नई दिल्ली : देश के सबसे बड़े राजनीति क घराने समाजवादी पार्टी में अब चाचा शिवपाल और भतीजे सीएम अखिलेश यादव के बीच चल रहे झगडे की चिंगारी की आग अब पिता मुलायम सिंह यादव पुत्र के बीच छिड़ गयी है. जिसके चलते सीएम अखिलेश अब जल्दी ही अपनी नई पार्टी बनाकर चार महीने बाद यूपी के विधानसभा चुनाव में अपने बलबूते चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं.
माँ से कैकेयी बनी साधना बेटे प्रतीक को बनाना चाहती हैं CM
सूत्रों के मुताबिक सीएम अखिलेश का यह निर्णय उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचने में कारगर साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है. दरअसल सीएम अखिलेश का यह निर्णय सही वक्त पर सही फैसला किया जाना बताया जा रहा है. इसकी प्रमुख वजह यह बताई जा रही है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव कि दूसरी पत्नी साधना गुप्ता अब अपने बेटे प्रतीक यादव को वह हक दिलाना चाहती हैं, जो अभी तक मुलायम ने उसको नहीं दिया. खबर है कि अखिलेश कि सौतेली माँ होने के कारण साधना गुप्ता अब कैकेयी बन चुकी हैं.
अखिलेश का फैसला बदल सकता है उनका जीवन
सूत्रों के मुताबिक परिवार में पिछले एक माह से अधिक समय से मची इस अंतर्कलह को लेकर अखिलेश अपने आपको परिवार से अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. जिसके चलते अखिलेश यादव ने पिछले कुछ दिनों से पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठना छोड़ दिया है. अखिलेश यादव किए नजदीकि सूत्रों का कहना है कि अखिलेश का यह फैसला कारगर साबित होगा. और अगर वह इस वक्त अपनी अलग पार्टी बनाकर चुनाव अपने बलबूते लड़ेंगे तो सूबे की जनता उनके साथ होगी.
सपा अखिलेश को CM का चेहरा बनाये सत्ता में नहीं लौटेगी
और तो और वर्तमान में सपा में जो गुंडागर्दी व्यापत है. उससे सपा की सरकार बिना सीएम का चेहरा अखिलेश को बनाये दोबारा बनने वाली नहीं. हालांकि भीतर से ये बात स्वयं मुलायम सिंह भी जानते हैं. लेकिन घर के भीतर कैकेयी बन चुकी अखिलेश की सौतेली माँ साधना गुप्ता अपने पुत्र प्रतीक को मुलायम के राजपाठ का उत्तराधिकारी बनाना चाहती हैं. जिसके चलते सपा मुखिया ने दो दिन पहले मीडिया से यह बात कही कि सीएम का चेहरा बाद में तय किया जायेगा. खबर है कि साधना गुप्ता प्रतीक यादव को यूपी में सीएम के सिंहासन पर बैठना चाहती हैं. जिसको लेकर ही पिछले एक माह से मुलायम के घर के भीतर सुलग रही चिंगारी बुझाने के बाद फिर आग पकड़ लेती है.
सपा ही नहीं बीजेपी के लिए भी खतरा
मुलायम के घर के भीतर तैनात सूत्रों के मुताबिक अक्सर परिवार में इस बात को लेकर कलह होती रहती है. इसीलिए सीएम अखिलेश अपने परिवार के साथ अलग रहने का मन बना चुके हैं. उधर यूपी के वरिष्ठ आईएएस अफसर ने भी बताया कि अखिलेश 17 नवंबर के बाद अपनी नई पार्टी कि घोषणा कर सकते हैं. बहरहाल अगर अखिलेश अपनी नई पार्टी बनाते हैं तो प्रदेश कि जनता का समर्थन उनके साथ होगा, जो सपा ही नहीं बीजेपी के लिए भी खतरे की घंटी साबित होगी.