लखनऊ : विधानसभा में नव नियुक्त अध्यक्ष चुने गए ह्रदय नारायण दीक्षित ने कहा कि आप सबका अत्यधिक आभार, साथ ही उन्होंने पूर्व में चली आ रही यूरोपीय परिपाटी, जिसमे की अध्यक्ष कहीं छुप जाया करता था और नेता सदन, नेता प्रतिपक्ष के साथ उन्हें ढूंढ कर लाते थे. अध्यक्ष को आसन पर बिठाने के लिए, उस परिपाटी को अब बदलने की आवश्यकता बतायी। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि मैं उस परिपाटी का विरोध करता हूँ, परंतु आज के समय में इस की आवश्यकता नहीं है।
सदन की गरिमा बनाये रहे की अपील
उन्होंने कहा कि जब कभी सभा का महत्त्व घटता है, सभा की शक्ति कम होती है, तब महाभारत जैसे युद्ध की स्थिति बनती है, सभा की गरिमा, सभा की महिमा पूरे देश में वाद-संवाद और निपुणता के लिये जानी जाए. ऐसी मेरी कामना है। आम जनता जो कि सभी कामो की कुंजी विधायक को मानती है और संसदीय नियमावली को अपनी अपेक्षाओं के सामने रखकर नहीं सोचती. इस सदन की जिम्मेदारी उनकी आशाओं के लिये काम करना रहा है। आज हम यहां बैठकर जो भी बातचीत कर रहे हैं, या हंस मुस्कुरा रहे हैं, यह सब जनता देख रही है. इसलिए किसी सरकार का नाम लिए बिना मई आज पहले दिन ही चाहूंगा कि पूर्व में इस सदन में पूर्व में हुए अप्रिय और सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली स्थिति अब न बने।
विधानसभा अध्यक्ष ने कुछ यूँ रखी अपनी बात
अध्यक्ष ने कहा कि आपने पढ़ा होगा कि भारतीय परंपरा में जब काग भुसुंडि और गरुड़ जो पक्षी के रूप में उल्लिखित हैं आपस में बिना लड़ाई के बात-विवाद संवाद कर सकते हैं, तो हम सभी जो लाखो जनाकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं बिना लड़े संवाद क्यों नहीं कर सकते। नए सदस्यों के लिये उन्होंने कहा कि उन्हें थोड़ा पढ़ना जरूर चाहिए. विधानसभा की लाइब्रेरी बहुत शानदार और समृद्ध है, तथा वहां की पुस्तकें और कुर्सियां उदास होकर भी आप सब का इंतज़ार करती है। क्योंकि सदस्य प्रायः वहां कम ही जाते रहे हैं। अंत में उन्होंने कहा कि मैं शीश झुकाकर सभी का आभार प्रगट करते हैं।
जानिए किसने क्या कहा ?
उत्तर प्रदेश विधानसभा में आज नए विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित को सर्व सम्मति से चुने जाने के बाद उनके लिए नेता सदन एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने स्वागत सम्बोधन प्रस्तुत किया। इसी क्रम में बोलते हुए बहुजन समाज पार्टी के विधानमंडल दल नेता लालजी वर्मा ने कहा कि इस पद पर पूर्व में जिम्मेदारी निभा चुके पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर भी हमारे बीच में इस सदन मइ सदस्य के रूप में उपस्थित हैं। जब राजभर जी सदन के अध्यक्ष थे तो वह विपक्ष को इतना अधिक समय देते थे, कि कभी कभी मुझे बड़ी परेशानी और कष्ट होता था।हम लोग उस समय सत्ता पक्ष में थे। और उनके इस स्वभाव-सदाशयता के चलते विपक्ष को हमें घेरने के ज्यादा अवसर मिलते रहे।
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