मेरी महफिल में तूने जो शिरकत की, इसलिए मैं तेरा शुक्र गुजार रहूंगा।मैं धन्य हुआ तेरे कदमों के आगाज से,महफिल जो आबाद हुई,तेरी सुरीली आवाज से।मैं वीरान खंडहर में पनपा अकेला एक पेड़,दिन भर सुनसान मैं खड़ाजिंदगी के रंगों को तलाशता रहता हूं,आज तूने यहां आकरहे कोयल तू ने यहां अपनीकूक से इस वीरान जिंदगी म
घर में परिवार हुए एकल, मानव बड़े बूढों की छांव बिना, परछाई से नाता जोड़े हैं। अब बड़े बुजुर्ग पलक पसारे, अखियां रस्ता देखे हैं। अब आंगन में नीम, शीशम की छांव नहीं, आंगन भी अब सीमेंट से छाए हैं। बरामदे का दे नाम, दो गमले नीचे रख, कुछ छोटे गमले लटकाये है। बड़ा बूढ़ा दाढ़ी वाला बरगद पूजे का मिले नहीं