नई दिल्ली : यूपी में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी, बसपा और सपा ने जनता को अपनी तरफ लुभाने के लिए इस बार नया फंडा तैयार किया है. इस फंडे के तहत लोगों के मत हासिल करने के लिए सभी पार्टियां साहित्य बांटती नजर आ रही हैं.
चुनाव आते ही पार्टियां करने लगीं बखान
बीजेपी परिवर्तन यात्रा के साथ परिवर्तन पर केंद्रित साहित्य बांट रही है तो बसपा सुप्रीमो मायावती अपने भाषणों का साहित्य बसपा कार्यकर्ताओं के जरिए मतदाताओं के बीच भेज रही हैं. यही नहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की 'परिवर्तन की आहट' सुनाई देने वाली है. दरअसल, राजकमल प्रकाशन मुख्यमंत्री के चुनिंदा भाषणों पर 'परिवर्तन की आहट' शीर्षक से एक किताब प्रकाशित करने जा रहा है.
सवा दो सौ पृष्ठों की किताब में सूबे का विकास
सूत्रों के मुताबिक यह किताब जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी. इस पुस्तक के श्रृंखला संपादक प्रदेश सरकार के मंत्री राजेन्द्र चौधरी हैं जबकि हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने इसकी प्रस्तावना लिखी है. करीब सवा दो सौ पृष्ठों की इस किताब में 'लोकतंत्र के मूल्य' शीर्षक से चार पृष्ठ का पहला आ लेख है. फिर परिवर्तन की ताकत, इलाज में समाजवाद, महानता के संस्कार, युवा जोश-युवा सोच, क्यों मजबूर हो रहें मजदूर, कन्नौज के मुद्दे, सफलता की कुंजी, बिजली का मसला, कल्पना की दुनिया, हज का सफर, सुव्यवस्था से खुशहाली, वक्त की उड़ानें, शिक्षा, उम्मीदें और हकीकत, उम्मीदों का दायित्व समेत कुल 34 शीर्षकों से उनके भाषण दिए गये हैं. बिजली संकट और समाधान पर मुख्यमंत्री के विचार हैं तो 'पर्यावरण की रक्षा' और 'तरक्की की छलांग' भी इससे अछूती नहीं रही है.
सीएम की शायरी भी शामिल
और तो और मुख्यमंत्री इसमें 'शायरी की खूबियों' पर भी बोले हैं तो उन्होंने 'भरोसे की सियासत' को भी इसमें प्रमुखता दी है. कन्नौज के मुद्दे को उठाकर वह अपनी पत्नी और कन्नौज की सांसद डिंपल यादव के लिए कदमताल करते नजर आते हैं, तो जनेश्वर मिश्र की जयंती के बहाने रिश्तों को भी जीते हैं.
अखिलेश को मुस्लिमों से प्रेम
'समाजसेवा के फरिश्ते' और 'सबसे पहले जनसेवा' जैसे कुछ विषय यह बताने के लिए हैं कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकताएं क्या हैं. प्रकाशक ने यमुना एक्सप्रेस-वे का विषय भी रखा है और खास बात यह भी है कि इस पुस्तक के जरिये मुख्यमंत्री समाधान के मार्ग दिखाते नजर आते हैं. 'हज का सफर' मुस्लिम समाज से उनके प्रेम को दर्शाता है.
सरकार के फैसलों में जितनी तेजी विकास उससे तीव्र
मुख्यमंत्री श्रद्धांजलि की सार्थकता पर भी केंद्रित हैं. 595 रुपये मूल्य की इस पुस्तक में कहा गया है कि 'किसी भी सरकार का सिर्फ एक ही फर्ज होता है- जनता के सपनों, लोगों की उम्मीदों और उनसे किए गए वादों को तेज रफ्तार से पूरा करने का फर्ज, हर हाल में लोगों की बेहतरी और खुशहाली के लिए काम करने का फर्ज, जनता के भरोसे को मजबूती के साथ बरकरार रखने का फर्ज, जनहित में सख्त से सख्त फैसले लेने का फर्ज जैसी बातें इस किताब में शामिल हैं. किताब में यह भी कहा गया है कि कोई भी सरकार जितनी तेजी से जनहित के फैसले लागू करती है, उस क्षेत्र की तरक्की उसकी तिगुनी रफ्तार से होती है.'
किताब में अखिलेश की छाप
फिलहाल जल्द ही मुख्यमंत्री के भाषणों पर छपी किताब जनता के बीच होगी. सवा दो सौ पृष्ठों की किताब में 34 शीर्षकों में महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल किये गए हैं. पार्टी से जुड़े लोग बताते हैं कि अखिलेश यादव के इन संभाषणों में आप उनके व्यक्तित्व के कई आयाम देख सकते हैं. वह सरल, दो टूक बात कहते हैं और प्रतिपक्षियों के वाग्जाल को चीरकर सीधे जनता से जुड़ते हैं. उन्हें पता है कि इतने बड़े प्रांत का मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें अपने समय और शक्ति का सदुपयोग कैसे करना है.