देहरादून: उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक शहर टिहरी से अब पर्यटकों को रूबरू कराया जाएगा। दरअसल, झील के नीचे स्थित इस शहर के इतिहास और मौजूदा स्थिति से लोगों को रूबरू कराने का रोमांचक सफर शुरू करने की योजना राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की है। विधानसभा सत्र के पहले दिन पर्यटन व सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने उन्हें मिले विभागों की भावी योजनाओं को लेकर विस्तार से बात की। राज्य में पर्यटन विकास को लेकर उन्होंने कई योजनाओं के बारे में जानकारी दी। इसमें सबसे अहम पुरानी टिहरी शहर से पर्यटकों और आने वाली पीढ़ी को रूबरू कराने की योजना है। उन्होंने कहा कि 1815 में बसा टिहरी शहर 2005 में टिहरी डैम के लिए बनी झील के नीचे डूब गया था। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि इस शहर के इतिहास और बलिदान से पर्यटकों को रूबरू कराया जाएगा। टाइटेनिक को दिखाने की तर्ज पर पनडुब्बी के जरिये पर्यटकों को पुराने टिहरी शहर का भ्रमण झील के नीचे कराया जाएगा।
दरअसल, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज इस कार्य के लिए दिन रात एक कर इसको किसी भी हालत में पूरा करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही राज्य में मौजूद तमाम प्रसिद्ध जलाशयों में फ्लोटिंग होटल और रेस्टोरेंट शुरू करने की योजना है। उनका कहना है कि इसके साथ राज्य को पर्यटन के क्षेत्र में मजबूत पहचान दिलाने के लिए महाभारत सर्किट, तीलू रौतेली सर्किट विकसित किए जाएंगे, चोपता में बुरांश से लकदक पेड़ों के बीच पर्यटकों को ले जाया जाएगा। राज्य में आयुर्वेदिक चिकित्सा पर्यटन, योग पर्यटन और धार्मिक पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जाएगा ताकि देश और दुनिया के लोग यहां आएं। इससे राज्य आर्थिक रूप से मजबूत होगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
देवभूमि में तैयार हो रहा रहस्यमयी पर्यटन
उत्तराखण्ड में आज भी कई ऐसी पौराणिक घटनाएं होती हैं, जिनका रहस्य समझना नामुमक़िन है। जोशीमठ के नरसिंह मंदिर के कपाट खुलने से पहले त्रिमुंडा देवता का आना भी ऐसा ही है। त्रिमुंडा के रूप में एक सामान्य व्यक्ति कई किलो अन्न, गुड और भारी मात्रा में पानी पीता है। इस रहस्य को भी कोई नहीं समझ पाया है। पर्यटन व सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि टिहरी के पर्यटन को टाइटेनिक की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। साथ ही उत्तराखण्ड के रहस्यमयी पर्यटन से दुनिया रूबरी हो सकेगी। अपनी पहली ही यात्रा पर निकलने के चार दिन बाद डूब गए दुनिया के सबसे विलासितापूर्ण टाइटेनिक को अब लोग नजदीक से देख सकेंगे। लंदन की एक कंपनी ने इस परियोजना को शुरू किया है। ठीक इसी तर्ज पर अब उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक शहर टिहरी को भी पर्यटक देख सकेंगे।