लखनऊ : उत्तर प्रदेश में मंगलवार को होने जा रहे दूसरे चरण के विधान सभा चुनाव में कल 11 जिलो के 63 विधान सभा क्षेत्रो के प्रत्याशी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन अपनी पूरी ताकत झोके हुए है।बसपा,सपा और भाजपा दलो के दिग्गज नेता भी अपने प्रत्याशियों को नहरी मतों से जिताने हेतु नुक्कड़ सभाओ के माध्यम अपील करते नज़र आ रहे है ।
बीएसपी को भारी वोट प्राप्त होने की आशा
दूसरे चरण के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को भरी मतों से विजयी होने की आशा है।बीएसपी को इस क्षेत्रो से 63 में से 30-35 सीटे प्राप्त करने का दावा किया है।
भाजपा को 40 सीटो की उम्मीद उत्तर प्रदेश के पहले चरण के चुनाव में 50 से अधिक सीट पर विजय पताका फहराने वाली भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि दूसरे चरण के चुनाव में उसे 11 जिलो में 40 से अधिक सीटो पर विजय प्राप्त होना निश्चित है।ज्यात हो कि पिछले विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को यहाँ से 12 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था।
सपा को सर्वाधिक सीटो की उम्मीद
सत्ताधारी समाजवादी पार्टी का दावा है कि उनके द्वारा इन क्षेत्रों का अप्रत्याशित विकास किया गया है और पूर्व प्रदेश की जनता समाजवादी पार्टी के कार्यो से पूर्णतः संतुष्ट है इस कारण उन्हें यहाँ से भरी सफलता की उम्मीद है ।समाजवादी पार्टी का मत है कि उन्हें दूसरे चरण में 50 से अधिक सीटे प्राप्त होने की उम्मीद है। सभी पार्टियों के दावे तीसरे चरण के चुनाव में अधिक से अधिक सीटे जीतने की है पर वास्तविकता तो 11 मार्च को रिजल्ट आने पर ही पता चलेगी कि मतदाता किस पार्टी के पक्ष में है। लेकिन यह भी सच है कि विधान परिषद के कल घोषित हुए परिणाम दूसरे चरण के मतदाताओं को प्रभावित जरूर करेगे ।
मीडिया से बदलता जनाधार
बदलते वैज्ञनिक युग में सोशल मीडिया और मीडिया से प्रसारित न्यूज़ चुनावी माहौल को किस प्रकार परिवर्तित कर रहे है. इसका अंदाजा स्वयं राजनीति क पार्टियों को भी नहीं हो पाता। चुनावी माहौल बदलने के डॉ से सभी राजनितिक पार्टियां अब सोशल मीडिया और न्यूज़ मीडिया चैनलो के माध्यम से मतदाताओं को प्रभवित एवं आकर्षित करने हेतु बड़े बड़े विज्ञापन इनके माध्यम से प्रसारित करा रहे है। एक और चुनाव आयोग ने विज्ञापन के प्रकाशन को सीमित कर रखा है वही आचार संहिता के विपरीत बहुत बड़ी रकम विज्ञापनों पर व्यय की जा रही है । मीडिया के माध्यम से बड़े बड़े विज्ञापनों को दिए जांने का कारण यह है कि मीडिया पार्टियों की कमजोरी को जनता तक न जाने दे। अपनी पार्टी की साख बचाने हेतु मीडिया कर्मियों को बड़ी बड़ी पार्टियों और उपहारों का भी प्रलोभन दिया जा रहा है। चुनाव रूपी इस प्रतियोगिता में कोई भी दल किसी दूसरे दल से पीछे नहीं रहना चाहता है और विज्ञापनों को देने में भिन्न भिन्न तरीको का प्रयोग कर रहा है।
मतदाताओं के पास समय का अभाव
आजकल के व्यस्ततापूर्ण माहौल में आम मतदाता के पास इतना समय नही रहता है कि नेताओ की आम सभा में जाकर उनके विचार से सुने। सुरक्षा की दृष्टि से भी आम आदमी सभाओ में जाने की हिम्मत नहीं करता। इन परिस्थियों में लोग घर पर ही टीवी के सामने बैठकर नेताओ के विचारों और दूर नेताओ के प्रति उनकी आलोचनाओं के सुनने के बाद किस पार्टी को देश और प्रदेश के हित में वोट दिया जाये, अपना मन स्थिर कर रहे है।