नई दिल्ली : वर्दी का दम भरने वाली यूपी पुलिस के अफसर निशानेबाज़ी में कितने बड़े शूटर हैं. इसकी पोल मंगलवार को विजय दशमी के पर्व पर मुरादाबाद में आयोजित रामलीला में उस समय खुल गयी. जब मेघनाद, कुम्भकरण और रावण के पुतले को आग लगाने के लिए छोटे साहब से लेकर बड़े साहब तक का निशाना चूक गया.
जंग लग चुका है यूपी पुलिस के हाथों में
जी हां बड़े -बड़े बदमाशों के छक्के छुड़ाने का दम भरने वाली अखिलेश सरकार की पुलिस के हाथों में नोट गिनते- गिनते जंग लग चुका है. आलम यह है कि साल में आयोजित कि जाने वाली निशानेबाजी के दौरान जब भी उनका परिक्षण किया जाता है तो कभी किसी का निशाना नहीं लगता. तो कभी कोई गोली ही नहीं चला पाता. यह खबरें कई बार सामने आ चुकी है. लेकिन अभी तक यह खबरें सार्वजनिक रूप से सबके सामने नहीं आयीं थीं, लेकिन मंगलवार को सार्वजनिक हो जाने के बाद से जिले में यूपी पुलिस कि लोग सड़कों पर खिल्ली उड़ाते नजर आ रहे हैं.
निशानेबाजी में चुके पुलिस अफसर
बताया जाता है कि देश भर में बुराई के प्रतीक माने जाने वाले रावण को जलाया गया और अमरोहा में रावण मेघनाथ और कुम्भकरण के तीन पुतले बनाये गए. तीनों के दहन के लिए पुलिस के तीन अफसरों को चुना गया. सबसे पहला पुतला सीओ सिटी शील कुमार ने मेघनाथ के पुतले पर निशाना साधा तो तीर पुतले से टकराकर नीचे गिर गया और पुतला बनाने वाले युवक ने उस तीर को उठा कर पुतले को जलाया. अब बारी आयी जिले के अपर पुलिस अधीक्षक उदयशंकर की जिनको कुम्भकरण का पुतला दहन करना था. पर ये क्या ये भी चूक गये और फिर पुतला तीर उठाकर जलाना पड़ा.
SSP बन रहे थे चतुर पकडे गए
अब रावण दहन की बारी जिले के एसएसपी एस चनप्पा और डी एम वेदप्रकाश ने मौके पर पहुंचकर कमान संभाली तो एस पी अमरोहा ने चतुराई दिखाते हुए अपने धनुष से निकला अग्निवाण और रावण के पैरों के नीचे पड़े घांस-फूंस के ढेर पर ही छोड़ दिया, जिसके बाद एक युवक ने अग्निवाण को हाथ में उठाकर रावण के पुतले को आग लगाई और तब जाकर बुराई के प्रतीक रावण का दहन हो सका. बहरहाल पुलिस के अफसरों की निशाने बाजी की पोल खुलने के बाद पब्लिक में किरकिरी तो हुई ही है पर निशाने बाजी के बहाने हर साल बट पर होने वाली फॉयरिंग पर सवाल तो उठने लाजमी हैं