लखनऊः पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विजनौर जिले में एक गांव है मुबारकपुरकला। मुस्लिमबहुल। वैसे, यहां दूसरी जातियों के भी लोग रहते हैं। हर तबके के। छोटे बडे और अभीर गरीब भी। इस गांव के अधिकाश लोग बडे संवेदनशील और खुले विचारों के हैं। इनमें विचारों की संकीर्णता नही। यदि कोई काम अच्छा है, तो उसमें अनावश्यक मीनमेष निकालने की आदत नहीं। यही वजह है कि प्रधान मेंत्री के लोकहित में दिये गये इस प्रशासनिक सूत्र पर इस गांव के लोगों का पूरा यकीन रहा है कि ‘सबका साथ-सबका विकास‘। इसी के साथ जब प्रधान मंत्री ने देशव्यावी स्वच्छता अभियान शुरू किया, तो यह गांव उसके प्रभाव से अछूता नहीं रह सका। इसी स्वच्छता अभियान के ही तहत गांव में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिये हर घर में शौचालय होने की भी बात उठी।
आइए कराते हैं आपको गांव की सैर
इस संबंध में गांव के रहमान अली का कहना है कि 661 परिवार वाले मुबारकपुरकला की आबादी लगभग साढे तीन हजार हैं। इसमें कुल घर 646 हैं। इनमें सिर्फ 145 घरों में ही पहले से शौचालय बने हुए हैं। शेष घरों के लोग शौच के लिये सुबह शाम लोटा लेकर खेतों में जाते रहे है। लेकिन, हर घर में शौचालय होने की प्रधान मंत्री की अपील का इस गांव के लोगों पर इतना असर पडा कि पूरे गांव के लोगों ने मिलकर हर घर में शौचालय बनाने का फैसला किया। वह भी आपस में ही चंदा कर और श्रमदान के जरिये। इसमें आडे आते थे गांव के ही कुछ ऐसे लोग, जो दिल से तो चाहते थे कि उनके घरों में भी शौचालय हो, ताकि बहुबेटियों को इसके लिये बाहर न जाना पडे। लेकिन, पैसे से कमजोर होने के कारण वे अपनी इस ख्वाहिश को पूरी नहीं कर सकते थे। ऐसे गांव वालों ने उनकी भी आर्थिक मदद की। मजदूरी का पैसा बचाने के लिये लोगों ने इस काम में श्रमदान किया। इस तरह देखते ही देखते इस गांव के हर घर में शौचालय हो गया। इसके अलावा, एक सार्वजनिक शौचालय का भी निर्माण करा दिया गया है।
और लौटा दिया गांव वालों ने अनुदान
लेकिन, इस संबंध में यह बात भी कम महत्वपूर्ण नहीं रही है कि गांव वालो ने इसके लिये सरकार की ओर से भेजे गये 17.5 लाख रु के आर्थिक अनुदान को लेने से इन्कार कर दिया। इनका यह कहना रहा है कि यह काम उनके गांव की भलाई का रहा है। अच्छाा काम है। इसलिये यथासंभव अच्छा काम खुद ही करना चाहिये। इसी गांव के प्रभावशाली व्यक्ति किश्वर का कहना है कि ग्राम पधान ने इस काम के लिये पहले ही प्रस्ताव बनाकर अधिकारियों के पास भेज दिया था। उसी के चलते उक्त धनराशि ग्राम प्रधान के संयुक्त बैंक खाते मे जमा हो गयी थी। लेकिन, गांव वालों की मर्जी से उक्त धनराशि सरकार को शुक्र्रिया सहित वापस कर दी गयी है। इनका कहना है कि यह रमजान का महीना चल रहा है। इसमें हर काम अच्छा होना चाहिये। असीलिये इस काम को भी अच्छा समझकर सरकार से आर्थिक इमदाद लेना वाजिब नहीं समझा गया। बिजनौर के मुख्य विकास अधिकारी ने भी गांववालों की इस पहल की सराहना करते हुए इस काम को बेमिसाल बताया।