने वाले आतंकियों का रूट मैप ट्रैक करना आसान नहीं होगा।