नई दिल्ली : उत्तरप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद अब किसानों को अपना कर्ज माफ़ होने का इंतज़ार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में इसका वादा किया था। गृह मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट की माने तो साल 2013 से 2015 के बीच उत्तरप्रदेश में 1266 किसानों ने ख़ुदकुशी की।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो साल 2014 में देश में 5,650 किसानों ने आत्महत्या की। देश में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या साल 2004 में की थी, आत्महत्या का यह आंकड़ा 18,241 था।
गृह मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि किसानों की ख़ुदकुशी के मामले में सबसे पहला स्थान महाराष्ट्र का है, जहाँ तीन सालों में 11,441 किसानों ने आत्महत्या की। जबकि कर्नाटक में 3740, मध्यप्रदेश में 3578, तेलांगना में 2747, छत्तीसगढ़ ने 2125, आँध्रप्रदेश में 2014, केरल में 1989, तमिलनाडु में 1606, गुजरात में 1483 और उत्तप्रदेश में 1266 किसानों ने ख़ुदकुशी की।
यह आंकड़े इसलिए भी चौकाने वाले हैं क्योंकि गुजरात को हमेशा एक मॉडल राज्य में रूप में पेश किया जाता रहा है लेकिन वहां किसानों की आत्महत्या लगातार होती रही। तीन साल में गुजरात ने 1483 किसानों में आत्महत्या की।
हालांकि राज्य सरकार के दावे इन आंकड़ों से बिल्कुल उलट हैं। गुजरात सरकार का कहना है कि प्रदेश में किसानों की खुदकुशी के मामले काफी कम हैं। प्रदेश सरकार के आंकड़ों में 5 साल के भीतर किसानों की खुदकुशी के केवल 91 मामले दर्ज हैं।
बीजेपी भले किसानों की कर्जमाफी की बात कर रही है लेकिन महाराष्ट्र में उसी की सरकार है। महाराष्ट्र किसान आत्महत्या के मामले में पहले स्थान पर है। हालही में महाराष्ट्र विधानसभा में किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा भी उठा था।
विपक्ष का कहना था बीजेपी यूपी में किसानों की कर्जमाफी की बात कर रही है लेकिन महाराष्ट्र में वह किसानों के कर्ज माफ़ क्यों नही कर रही है, जबकि महाराष्ट्र किसानों की ख़ुदकुशी के मामले में सबसे ऊपर है।