लखनऊ ब्यूरो-: योगी सरकार के सिर्फ एक महीने में ही सूबे की सूरत में बडा बदलाव आ गया है।एक नयी कार्यसंस्कृति की आहट मिल रही है। इस दौरान, सबका साथ और सबका विकास के फार्मूले को अंजाम देने की ईमानदार कोशिश का असर साफ दिख रहा है। सकारात्मक सोच और विपक्ष से भी बदले की भावना नहीं। हैरान है तो अफसर और परेशान है तो इनके मंत्री। अफसरों की हैरानी इसलिये कि योगी की तरह रोजाना 16 से लेकर 18 घंटे तक काम करना उनके बूते का नहीं। ऐसे में उनके साथ कदमताल करे भी कैसे? मंत्रियों की परेशानी इसलिये कि योगी की तरह कम समय में बहुत कुछ कर दिखाने की आग इनके सीने में नहीं जल रही है। इससे भी ज्यादा वे परेशान हैं अपनी संपत्ति का ब्योरा मांग लिये जाने से।
सरकार की शोहरत में इजाफा
कुछ मंत्रियों से योगी सरकार की शोहरत में इजाफा भी हो रहा है। प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक भी इनमें से एक हैं। पिछले दिनों इन्होंने पुराने लखनऊ के नादान महल रोड पर एक कपउे के शोरूम का उद्धाटन करने के बाद वहां गंगा की उल्टी धारा ही बहाने का प्रयास किया था। हुआ यह कि अमूमन इस मौके पर शोरूम के मालिक अपने मुख्य अतिथि उपहार में कुछ न कुछ अवश्य देते हैं। मगर, मंत्री ने यहां इसकी नौबत ही नहीं आने दी। उन्होंने अपने बेटे के लिये दो टीशर्ट खरीद कर खुद ही उसके पैसे का भुगतान किया। दुकानदार हतप्रभ। उसकी मिन्नतें भी काम नहीं आयीं और वहां मौजूद अन्य आमंत्रित जन भी दंग। लखनऊ में पहली बार लोगों ने ऐसा नजारा देखा।
नीलकंठ तिवारी प्रदेश के सूचना राज्यमंत्री हैं। अपने पद की शपथ लेने के बाद जब अपने शहर बनारस पहुंचे, तो न कहीं स्वागत, न जिंदाबाद के नारे लगे और न दूसरे तमाम तामझाम भी किये गये। दूसरे दिन सुबह खुद ही अपनी कार चलाकर दोस्तो से मिलने पहुंच गये। वहां एक चबूतरे पर बैठ गये। लोगों से खूब बतियाये। कुल्हड़ की चाय पी। फिर ठेठ बनारसी अंदाज में ही लौट भी गये। ऐसी ही कुछ और मिसालें भी दी जा सकती हैं।
लखनऊ में भी बदली बयार
अब थोडी चर्चा नवाबों का शहर लखनऊ चल रही बदलाव के बयार की भी। अब बीच सडक पर कार रोककर पीने वाले लोग आपको नहीं दिखाई पडेंगे। शराब की दुकानों के पास ठंडा मिनरल वाटर, आइस क्यूब और प्लास्टिक की गिलास बेचकर गंदगी फैलाने वाले लोग भी नहीं मिलेंगे। सचिवालय की दीवारों और फर्श अब पान की पीकों से रंगी नहीं दिखाई पडती। इन दिनों वे चमचमा रही हैं। ऐसे ही कमोवेश दूसरे तमाम बदलाव भी आपको हर जगह देखने को मिल जायेंगे। लेकिन, कानून और व्यवस्था की स्थिति सुधार के लिये अभी बहुत कुछ किये जाने की जरूरत है।
इस अवधि का कडुवा सच
इस बदलाव का दूसरा पक्ष भी है, जो सीधे इस सरकार के मंत्रियों से जुडा है। यही इस अवधि का सबसे कडुवा सच है। इसीलिये यह कहना गलत न होगा कि यह सारा बदलाव‘वन मैन शो‘की तरह ही है। मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ की हालत एक अकेले चना की तरह है, जो अकेले अपने दमखम से भाड फोलने की कोशिश कर रहा हैं। इसी के चलते कम समय में बहुत कुछ कर दिखाने की ललक सिर्फ एक अकेले योगी में ही दिखाई पड रही है। शेष मंत्रियों में अधिकांश में दिखावा अधिक है। सूबे के आम आदमी को योगी और इनमें जमीन और आसमान जैसा फर्क नजर आता है। यही वजह है कि 15 दिन की बजाय 30 दिन से भी ज्यादा गुजर के बाद भी अधिकांश मंत्रियों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा देने की बजाय योगी को अपना अंगूठा ही दिखा दिया है। योगी इसे भला कैसे बर्दाश्त कर सकते थे। लिहाजा, उन्होंने मंत्रियों के लिये एक आचार संहिता जारी कर दी है। यही अब उनके गले की फांस बन गयी है।
आचार संहिता बनी गले की फांस
इस आचार संहिता से अधिकांश मंत्रियों की जान सांसत में पड गयी है। लेकिन, योगी को इससे क्या? सरकार में रहना है, तो योगीचित्त वाला बनना ही होगां। इस आचार संहिता में दिये गये निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि यदि मंत्री की किसी कंपनी में साझेदारी है, तो उसका भी विवरण देना अनिवार्य होगा। उनके पास कितना सोना और कितनी चांदी है? मंत्री बनने से पहले उनके व्यवसाय और उससे होने वाली आय का विवरण भी उन्हें देना होगा।
ख्वाब ही रह जायेगा अरबपति बनने का ख्वाब
इस संहिता में यह भी कहा गया है कि मंत्री का कोई सगा संबंधी अथवा वह स्वयं किसी सरकारी विभाग में ठेका, पट्टा अथवा माल की आपूर्ति तो नहीं करते रहे हैं? यदि अभी तक वे ऐसा करते रहे हैं, तो अब खुद को उससे अलग कर लें। उन्हें सरकारी संपत्ति बेचने और खरीदने से अलग रहना होगा। वे ऐसा कोई भी कारोबार नहीं करेंगे, जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सरकार से संबंधित हो। उन्हें थैली भेंट नहीं लेनी होगी। यदि उपहार ले ही रहे हों, तो उन्हें इस बात का ध्यान रखना ही होगा कि वह पांच हजार रु से अधिक का न हो। इससे अधिक मूल्य का उपहार सरकारी खजाने में जमा करना होगा। सरकारी दौरे पर सर्किट हाउस में ही ठहरने की सलाह दी गयी है। यात्रा के दौरान दिखावे और दावत से बचने की सलाह दी गयी है। यह आचार संहिता उनकी सरकार में शामिल उन मंत्रियों के लिये बडी त्रासद होगी, जो देखते ही देखते करोडपति बन गये हैं और मंत्री बनने के बाद अब अरबपति होने का ख्वाब देख रहे हैं।