23 मार्च 2022
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मैं प्रेम बजाज एक रचनाकार, लेखन की दुनिया में आसमान की बुलंदियों से भी ऊंचा उठना मेरा सपना।D
बहुत सुंदर है आपकी रचना धन्यवाद जी
29 मार्च 2022
Shukriya 🙏🌹
बहुत ही शानदार रचना 👏👏👏👏👏👌🏻👌🏻
Thanku so much mam 🙏
Thanku so much mam
कैसा जीवन या कितना जीवनजीवन कैसा होना चाहिए या कितना जीवन अर्थात ज़िंदगी होनी चाहिए।बहुत ही अहम सवाल है। कुछ लोग समझते हैं कि ज़िन्दगी अगर लम्बी जीए है तो बहुत अच्छा है, कुछ सोचते हैं कि बेशक जीव
कौन कितने में बिकता हैजी हां सच सुना आप सबने , आप जितने चाहें सम्मान पत्र खरीद सकते हैं। आज के समय में सम्मान पत्र बेचे और खरीदें जाते हैं।लेखन की कोई कीमत नहीं रही, लेखक क्या लिखता है इसकी
युवा दोराहे पर क्यों हैं?सबसे पहले हमें युवा की परिभाषा को समझना होगा। ऑंखों में सतरंगी सपने, पंछी के जैसे उड़ान और उमंग से भरा मन, कुछ कर दिखाने का और दुनिया को मुठ्ठी में करने का साहस, यही है युवा क
झूठी रस्मेंशादी दो लोगों का ही नहीं दो परिवारों का मिलन होता है। इसलिए कभी-कभी दोनों परिवारों की रस्में, रीति-रिवाज अलग भी होते हैं। माना कि हल्दी, मेंहदी इत्यादि रस्में सभी करते हैं मगर कुछ एक
समलैंगिकतासमलैंगिकता एक अहम मुद्दा है, जो कुछ लोगों की नज़र में अपराधिक प्रवृत्ति मानी जाती है, इस विषय पर सभी के अपने-अपने विचार है, कुछ की नज़र में यह रिश्ता जिसे स्त्री समलिंगी को लेस्बियन और
स्त्री पर ही लांछन क्यों ?विचार: आज जब समाज स्त्री और पुरुष को समानता का अधिकार देता हैँ किन्तु फिर भी आज एक स्त्री को देर रात अपने घर लौटता देख हमारा समाज बिना कारण जाने उसे 'बदचलन'
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प्रभुत्व का दीमक चाट रहा समाज कोआज कहने को स्त्री और पुरुष दोनों बराबर है, मगर क्या यह हकीकत में ऐसा है?क्या स्त्री को हर क्षेत्र में बराबरी का अधिकार है? भ्रुण जांच कराया जाता है, और अगर बे
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विधवा पुनर्विवाहविधवा पुनर्विवाह एक ऐसा संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय है जिस पर अधिकतर लोग 21 वीं सदी के होते हुए भी नाक मुंह सिकोड़ने लग जाते हैं।विधवा पुनर्विवाह क्यों विवादास्पद है?? पुनर्विवा
हम महमां एक "दम" के#कि दम था भरोसा यार दम आवे ना आवे,छड झगड़ा थे कर ले प्यार दम आवे ना आवे।जी हां दोस्तों हम एक दम अर्थात एक स्वांस के ही हैं केवल, ना मालूम कब हमारा आखिरी स्वास हो इसलिए जो स्वास सम अ
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पाखंड या परम्परामाना भारत देश संस्कृति संस्कार और परंपराओं का देश है, मगर जब परंपराएं पाखंड बन जाती है तो बोझ लगने लगती है।कभी परंपरा पाखंड बन जाती है और कभी पाखंड परंपरा बन जाते है, परंपरा कोई