नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के दो ताकतवर ब्राह्मण नेताओं को लेकर मोदी और अमित शाह की लॉबी में बेचैनी बढ़ रही है. दोनों ही ब्राह्मण नेता 'शर्मा' है और अपने नाम के आगे डॉक्टर लिखते है. दोनों की संयोग से आरएसएस में बेहद गहरी पैठ है.
CM की दौड़ में महेश से आगे दिनेशसूत्रों के मुताबिक अमित शाह की लॉबी जहाँ केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाह रही है वहीँ मोदी के करीबी और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा भी मुख्यमंत्री की दौड़ में आगे है. दिनेश शर्मा कई वर्षों से लखनऊ के मेयर है और उनके न्योते पर ही मोदी इस साल दशहरा देखने लखनऊ पहुंचे थे. यही नही जिस दिन मोदी ने गुजरात छोड़कर दिल्ली की गद्दी संभाली थी उस दिन उन्होंने दिनेश शर्मा को गुजरात का प्रभारी बना दिया था. हालाँकि अरुण जेटली, स्मृति ईरानी या शाह की तरह दिनेश शर्मा ने मोदी से अपनी नज़दीकी का अब तक रौब नही गांठा है. कई नेताओं को तो दिनेश शर्मा और मोदी के नज़दीकी रिश्तों का ज्ञान पिछले महीने दशहरे के दिन मिला.
मीडिया हाउस लगा है महेश की पैरवी में सूत्रों ने बताया नोएडा में एक बड़ी हॉस्पिटल चेन के मालिक महेश शर्मा को एक मीडिया हाउस का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है. इस मीडिया हाउस के अलावा यूपी के एक विवादास्पद आईएएस अफसर भी अप्रत्यक्ष तौर पर महेश शर्मा को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के लिए प्रोजेक्ट कर रहे हैं. लेकिन महेश शर्मा जैसों को मोदी बहुत ज्यादा पसंद नही करते हैं. इसकी एक वजह महेश शर्मा पर लगे महंगी महँगी जमीन जायदाद खरीदने के आरोप हैं. भले ही वो सीबीआई जांच से बरी हो गए हों लेकिन महेश शर्मा की छवि मोदी की नज़रों में नितिन गडकरी जैसी ही है. उधर दिनेश शर्मा ने खुद को बेहद लो प्रोफाइल रखा है और उनपर काली कमाई के अब तक आरोप नही है.
मौर्या की हैसियत से बड़ी हैसियत है रेल राज्य मंत्री की
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री का उम्मीदवार का एलान ना होने की वजह से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या का भी नाम चल रहा है. लेकिन अशोक रोड स्थित बीजेपी के राष्ट्रीय मुख्यालय पर सक्रीय एक नेता ने कहा कि मौर्या की हैसियत से ज्यादा बड़ी हैसियत तो रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा की है. मौर्या सिर्फ जातीय आधार पर अध्यक्ष बनाए गए थे. उनकी पर्सनालिटी पूर्व अध्यक्ष लष्मीकांत वाजपेयी से भी हलकी है. बहरहाल आने वाले दिनों में जब बीजेपी विधान सभा चुनावों के टिकट बांटने शुरू करेगी तब पता लगेगा की कौन सा नेता कितने पानी में है.