देहरादून: देवभूमि उत्तराखण्ड की त्रिवेंद्र सरकार में 7 कैबिनेट और 2 राज्यमंत्री भले ही मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. लेकिन एक मंत्रालय को लेकर हर किसी को ख़ौफ़ सता रहा है. जहां एक तरफ कईं मंत्री बड़े पोर्टफोलियो की उम्मीद कर रहे हैं तो दूसरी तरफ शिक्षा मंत्रालय से कैबिनेट के कईं मंत्री तौबा कर रहे हैं. दरअसल कहा जा रहा है कि शिक्षा मंत्रालय को लेकर एक मिथक है कि जिसके पास भी यह विभाग रहा, वही चुनाव हारा. हरीश रावत सरकार में शिक्षा मंत्री रहे मंत्री प्रसाद नैथानी भी देवप्रयाग सीट से चुनाव हार गए.
सरकार से सामने अब यह मुश्क़िल भी है कि सबसे ज्यादा बजट पाने वाले शिक्षा विभाग की बागड़ोर संभालने को कोई भी मंत्री तैयार नहीं है. सूत्रों की मानें तो कई मंत्री शिक्षा विभाग लेने से साफ इंकार कर चुके हैं. इसके पीछे की वजह उस मिथक को माना जा रहा है जिसमें कोई भी मंत्री शिक्षा मंत्री रहते हुए आज तक उत्तराखण्ड के विधानसभा चुनाव में नहीं जीत हासिल नहीं कर पाया है. इसको देखते हुए सभी मंत्री शिक्षा विभाग मिलेन से तौबा कर रहे हैं.
शिक्षा मंत्रियों की फ़ेहरिस्त पर एक नज़र
एक नज़र ज़रा अब तक उन शिक्षा मंत्रियों पर डालते है जो शिक्षामंत्री रहते तो चुनाव लड़े लेकिन चुनावी नतीजों के बाद वह विधायक भी नहीं बन पाए. सबसे पहले उत्तराखण्ड में जब भाजपा की अंतरिम सरकार बनी थी तो उस सरकार में शिक्षा मंत्रालय तीरथ सिंह रावत के पास था, जो 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में शिक्षा मंत्री रहते चुनाव हार गए और उसके बाद यह एक मिथक बनकर सभी शिक्षा मंत्रियों का पीछा कर रहा है.
2007 के विधान सभा चुनाव में शिक्षा मंत्रालय एनडी तिवारी सरकार में नरेंद्र भण्डारी के पास था जो शिक्षा मंत्री रहते हुए 2007 के विधान सभा चुनाव में चुनाव हार गए. 2012 में हुए विधान सभा चुनाव से ठीक कुछ महिने पहले शिक्षा मंत्रालय बीजेपी के सिम्बल पर लगातार चुनाव जीतते आ रहे मातबर सिंह कण्डारी के पास गया और 2012 में माना जा रहा था कि इस बार इस मिथक को तोड़ने में मातबर सिंह कण्डारी कामयाब होंगे, लेकिन मिथक कामयब रहा और मातबर सिंह कण्डारी में चुनाव हार गए. कंडारी लगातार विधायक बनते हुए आ रहे थे. 2017 के विधान सभा चुनाव में पूरे 5 साल तक शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले शिक्षा मंऋी मंत्री प्रसाद नैथानी शिक्षा मंत्री रहते हए चुनाव लड़े, लेकिन नाम के मंत्री मंत्री प्रसाद भी इस मिथक को नहीं तोड़ पाए और विधानसभा चुनाव हार गए.
दरअसल, यह मिथक त्रिवेंद्र रावत की सरकार में मंत्री पद की शपथ ले चुके मंत्रियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर शिक्षा मंत्रालय की ज़िम्मेदारी किसकों दी जाते है. फिलहाल पूरे उत्तराखण्ड में सबकी नज़रें इस बात पर लगी हुई हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शिक्षा विभाग किसे देते हैं.