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राजयोग

7 जुलाई 2022

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         राजयोग या सिर्फ योग महर्षि पतंजलि का योग सूत्र इसका मुख्य ग्रंथ है। स्वामी विवेकानंद ने राजयोग का प्रारंभ किया था। राजयोग सभी योगों का राजा है क्योंंकि इसमें सब प्रकार की सामग्री मिलती है। इस सामग्री का उपयोग करने से साधक के सभी क्लेशों का नाश होता है और चित्त प्रसन्न होता है और उसके विवेक को ख्याति प्राप्त होती है।

      प्रत्येक व्यक्ति में ज्ञान और शक्ति का वास होता है। राजयोग ज्ञान और शक्ति को जाग्रत करने का प्रयास करता है। मनुष्य के जीवन में उसका व्यवहार और आचरण का समग्र रूप होता है। मनुष्य के स्वभाव में एकाग्रता को जगा कर चित्त को शांत रखता है। उसकी बिखरी हुई शक्तियों को समेट कर एकाग्र करना ही राजयोग होता है।

      प्रत्येक आत्मा अव्यक्त ब्रह्म है। वाह्य और अंतः प्रकृति को वशीभूत कर आत्मा के इस ब्रह्म भाव को व्यक्त करना ही जीवन का उद्देश्य है। सिर्फ यही से धर्म का ज्ञान मिलता है। मत, अनुष्ठान, शास्त्र, मंदिर या अन्य क्रिया कलाप तो प्रत्यंग मात्र है।

     धन्यवाद
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कविता रावत

कविता रावत

बहुत अच्छी जानकारी लेकिन आज के समय में राजयोग शासन-प्रशासन में बैठे लोगों के अलावा और कहीं देखने को नहीं मिलता है।

7 जुलाई 2022

anupama verma

anupama verma

7 जुलाई 2022

Thank you

वीरेंद्र कुमार गुप्ता

वीरेंद्र कुमार गुप्ता

"क्योंंकि इसमें सब प्रकार की सामग्री मिलती है"-यह पढ़ कर ऐसा लगा कि राजयोग कोई ऐसा पदार्थ या पदार्थो का समूह है जिसमे हर सामाग्री मिलती है। क्षमा करें -लेख अति संक्षिप्त है और इसी कारण भ्रामक है। पढ़ कर कोई कुछ निष्कर्ष नहीं निकाल सकता। फिर एक बार क्षमा प्रार्थी हूँ परंतु स्पष्ट विचार देने को मजबूर हूँ। वीरेंद्र

7 जुलाई 2022

anupama verma

anupama verma

7 जुलाई 2022

सामग्री से तात्पर्य संसाधन से है जिसके कारण हमारा मानसिक विकास होता है।

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रचनाएँ
लेखन सार
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लेखन सार भिन्न भिन्न विषयों पर लेखों का संग्रह है।
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