मेरी महफिल में तूने जो शिरकत की, इसलिए मैं तेरा शुक्र गुजार रहूंगा।मैं धन्य हुआ तेरे कदमों के आगाज से,महफिल जो आबाद हुई,तेरी सुरीली आवाज से।मैं वीरान खंडहर में पनपा अकेला एक पेड़,दिन भर सुनसान मैं खड़ाजिंदगी के रंगों को तलाशता रहता हूं,आज तूने यहां आकरहे कोयल तू ने यहां अपनीकूक से इस वीरान जिंदगी म