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आध्यात्मिक

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एक बार एक व्यक्ति कुछ पैसे निकलवाने के लिए बैंक में गया। जैसे ही कैशियर ने पेमेंट दी कस्टमर ने चुपचाप उसे अपने बैग में रखा और चल दिया।उसने एक लाख चालीस हज़ार रुपए निकलवाए थे। उसे पता था कि कैशियर ने ग़ल

एक बार देवर्षि नारद ज्ञान का प्रचार करते हुए किसी सघन वन में जा पहुँचे।वहाँ उन्होंने एक बहुत बड़ी घनी छाया वाला सेमल का वृक्ष देखा। उसकी छाया में विश्राम करने का विचार कर नारद उसके नीचे बैठ गए।नारद जी

डायरी दिनांक ०६/०४/२०२२  शाम के छह बजकर दस मिनट हो रहे हैं ।  अभी अप्रेल का आरंभ ही है। पर गर्मी कुछ ज्यादा ही हो गयी है। तापमान ४२ डिग्री के लगभग रह रहा है। आफिस में भी बहुत गर्मी रहती है।

रात में सन्नाटा जब छा जाता, शान्त वातावरण हो जाता, मन को मिलती शांति, दूर होती अशान्ति, दिनभर थके मान्दे लोग, करते हैं आराम, बन्द हो जाते हैं सब कलकारखाने और काम,  जाने लगते सब निद्रा की गोद में

मुक्तक-----हे जगदम्बे मैया हमारी आपसे गुजारिशसबके दिलों पर करदो रहमतों की बारिशहर शख्स है दुःखी मुशीवतों का दौर है।आसरा तेरा लिया फिर जाना न कहीं और है।।स्वरचित मुक्तक--रामसेवक गुप्ता ✍️आगरा यूपी

हिन्दू धर्म में मां दुर्गा का अपना एक खास महत्व है। नवरात्रि आते ही हर जगह मां के मंदिर सज जाते हैं और भक्त कतारों में खड़े होकर माता के दर्शन की प्रतीक्षा करते हैं। मां दुर्गा को पहाड़ावाली, शेरावाली,

एक बार विश्वामित्र जी और वशिष्ठ जी में इस बात पर बहस हो गई, कि सत्संग बड़ा है या तप।  विश्वामित्र जी ने कठोर तपस्या करके ऋध्दी-सिध्दियों को प्राप्त किया था इसीलिए वे तप को बड़ा बता रहे थे।  जबकि वशि

सुन्दरकांड में श्री हनुमानजी ने लंका का दहन किया परन्तु श्रीराम जी ने तो ऐसा कोई आदेश उन्हें नहीं दिया था। फिर भी हनुमानजी ने लंका जला डाली। प्रभु ने तो हनुमान जी को सीताजी के सम्मुख अपने बल और विरह

आंध्रप्रदेश के खम्मम जिले में बना हनुमान जी का मंदिर काफी मायनों में खास है। यहां हनुमान जी अपने ब्रह्मचारी रूप में नहीं बल्कि गृहस्थ रूप में अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ विराजमान है।  हनुमान जी के सभी

राजा दिलीप धैर्य के सा अपने धर्म का पालन करते थे। धन एकत्रित करने में उनको किसी प्रकार का लोभ नहीं सताता था। लोभ का त्याग करके ही वे धन का संग्रह करते थे। इसी तरह संसार के सुख का भी उनमें किसी प्रकार

एक टक देर तक उस सुपुरुष को निहारते रहने के बाद वृद्धा भीलनी के मुंह से स्वर फूटे- कहो राम, शबरी की कुटिया को ढूंढ़ने में अधिक कष्ट तो नहीं हुआ। राम मुस्कुराए,यहां तो आना ही था मां, कष्ट का क्या मोल। 

प्राचीनकाल में मिथिला नगर में सीरध्वज जनक नाम से प्रसिद्ध धर्मात्मा राजा राज्य करते थे। एक बार राजा जनक यज्ञ के लिए पृथ्वी जोत रहे थे। उस समय चौड़े मुंह वाली सीता (हल के धंसने से बनी गहरी रेखा) से एक

यह कथा तब की है जब बाली को ब्रह्मा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ था कि जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा। उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर में चली जाएगी और इससे बाली हर युद्ध में विजयी रहेगा।   सुग्रीव और

भगवान राम जब वनवास में थे तब उनकी मुलाकात शबरी से हुई। शबरी का असली नाम श्रमणा था...जो एक भील समुदाय से थी। शबरी का विवाह एक भील कुमार से हुआ था। शबरी के पिता भील जाति के मुखिया थे। शबरी का हृदय बहुत

देवी सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं इसलिए उन्हें 'जानकी' भी कहा जाता है। कहते हैं कि राजा जनक को माता सीता एक खेत से मिली थी। इसीलिए उन्हें धरती पुत्री भी कहा जाता है। लक्ष्मण, भारत और

पवनपुत्र हनुमानजी के अजरअमर होने के दस प्रामाणिक साक्ष्य हैं। जिन्हें पढ़कर आप सब हनुमान जी के परम भक्त बन जाएंगे। कलयुग में अगर सुखी रहना चाहते हैं तो हनुमान जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। हनुमान जी

डायरी दिनांक ०५/०४/२०२२ शाम के सात बजकर पांच मिनट हो रहे हैं ।   कल की तरह आज का दिन भी व्यस्तता भरा रहा। कुछ विभागीय समस्याएं पूरे दिन परेशान करती रहीं। जिनका कोई निदान नहीं मिला। कभी कभी

राम जी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो कुछ दिन पश्चात राम जी ने विभीषण, जामवंत, सुग्रीव और अंगद आदि को अयोध्या से विदा कर दिया।   तो सब ने सोचा हनुमान जी को प्रभु बाद में विदा करेंगे.. लेकिन राम जी न

सबसे पहले हमारे हनुमान जी महाराज ने रामायण लिखी थी। पत्थरों की सलाह पर... राम कथा का लेखन किया था। अपने नाखून से बाल्मीकि को दिखाया...देखो महाराज मैंने भी राम कथा लिखी है। बाल्मीकि जी ने जब हनुमान जी

सप्तऋषि या सप्तर्षि का अर्थ है सात ऋषि। ये सातों ऋषि प्राचीन भारत के ऋषि हैं। जिनका जिक्र वेदों और अन्य हिंदू ग्रंथों में मिलता है। वैदिक संहिता में इन ऋषियों की संख्या के बारे में कोई विवरण नहीं है ल

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