shabd-logo

क्या कभी ये हालात बदलेंगे

21 मार्च 2022

40 बार देखा गया 40
स्त्री पर ही लांछन क्यों ?

विचार:
 आज जब समाज स्त्री और पुरुष को समानता का अधिकार देता हैँ किन्तु फिर भी आज एक स्त्री को देर रात अपने घर लौटता देख  हमारा समाज  बिना कारण जाने उसे 'बदचलन' जैसे उपनाम से सम्बोधित करते हैँ l
 आपको क्या लगता हैँ इसका मुख्य कारण क्या हैँ और आपको क्या लगता हैँ इसमें सुधार के लिए क्या किया जाना चाहिए l
बहुत ही विचारणीय विषय 
हमारी यही त्रासदी है कि हम औरतें ही अक्सर औरतों की दुश्मन बन जाती हैं। 
आज के समय में स्त्री पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती है, और पुरुष भी घर के काम में स्त्री की मदद करते हैं।
लेकिन बहुत कम ऐसा होता है कि कोई पुरुष किसी पुरुष को जोरू का गुलाम कहते, अक्सर स्त्रियां ही इस तरह के व्यंग्य करती है।
इसी तरह अगर कोई पुरुष नाइट ड्यूटी करता है तो बेचारा पूरी रात ड्यूटी  करता है।
और अगर कोई स्त्री नाइट ड्यूटी करें तो स्त्री ही कहेगी कि नाइट ड्यूटी नहीं करनी चाहिए।
 पता नहीं वहां कैसे- कैसे लोग होंगे, और कुछ कहेंगी कि ना जाने वहां क्या-क्या करती होगी।
अर्थात अगर कोई लड़की देर रात तक काम से आती है तो उसकी वर्जिनिटी पर भी शक किया जाता है।

जो कि बहुत ही गलत है, आज 21वीं सदी में भी हम 18वीं सदी की बातों में उलझे हैं, जब पर्दा प्रथा हुआ करती थी।
केवल पर्दा प्रथा खत्म करने से या लिबास बदल लेने से हम आधुनिक नहीं बन सकते।
 हमें अपनी इस घटिया सोच को भी बदलना होगा।
 विश्वास दिखाना होगा नारी पर, तभी हम पुरुष के बराबर खुद को खड़ा कर सकते हैं।
केवल कहने भर से हम आधुनिक या बराबरी का हक या स्वतन्त्र या आज़ाद नही।

समाज हमसे अलग नहीं, हम ही समाज है, हम बदलेंगे तो समाज भी बदलेगा।
समाज भी हम लोगों से मिलकर बना है। सबसे पहले एक औरत को औरत पर विश्वास करना होगा।
 जब  हम खुद की बेटी को देर रात बाहर भेजने के लिए ये सोचेंगे कि ना जाने जहां ये जा रही है कैसा माहौल होगा।
 क्या हमारी बेटी सुरक्षित रह पाएगी या नहीं, तो हम औरों को कैसे कह सकते हैं कि स्त्री या बेटी का देर रात तक काम करना ग़लत न नहीं।
 हमें अपनी बेटियों को भी स्ट्रांग बनाना होगा, और खुद को भी ।
12
रचनाएँ
क्या कभी ये हालात बदलेंगे ??
0.0
इस पुस्तक में समसामयिक मुद्दों पर मेरे विचार, जो आज के हालात हैं और जो कल थे। आप इसे पढ़े और अपने विचार व्यक्त करें।
1

कब बदलेंगे ये हालात

17 मार्च 2022
2
0
0

कैसा जीवन या कितना जीवनजीवन कैसा होना चाहिए या कितना जीवन अर्थात ज़िंदगी होनी चाहिए।बहुत ही अहम सवाल है। कुछ लोग समझते हैं कि ज़िन्दगी अगर लम्बी जीए है तो बहुत अच्छा है, कुछ सोचते हैं कि बेशक जीव

2

कब बदलेंगे ये हालात

18 मार्च 2022
0
0
0

कौन कितने में बिकता हैजी हां सच सुना आप सबने , आप जितने चाहें सम्मान पत्र खरीद सकते हैं। आज के समय में सम्मान पत्र बेचे और खरीदें जाते हैं।लेखन की कोई कीमत नहीं रही, लेखक क्या लिखता है इसकी

3

कब बदलेंगे ये हालात

18 मार्च 2022
1
0
0

युवा दोराहे पर क्यों हैं?सबसे पहले हमें युवा की परिभाषा को समझना होगा। ऑंखों में सतरंगी सपने, पंछी के जैसे उड़ान और उमंग से भरा मन, कुछ कर दिखाने का और दुनिया को मुठ्ठी में करने का साहस, यही है युवा क

4

क्या कभी ये हालात बदलेंगे?

20 मार्च 2022
0
0
0

झूठी रस्मेंशादी दो लोगों का ही नहीं दो परिवारों का मिलन होता है। इसलिए कभी-कभी दोनों परिवारों की रस्में, रीति-रिवाज अलग भी होते हैं। माना कि हल्दी, मेंहदी इत्यादि रस्में सभी करते हैं मगर कुछ एक

5

क्या कभी ये हालात बदलेंगे

21 मार्च 2022
1
0
0

समलैंगिकतासमलैंगिकता एक अहम मुद्दा है, जो कुछ लोगों की नज़र में अपराधिक प्रवृत्ति मानी जाती है, इस विषय पर सभी के अपने-अपने विचार है, कुछ की नज़र में यह रिश्ता जिसे स्त्री समलिंगी को लेस्बियन और

6

क्या कभी ये हालात बदलेंगे

21 मार्च 2022
1
0
0

स्त्री पर ही लांछन क्यों ?विचार: आज जब समाज स्त्री और पुरुष को समानता का अधिकार देता हैँ किन्तु फिर भी आज एक स्त्री को देर रात अपने घर लौटता देख हमारा समाज बिना कारण जाने उसे 'बदचलन'

7

क्या कभी ये हालात बदलेंगे

21 मार्च 2022
1
0
0

आज की नारी की स्थिति क्या है ??आज की नारी दोराहे पर खड़ी है । मानते हैं कि नारी चाहती है कि वो पढ़ी-लिखी है तो वो अपने हुनर को व्यर्थ ना गँवाए, यूँ चार दीवारी में कैद रह कर अपनी ज़िन्दग

8

क्या कभी ये हालात बदलेंगे

22 मार्च 2022
1
1
0

प्रभुत्व का दीमक चाट रहा समाज कोआज कहने को स्त्री और पुरुष दोनों बराबर है, मगर क्या यह हकीकत में ऐसा है?क्या स्त्री को हर क्षेत्र में बराबरी का अधिकार है? भ्रुण जांच कराया जाता है, और अगर बे

9

क्या कभी ये हालात बदलेंगे?

23 मार्च 2022
2
2
5

विधवा पुनर्विवाहविधवा पुनर्विवाह एक ऐसा संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय है जिस पर अधिकतर लोग 21 वीं सदी के होते हुए भी नाक मुंह सिकोड़ने लग जाते हैं।विधवा पुनर्विवाह क्यों विवादास्पद है?? पुनर्विवा

10

क्या कभी ये हालात बदलेंगे?

24 मार्च 2022
1
1
0

हम महमां एक "दम" के#कि दम था भरोसा यार दम आवे ना आवे,छड झगड़ा थे कर ले प्यार दम आवे ना आवे।जी हां दोस्तों हम एक दम अर्थात एक स्वांस के ही हैं केवल, ना मालूम कब हमारा आखिरी स्वास हो इसलिए जो स्वास सम अ

11

क्या कभी ये हालात बदलेंगे?

24 मार्च 2022
2
1
0

पिरियडस टाॅकमासिक धर्म प्रजनन क्रिया का एक प्राकृतिक हिस्सा है, जिसमें गर्भाशय से रक्त योनि से बाहर निकलता है। ये प्रक्रिया लड़कियों में लगभग 11 साल से 14 साल की उम्र में शूरू होती है। यही कुदरती प्रक

12

पाखंड या परम्परा

1 मई 2022
2
1
3

पाखंड या परम्परामाना भारत देश संस्कृति संस्कार और परंपराओं का देश है, मगर जब परंपराएं पाखंड बन जाती है तो बोझ लगने लगती है।कभी परंपरा पाखंड बन जाती है और कभी पाखंड परंपरा बन जाते है, परंपरा कोई

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए