shabd-logo

क्या कभी ये हालात बदलेंगे?

24 मार्च 2022

22 बार देखा गया 22
पिरियडस टाॅक

मासिक धर्म प्रजनन क्रिया का एक प्राकृतिक हिस्सा है, जिसमें गर्भाशय से रक्त योनि से बाहर निकलता है। ये प्रक्रिया लड़कियों में लगभग 11 साल से 14 साल की उम्र में शूरू होती है। यही कुदरती प्रक्रिया उसे समाज में औरत का दर्जा दिलाता है, इन्सानी कायनात का दामोरदार इसी पर ही टिका है।

 मासिक धर्म लड़कियों के लिए अद्वितीय घटना है, जो मिथकों से घिरा हुआ है, और समाज के ठेकेदार मासिक धर्म से गुज़र रही स्त्रियों एवं लड़कियों को जीवन के सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं से बाहर कर देते  हैैं, जबकि यही समय उन्हें देखभाल की अत्यधिक आवश्यकता होती है।

 मिश्र और ग्रीक के दर्शनशास्त्रियों का मानना है कि हर महीने औरत में सेक्सुअल डिज़ायर का उफान उठता है, जब ये डिज़ायर पूरी नहीं होती तो शरीर से रक्त बहता है उसी को महावारी कहते हैं, महावारी से पहले औरत के मूड में बदलाव आता है, मिज़ाज में  चिड़चिड़ापन, और शरीर के किसी भी हिस्से में अजीब खिंचाव या  दर्द होता है, ये बातें इशारा करती है कि कुछ ही वक्त में ब्लिडिंग शुरू होने वाली है। 

ऐसा ज़रूरी नहीं कि सभी महिलाओं के साथ ऐसा ही हो,कुछ को सामान्य एवं कुछ को असहनीय दर्द होता है, कुछ का मानना है कि यह सेक्स की महरूमियत के कारण  होता है, इसी कारण आज भी कुछ लोग लड़कियों को यह बताते हैं कि शादी के बाद यह दर्द ठीक हो जाएगा।
भारत में इसका उल्लेख वर्जित रहा, क्योंकि हिन्दू संस्कृति के अनुसार इसके पीछे एक कथा प्रचलित है, जिसमें इन्द्र देवता से एक ब्राह्मण की हत्या हो गई थी जिसके पाप का चौथा भाग स्त्रियों को दिया गया, जिससे उन्हें मासिक धर्म होता है।
 जिसमें उन्हें अपवित्र समझा जाता है इसलिए उन्हें किसी भी धार्मिक कार्यों में भाग लेने की मनाही होती है, एवं दूसरा कारण यह माना जाता है कि हिन्दू देवी-देवताओं के मंत्र संस्कृति में है जिसे पढ़ने के लिए एकाग्रता की आवश्यकता होती है और मासिक धर्म में असहनीय पीड़ा होने के कारण एकाग्रता नहीं बनती एवं मंत्र ठीक से ना पढ़ने पर पाप लगने का डर रहता है।

मासिक धर्म में शहरी क्षेत्रों में मंदिर एवं मुख्यत गांवों में रसोईघर में जाना प्रतिबंधित है, इसका मुख्य कारण यह माना जाता है कि मासिक धर्म के समय शरीर से विशेष गंध निकलती है जिससे भोजन खराब होने की आंशका होती है, इसलिए उन्हें आचार इत्यादि छूने की मनाही होती है जबकि वैज्ञानिक परिक्षण में ऐसा कुछ नहीं पाया गया, मंदिरों में प्रवेश, यौन संबंध बनाने की मनाही होती है, महिलाएं खुद को अशुद्ध और प्रदुषित रूप में देखती है,स्वामीनारायण सम्प्रदाय ने अपनी किताब में उल्लेख किया है कि महिलाओं को इन दिनों इन नियमों कि पालन क्यों करना चाहिए।

उनके अनुसार महिलाएं अत्याधिक शारीरिक परिश्रम करती है, जिससे उन्हें थकान होती है, एवं इन दिनों उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन देखा जाता है, उन्हें आराम मिले इस हेतु उन्हें अलग रखा जाता है, एवं इन दिनों महिलाएं अपवित्र मानी जाती है, अगर वो नियमों का पालन करती है तो खाने एवं परिवार के सदस्य भी पवित्र रहते हैं। 
पिरियड के दौरान महिलाओं की अवस्था मरीज़ सी होती है, हमें उन पर तरह करना चाहिए। भारत एवं अन्य जगहों पर किए गए अध्ययन से ये पता चलता है कि मासिक धर्म के दौरान शारीरिक  गतिविधि करना या व्यायाम करना उन्हें प्रीमेन्सट्रल सिंड्रोम और डिसमोनोरिया के लक्षणों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है और सूजन से छुटकारा दिलाता है। पिरियड से सेरोटोनिन की रिहाई होती है जिससे इन्सान ज्यादा खुशी और आराम महसूस करता है। 

बौद्ध धर्म में मासिक धर्म को "प्राकृतिक शारीरिक विसर्जन" माना जाता है। विरेचन बौद्ध धर्म (जापान) में मासिक धर्म को धार्मिक अभ्यास में अध्यात्मिक बना नहीं माना जाता। ईसाई धर्म में भी मासिक धर्म में किसी भी विशिष्ट अनुष्ठान या नियमों को नहीं माना जाता ।
 इस्लाम धर्म में भी मासिक धर्म के दौरान रमजान के उपवास, कांड की परिक्रमा, तीर्थ यात्रा निषिद्ध है। यहुदी धर्म में मासिक धर्म के दौरान महिला को निदाह कहा जाता है। उनके अनुसार जब तक मासिक धर्म वाली महिला( केवल ब्याहता) खुद को मिक्वा ( अनुष्ठान स्नान) में समर्पित नहीं कर देती, तब तक उसे यौन संबंध और शारीरिक अन्तरंगता से बचना होता है।

मासिक धर्म की सही जानकारी के लिए बच्चों और किशोरों के लिए शैक्षिक ज्ञान आवश्यक है जिसके लिए स्कूल उपयुक्त स्थान है, स्कूल का उद्देश्य है छात्रों के ज्ञान का विकास  करना। विज्ञापन भी एक विकल्प है, सेनेटरी नेपकिन का विज्ञापन भी मासिक धर्म को दर्शाता है। सिनेमा और टी.वी. पर भी मासिक धर्म की वर्जित प्रकृति को प्रतिबिंबित किया जाता है।

मासिक धर्म के नाम पर स्त्री को प्रताड़ित करना या दंडित करना ग़लत है, मासिक धर्म के बारे में लड़का एवं लड़की  दोनों से ही खुलकर बात करने की आवश्यकता है, क्षान की आवश्यकता है।

प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)

12
रचनाएँ
क्या कभी ये हालात बदलेंगे ??
0.0
इस पुस्तक में समसामयिक मुद्दों पर मेरे विचार, जो आज के हालात हैं और जो कल थे। आप इसे पढ़े और अपने विचार व्यक्त करें।
1

कब बदलेंगे ये हालात

17 मार्च 2022
2
0
0

कैसा जीवन या कितना जीवनजीवन कैसा होना चाहिए या कितना जीवन अर्थात ज़िंदगी होनी चाहिए।बहुत ही अहम सवाल है। कुछ लोग समझते हैं कि ज़िन्दगी अगर लम्बी जीए है तो बहुत अच्छा है, कुछ सोचते हैं कि बेशक जीव

2

कब बदलेंगे ये हालात

18 मार्च 2022
0
0
0

कौन कितने में बिकता हैजी हां सच सुना आप सबने , आप जितने चाहें सम्मान पत्र खरीद सकते हैं। आज के समय में सम्मान पत्र बेचे और खरीदें जाते हैं।लेखन की कोई कीमत नहीं रही, लेखक क्या लिखता है इसकी

3

कब बदलेंगे ये हालात

18 मार्च 2022
1
0
0

युवा दोराहे पर क्यों हैं?सबसे पहले हमें युवा की परिभाषा को समझना होगा। ऑंखों में सतरंगी सपने, पंछी के जैसे उड़ान और उमंग से भरा मन, कुछ कर दिखाने का और दुनिया को मुठ्ठी में करने का साहस, यही है युवा क

4

क्या कभी ये हालात बदलेंगे?

20 मार्च 2022
0
0
0

झूठी रस्मेंशादी दो लोगों का ही नहीं दो परिवारों का मिलन होता है। इसलिए कभी-कभी दोनों परिवारों की रस्में, रीति-रिवाज अलग भी होते हैं। माना कि हल्दी, मेंहदी इत्यादि रस्में सभी करते हैं मगर कुछ एक

5

क्या कभी ये हालात बदलेंगे

21 मार्च 2022
1
0
0

समलैंगिकतासमलैंगिकता एक अहम मुद्दा है, जो कुछ लोगों की नज़र में अपराधिक प्रवृत्ति मानी जाती है, इस विषय पर सभी के अपने-अपने विचार है, कुछ की नज़र में यह रिश्ता जिसे स्त्री समलिंगी को लेस्बियन और

6

क्या कभी ये हालात बदलेंगे

21 मार्च 2022
1
0
0

स्त्री पर ही लांछन क्यों ?विचार: आज जब समाज स्त्री और पुरुष को समानता का अधिकार देता हैँ किन्तु फिर भी आज एक स्त्री को देर रात अपने घर लौटता देख हमारा समाज बिना कारण जाने उसे 'बदचलन'

7

क्या कभी ये हालात बदलेंगे

21 मार्च 2022
1
0
0

आज की नारी की स्थिति क्या है ??आज की नारी दोराहे पर खड़ी है । मानते हैं कि नारी चाहती है कि वो पढ़ी-लिखी है तो वो अपने हुनर को व्यर्थ ना गँवाए, यूँ चार दीवारी में कैद रह कर अपनी ज़िन्दग

8

क्या कभी ये हालात बदलेंगे

22 मार्च 2022
1
1
0

प्रभुत्व का दीमक चाट रहा समाज कोआज कहने को स्त्री और पुरुष दोनों बराबर है, मगर क्या यह हकीकत में ऐसा है?क्या स्त्री को हर क्षेत्र में बराबरी का अधिकार है? भ्रुण जांच कराया जाता है, और अगर बे

9

क्या कभी ये हालात बदलेंगे?

23 मार्च 2022
2
2
5

विधवा पुनर्विवाहविधवा पुनर्विवाह एक ऐसा संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय है जिस पर अधिकतर लोग 21 वीं सदी के होते हुए भी नाक मुंह सिकोड़ने लग जाते हैं।विधवा पुनर्विवाह क्यों विवादास्पद है?? पुनर्विवा

10

क्या कभी ये हालात बदलेंगे?

24 मार्च 2022
1
1
0

हम महमां एक "दम" के#कि दम था भरोसा यार दम आवे ना आवे,छड झगड़ा थे कर ले प्यार दम आवे ना आवे।जी हां दोस्तों हम एक दम अर्थात एक स्वांस के ही हैं केवल, ना मालूम कब हमारा आखिरी स्वास हो इसलिए जो स्वास सम अ

11

क्या कभी ये हालात बदलेंगे?

24 मार्च 2022
2
1
0

पिरियडस टाॅकमासिक धर्म प्रजनन क्रिया का एक प्राकृतिक हिस्सा है, जिसमें गर्भाशय से रक्त योनि से बाहर निकलता है। ये प्रक्रिया लड़कियों में लगभग 11 साल से 14 साल की उम्र में शूरू होती है। यही कुदरती प्रक

12

पाखंड या परम्परा

1 मई 2022
2
1
3

पाखंड या परम्परामाना भारत देश संस्कृति संस्कार और परंपराओं का देश है, मगर जब परंपराएं पाखंड बन जाती है तो बोझ लगने लगती है।कभी परंपरा पाखंड बन जाती है और कभी पाखंड परंपरा बन जाते है, परंपरा कोई

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए