प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे हैं ।ठंड के कहर से लड़ रहे हैं ।कल बहुत से संदेश मिले बधाई के क्योंकि पुस्तक प्रतियोगिता में किताब प्रथम जो आई है।आज का विषय:- एक लुप्त होती स्वतंत्रताहम एक स्वतंत्र देश में
एक गुलामी से आजाद हुए 75 वर्ष हो चुके है । यह एक तरह से जमीन व हक के लिए लड़ाई थी। जो हमारे पूर्वज व देश के क्रान्तिकारियों ने लड़ी । अंग्रेजो के जुल्म से राहत मिली । लोग अपना खेती व्यवसाय करने में
समानता का अधिकार सबके लिए था प्यारा सभी नागरिकों के लिए था सहारा कहलाते थे हम सभी आजाद पर आज के हालतों ने दबाव में ला दिया हमे वापस परतंत्र बना दिया ऑफिस में अफसर की करो गुलाम
स्वतन्त्रता लुप्त हो रही है मनुष्य कीहर राह उसे डर सता रहाउन मानवता के लुटेरों काजो निर्दयता सेछीन लेते हैं मानव की जिंदगीडर लगता है उन दैत्यों सेजो छीन लेते हैं एक मां-बाप से उसका बेटाएक बहिन से