नई दिल्ली : जनधन योजना को मोदी सरकार अपनी सबसे सफल योजना मानती रही है लेकिन इस योजना से कई परेशानियां भी बैंकों के सामने खड़ी हुई हैं। राज्यसभा में वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया अब तक जनधन खातों के संचालन पर 774.86 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है।
संतोष गंगवार ने जानकारी दी कि 9 जनवरी 2016 तक प्रधानमंत्री जनधन योजना में जीरो बैलेंस वाले खातों की संख्या 5.93 करोड़ थी। जबकि यह 28 दिसंबर, 2016 तक 6.32 करोड़ थी। पीएमजेडीवाई में जमा राशि 9 नवंबर 2016 तक 45,636 करोड़ रुपये और 28 दिसंबर, 2016 तक 71,036 करोड़ रुपये थी।
नोटबंदी के बाद जनधन खातों से निकले 7201 करोड़
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट की माने तो नोटबंदी की अवधि के बाद जनधन खातों में जमा राशि की निकासी बहुत तेजी से हुई है। रिपोर्ट के अनुसार 15 मार्च तक इन खातों से 7201 करोड़ रुपये निकाले गए। नोटबंदी लागू होने के दौरान नवम्बर 2016 तक इन खातों में 74,322 करोड़ थे, दिसंबर तक यह आंकड़ा 71,037 करोड़ रूपये हो गया।
वहीँ 15 मार्च तक इन खातों में 63,836 रुपये रह गए हैं। गौरतलब है कि नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा होने के बाद पहले 23 दिनों में ही इन खातों में जमा राशि में 45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने बैंक खाते में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर जुर्माना वसूलने का फैसला किया है। एसबीआई चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा था कि उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें जीरो बैलेंस वाले जनधन खतों को मेंटेन भी करना है।