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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में पूर्ण निष्ठा और लगन के साथ पार्टी हित में कार्य करने वाले तथा प्रदेश के मुख्य मंत्री की दौड़ में अव्वल माने जाने वाले गृह मंत्री राजनाथ सिंह का परिवार प्रदेश की राजनीति से अलग क्यों कर दिया गया।जबकि लखनऊ की सातो सीटे जिताने का श्रेय राजनाथ सिंह का ही हैi
18 मार्च को योगी आदित्य नाथ को मुख्य मंत्री घोषित किये जाने के बाद यह माना जा रहा था कि वह इस पद के लिए प्रदेश के हिंदूवादी लोकप्रिय नेता थे।19 मार्च को राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह को मंत्री पद नहीं दिया गया।पंकज सिंह को भाजपा जमाने से पार्टी का सक्रीय कार्यकर्ता मानती थी। पंकज सिंह को मंत्रि परिषद में शामिल न कर यह साबित किया है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति से राजनाथ परिवार को अनाथ करने का प्रयास किया जाने लगा है।
चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम समुदाय के किसी को भी टिकट न दिये जाने के बयान से कदाचित भाजपा और आर एस एस के पदाधिकारी नाराज़ हुये थे। राजनाथ सिंह किसी की नाराजगी की परवाह किये बिना जोर शोर से चुनाव् प्रचार में लगे रहे। टिकट बंटवारे में भी जातीय गणित बिठाने में उनकी बात नहीं बनी होगी।
राजनाथ सिंह भाजपा का ठाकुर फेस थे। योगी मठ के कट्टर हिंदूवादी नेता जरूर थे और उन्हें महंत समझ जाता था,पर वास्तव में वे भी ठाकुर ही थे।अतः ठाकुर के प्रतिस्थानी के रूप में भी योगी का चयन पार्टी द्वारा उचित माना गया होगा।
दिनेश शर्मा और राजनाथ के बीच शीत युद्ध की भी खबरें आ रही है जिसके चलते मुख्य मंत्री की दौड़ से राजनाथ को अलग किया गया हो।दशहरे के अवसर पर उन्हें न बुलाना भी कारण हो सकता है।
पंकज सिंह को मंत्रिपरिषद में स्थान न मिलने से भाजपा के पुराने नेताओ में ,प्रदेश की राजनीति में लिया गया ऐसा निर्णय एक प्रश्न चिन्ह बनकर खड़ा है।अटल बिहारी बाजपेयी के बाद लखनऊ के लोकप्रिय सांसद में राजनाथ को माना जाता है और उन्हें मुख्य मंत्री का पद न मिलने से लखनऊ वासियो खासकर अल्पसंख्यकों में असंतोष है ।
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