नई दिल्ली : 30 सितंबर को ख़त्म हुई केंद्र सरकार की इनकम डिक्लेरेशन स्कीम (आईडीएस) पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सवाल उठाये हैं। उन्होंने ट्वीट किया ''65000 करोड़ रूपये की आईडीएस में 13860 करोड़ रूपये का सुराख़ है, और कितने सुराख होंगे'। गुजरात के एक व्यक्ति महेश शाह ने पहले इस स्कीम के तहत 13860 करोड़ का कालाधन घोषित किया और फिर मुकर गया। ऐसे ही एक दूसरे डिक्लेरेशन में मुम्बई के एक परिवार ने पहले अपने पास दो लाख करोड़ के रकम का खुलासा किया था लेकिन वह भी बाद में पलट गए। अब इनकम टैक्स विभाग इनकी जांच कर रहा है।
बता दें कि आईडीएस स्कीम के तहत जिन लोगों ने कालाधन की घोषणा की थी, उन्हें 30 सितंबर तक 45 प्रतिशत टैक्स देना था और आय पर दिए जाने वाले टैक्स की पहली किस्त 30 नवंबर तक चुकानी थी। लेकिन इन लोगों ने 30 सितंबर तक जब टैक्स जमा नही किया। 29, 30 नवंबर और एक दिसंबर को 13,860 करोड़ रुपए की घोषणा करने वाले प्रॉपर्टी डीलर महेश शाह के घर और दफ्तर पर इनकम टैक्स विभाग ने छापेमारी की।
ख़बरों के मुताबिक़ जहाँ से कई दस्तावेज भी जब्त किये थे। इसके बाद महेश शाह गायब हो गया था। इनकम टैक्स विभाग ने महेश शाह को पकड़ने में कोई दिलचस्पी नही दिखाई। यहाँ तक कि पकड़ा भी इसलिए गया क्योंकि वह एक टीवी चैनल पर आ गया था। अब सवाल यह उठता है कि क्या इनकम टैक्स विभाग को इन बातों के जवाब मिल गए हैं कि महेश शाह के पास यह पैसा किसका था और इनपर वह टैक्स क्यों नही चुका पाया।
शाह का कहना है कि यह पैसा उसका नही था, ये कुछ नेताओं का पैसा है। जिसकी घोषणा के लिए उसका इस्तेमाल किया गया था औरजल्द की इसका खुलासा करेगा। महेश शाह की पारिवारिक स्थिति को देखकर भी यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि यह रकम उसी की है। शक इसलिए भी गहरा रहा है क्योंकि आईडीएस स्कीम बंद होने के ठीक आधे घंटे पहले, तीस सितंबर की रात साढ़े ग्यारह बजे महेश शाह ने इस धन की घोषणा की थी।
67 साल के महेश शाह जोधपुर इलाके में बने मंगलज्योत अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 206 में पिछले दस वर्ष से रह रहा है। महेश शाह के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा है, जिसका नाम है मोनितेश। पत्नी कैंसर पीड़ित है। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या गुजरात के कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा इस व्यक्ति का इस्तेमाल करके अपनी रकम को ठिकाने लगाया जा रहा था। ऐसा भी हो सकता कि महेश शाह के जरिये पहले कालधन घोषित करवाया हुआ और जैसे ही टैक्स देने का वक़्त आया महेश के पास पैसे नही दिए गए।