सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है डॉ शोभा भारद्वाज लाहौर सेंट्रल जेल ,23 मार्च 1931 को भोर ,इंकलाब ज़िंदा बाद के नारों से जेल की दीवारे थर्रा उठी थी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपने हाथ जोड़े और अपना प्रिय आज़ादी गीत गाने लगे-कभी वो दिन भी आएगाकि जब आज़ाद हम होंगेंये अपनी ही ज़मीं होगीये अपन