योग शरीर को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है।
योग मुख्यतः चार प्रकार का होता है--- राज योग, कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग।
राज योग-- राज अर्थात राजसी योग। इसमें आठ अंग होते हैं।
इसमें यम, शपथ , नियम, आचरण , अनुशासन, आसन ( मुद्राएं ), प्राणायाम ( स्वांस नियंत्रण) और समाधि ( अंतिम मुक्ति )।
कर्म योग-- इस कर्म को हर व्यक्ति करता है। इसमें हमें अनुभव मिलता है और वह भविष्य के प्रति जागरूक रहता है। हमें अपने जीवन में स्वार्थ और नाकारात्मकता को जगह नहीं देनी चाहिए।
भक्ति योग-- भक्ति योग हमारे जीवन में सहिष्णुता को जन्म देता है। हर कोई ईश्वर की भक्ति करता है अर्थात आराधना करता है। भक्ति योग से हम भावनात्मक रूप से भी मन और मस्तिष्क को संतुलित कर एक सकारात्मक जीवन अपना सकते हैं।
ज्ञान योग-- ज्ञान योग बुद्धि का योग है। ज्ञानार्जन से हम अपनी बुद्धि और विवेक का विकास करते हैं। इसमें ग्रंथो और वेदों के माध्यम से और उनका विस्तार कर ज्ञानार्जन को प्रत्यक्ष रूप देते हैं।