नई दिल्लीः पिता मुलायम सिंह का ही तख्तापलट कर सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अखिलश यादव की राजनीति क हसरतें कहीं ज्यादा बढ़ गईं हैं। यूपी में सबसे कम उम्र का मुख्यमंत्री बनने के बाद 38 वर्षीय अखिलेश की नजर अब देश का सबसे कम उम्र का प्रधानमंत्री बनने पर है। इसकी तैयारी भी अखिलेश की टीम ने शुरू कर दी है। माहौल बनाया जाने लगा है। यूपी के सियासी गलियारे से लेकर खबरनवीसों के बीच यह चर्चा है कि अगर दोबारा अखिलेश की सरकार रिपीट हुई तो फिर वे अपनी नजर दिल्ली पर केंद्रित करेंगे। यहां बता दें कि राजीव गांधी 41 साल की उम्र में देश के सबसे युवा पीएम हुए थे। अगला लोकसभा चुनाव अब 2019 में है तो अखिलेश के पास मौका है।
साझा प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश के कूटनीतिक बयान में झलकी महत्वाकांक्षा
सपा-कांग्रेस गठबंधन के बाद पहली बार बीते रविवार लखनऊ में राहुल और अखिलेश ने एक साथ प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान एक पत्रकार ने अखिलेश से सवाल किया कि राहुल आपको मुख्यमंत्री बनने में मदद कर रहे हैं। तो क्या आप 2017 में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने में मदद करेंगे। इस पर अखिलेश चालाकी के सात बात टाल गए। इसके बाद जो बयान दिया, वह बहुत कूटनीतिक था, मगर सियासी पंडितों के लिए उसका मतलब निकालना कोई कठिन काम नहीं था। अखिलेश ने मुस्कुराते हुए कहा कि अभी हम 2017 की बात कर रहे हैं, 2019 में हम दोनों मिलकर क्या करेंगे, यह हम अभी से आप को क्यों बताएं। इसके आगे अखिलेश ने जो लाइन कही, उसके खास मायने निकाले जा रहे। अखिलेश ने कहा कि-हम समाजवादी लोग बहुत अलग किस्म के हैं, हमेशा कुछ अलग काम करते हैं। यहां बता दें कि इससे पहले अखिलेश कांग्रेस की मदद से पिता मुलायम को प्रधानमंत्री पद पर देखने की हसरत जता चुके हैं। अब चूंकि पिता का राजनीतिक वजूद उन्होंने खुद खत्म कर दिया है तो माना जा रहा कि अखिलेश अब खुद पीएम की रेस में अपने को प्रोजेक्ट करने की तैयारी में हैं।
मोदी के खिलाफ यूं नहीं चेहरा बनने की कोशिश
उत्तर प्रदेश में 1989 के बाद से कोई सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आई है। अखिलेश के आगरा एक्सप्रेस वे, मेट्रो जैसे कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स से जनता में यह संदेश गया है कि वह तरक्कीपसंद ख्यालात वाले हैं। ऐसे में अखिलेश को भरोसा है कि वे दोबारा सरकार बनाएंगे। इस पर अखिलेश के करीबी मानते हैं कि अगर अखिलेश दोबारा मुख्यमंत्री बने वो भी जब परिवार में उनके पिता और चाचा भी विरोध में खड़े हैं, तब एक करिश्मा होगा। चूंकि यूपी सबसे बड़ा सूबा है। सबसे ज्यादा लोकसभा की 80 सीटें यहां हैं। ऐसे में अखिलेश 2019 के चुनाव के लिए पार्टी को यूपी सहित अन्य राज्यों में भी चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। मोदी को लेकर जिस तरह से सभी विरोधी दल परेशान हैं, अखिलेश उन्हें एक मंच पर लाकर खुद मोदी के खिलाफ अपने को बड़ा चेहरा प्रोजेक्ट करेंगे। ताकि पीएम बनने की हसरत पूरी हो सके।