लखनऊ : भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण के प्रबंध निदेशक और परियोजना निदेशकों की सांठगांठ के चलते पडोसी राज्य उत्तराखंड में चल रहे 800 करोड़ के निर्माण कार्यो में बरती जा रही अनियमितताओं के चलते यूपी की कार्यदायी संस्था निर्माण निगम को कार्य देने पर त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है. यह निर्णय सरकार की शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. बताया जाता है कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून शहर की नेहरू नगर कालोनी में बने निर्माण निगम के कार्यालय में पिछले कुछ सालों से तैनात अभियंताओं की अय्याशी चरम पर है. यहां तक कि राज्य में चल रहे कार्यों में जमकर धांधली बरती जा रही है. इतना ही नहीं उत्तराखंड राज्य बनने से पहले जिन अभियंताओं की तैनाती उत्तराखंड में की गयी थी वो वहीँ बस गए हैं.
यूपी आरएनएन के GM की 600 करोड़ कि प्रापर्टी का खुलासा
सूत्रों के मुताबिक हाल ही में उत्तराखंड के छह परिसरों में मारे गए आयकर विभाग के छापे के बाद उत्तराखंड मनें तैनात निर्माण निगम के महाप्रबंधक राम आसरे की 600 करोड़ रुपये की प्रापर्टी का खुलासा आयकर विभाग ने किया है. सवाल इस बात का है कि इतनी रकम उनके पास कैसे आ गयी. इस बड़े खुलासे के बाद उत्तराखंड राज्य में बनी बीजेपी के त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने इस घोटाले को गंभीरता से लिया, जिसके चलते शुक्रवार को हुई कैबिनेट में यूपी की कार्यदायी संस्था निर्माण निगम को प्रतिबंधित करते हुए आगे से कार्य न देने फैसला लिया गया है. बताया जाता है कि रावत सरकार ने ये फैसला राज्य से भ्रष्टाचार मिटाने के चलते लिया है.
उत्तराखंड में निगम के पास 800 करोड़ के कार्य
सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड में निर्माण निगम के पास इस समय तकरीबन 800 करोड़ रुपये के कार्य है. बताया जाता है कि राज्य के कुछ मंत्रियों और विधायकों से सांठगांठ कर निर्माण निगम के परियोजना निदेशक यहां चल रहे कार्यों में जमकर धांधली कर करोड़ों रुपये की बन्दरबांट कर रहे हैं. यही नहीं पिछले कुछ सालों में यहां तैनात किये गए अभियंताओं ने यहां कार्य करने के नाम पर सरकार को जमकर चूना लगाया है. बताया जाता है की पूर्व में कराये गए कार्यों में भी निर्माण निगम ने यहां जमकर धांधली बरती है, जिसको लेकर कई बार स्थानीय नागरिक निर्माण निगम को कार्य देने का विरोध समय-समय पर राज्य सरकार से करते रहे हैं.
लूट का अड्डा बना महाप्रबंधक का कार्यालय
लेकिन सत्ता के गलियारे में लंबी पहुँच रखने वाले निर्माण निगम के भ्रष्ट अधिकारी अपनी जेबें इतनी अधिक गर्म कर चुके हैं कि वो पैसे कि लालच देकर किसी भी कार्य को मैनेज करने में हरफनमौला हैं. बताया जाता है कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी निर्माण निगम को कार्य न देने का विरोध स्थानीय जनता ने कई बार किया था, लेकिन सरकार के कुछ खास विधायकों कि निगम के अभियंताओं से सांठगांठ के चलते उसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सका था, लेकिन राज्य में जैसे ही बीजेपी की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्य करना शुरू किया. इस बीच निर्माण निगम के जीएम राम आसरे के घर पर छापा मारकर आयकर विभाग ने उनके पास से 600 करोड़ रुपये की प्रापर्टी अर्जित करने का खुलासा कर सरकार के भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की नीति को और बल दे दिया. इसी के चलते सरकार ने शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में ये बड़ा फैसला ले लिया.
यूपी के सीएम योगी क्या कार्यवाही करेंगे ?
फिलहाल उत्तराखंड की सरकार के इस फैसले का मतलब यूपी की योगी सरकार के खिलाफ उठाया गया बड़ा कदम बताया जा रहा है. अब देखना यह है की यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इस बड़े फैसले के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं. फिलहाल 'इंडिया संवाद' ने जब इस संबंध में निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक आरके गोयल से बात की तो उन्होंने ज्यादा कुछ न कहते हुए कहा की ऐसा पहले भी करीब चार बार हो चुका है. दरअसल वहां की सरकार नहीं चाहती है कि वह यूपी की कार्यदायी संस्था निर्माण निगम को किसी कार्य का ठेका दें. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि वह अपनी राज्य सरकार कि ऐसी ही एक संस्था का गठन कर अकसर उससे कार्य कराने का मन बना चुके हैं, जिसके चलते ये बड़ा फैसला उत्तराखंड कि राज्य सरकार ने लिया है.