एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था. उसमें तरह-तरह के फल होते थे और उस बगीचा की सारी देखरेख एक किसान अपने परिवार के साथ करता था. वह किसान हर दिन बगीचे के ताज़े फल लेकर राजा के राजमहल में जाता थाएक दिन
नवरात्र यानी मां अंबे के नौ रूपों की आराधना में डूब जाने के खास नौ दिन। खुद को पूरी तरह से उन्हें समर्पित कर देने का समय। आपके नवरात्र को खास बनाने के लिए हम लेकर आए हैं, मां की आराधना, आरती और आहार स
जीवन में जब उम्मीद की कोई भी किरण शेष न रहे उस स्थिति में भी कोशिश और धैर्य इन दो चीजों का परित्याग नहीं करना चाहिए।कोशिश - ये तो आप सभी ने सुना ही होगा कि लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती।कोशिश करने
पूर्व जन्म के कर्मों से ही हमें इस जन्म में माता-पिता,& भाई बहिन, पति-पत्नि, प्रेमिका, मित्र-शत्रु, सगे-सम्बंधी इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते नाते है, सब मिलते है। क्यों कि इन सबको हमें या
एक बार एक शिव भक्त धनिक शिवालय जाता है। पैरों में महँगे और नये जूते होने पर सोचता है कि क्या करूँ? यदि बाहर उतार कर जाता हूँ तो कोई उठा न ले जाये और अंदर पूजा में मन भी नहीं लगेगा। सारा ध्यान् जूतों प
बहुत समय पहले की बात है जब सिकंदर अपने शक्ति के बल पर दुनिया भर में राज करने लगा था वह अपनी शक्ति पर इतना गुमान करने लगा था कि अब वह अमर होना चाहता था उसने पता लगाया कि कहीं ऐसा जल है जिसे पीने से व्य
एक सेठ अपने बगीचे से बहुत प्रेम करते थे. वसंत आते ही उनके बगीचे मे हर तरह के फूलों ने अपनी छटा बिखेर दी..सुंदर सुंदर फूलों के बीच जब सेठ जंगली फूलों को देखते तो उदास हो जाते..सेठ ने उन जंगली फूलों को
इच्छा केवल त्याज्य एवं बुरी ही नहीं होती है क्योंकि इच्छा ही तो जीवन की किसी भी उपलब्धि का प्रारंभिक बिंदु है।इच्छा ही न होती तो कलेक्टर, कलेक्टर कैसे बन जाता..? अगर इच्छा ही न होती तो एक डाक्टर, डाक्
जिस प्रकार से जहर को खा लेने पर वह स्वयं के लिए घातक होता है, उसी प्रकार से आपका क्रोध, आपकी नफरत, आपकी ईर्ष्या और आपका द्वेष भी एक धीमा जहर है। आदमी क्रोध, नफरत, ईर्ष्या और द्वेष करता है और सोचत
माता के दरबार में, जयकारों का घोष!जो बोले, उसके मिटें,दुःख,दारुण और दोष!!...जग माता, जग भाग्य विधाता, "जय माता की"!स्वास्थ्य,शान्ति,सु
डायरी दिनांक ०३/०४/२०२२ - महर्षि याज्ञवल्क्य दोपहर के दस बजकर चालीस मिनट हो रहे हैं । कल अपनी डायरी में मैंने श्रीरामचरित मानस में वर्णित महर्षियों के विषय में लिखने के बारे में बताया था
एक बार एक किसी गाँव मे एक साधु प्रवचन दे रहे थे । साधु की बाते और ईस्वर से जुड़े तथ्य सुनकर लोग भाव विभोर हो रहे थे । साधु जी बोल रहे थे कि आप जितना प्रेम उस ईस्वर को करते हो वह आपको उससे अधिक प्रेम कर
दुर्गे मां की बंदना--भक्ति गीतमैया तू मेरी चित चोरतेरे सिवाय न कोई औरमैं पतंग तेरे हाथ में मेरी ड़ोर।।जय जगदम्बे मैया जय जय जगदम्बे मैया।।तू ममता भी प्रेम की मूरतहर दुखिया को तेरी जरुरतफिर क्यों ना नि
2 अप्रैल 2022 शनिवार समय- 11:28 (रात)मेरी प्यारी सखी, विश्वास, आस्था की मान्यता के रूप में मां अम्बे की आराधना
डायरी दिनांक ०२/०४/२०२२ शाम के चार बजकर पच्चीस मिनट हो रहे हैं । जीवन और अनिश्चितता एक ही सिक्के के दो पहलू जैसे हैं। अ
माता ब्रह्मचरणी माता पार्वती का ही स्वरूप है हिमालराज के यहाँ जन्म लेने के बाद एक बार नारद मुनि के मुख से भगवान शिव की महिमा और उनके रूप के वर्णन को सुनने के बाद देवी पार्वती महादेव को मन
भेजा राम ने एक गुप्तचरजाओ प्रजा के बीच जाओदेखो कैसी दशा प्रजा कीआकर मुझको हाल सुनाओगया गुप्तचर भेस बदलनगर नगर घूमा रात भरलिया हाल प्रजा के मन काहिल गया अन्त:स्थल दिल कापहुँचा राजा राम के सम्मुखमौन धार
दिनाँक: 02.04.2022समय : दोपहर 1 बजेडियर डायरी,विक्रमी संवत 2079, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। उत्तर वालों को गुड़ी पड़वा और दक्षिण वालों को उगादी की ढेर सारी शुभकामनाएं!💐💐💐💐💐 नौदुर्गा और नवर
हाथ जोड़ करी ले विनतीहमरे घरे आई न भवानीचउका पुरवली ऐ माईफल ले अइली होनिमिया के डाढ़ नीचे झुलुवा लगवली होनिमिया के डाढ़ नीचे......आई न आई माई झुलुवा झुलाइब होरउआ खातिर गोटेदार चुनरिया हम लाइब होनिमि
माता सती देवी पार्वती का ही पूर्व का जन्म था । देवी सती दक्ष की कन्या के रूप में प्रकट हुई थी । देवी सती अत्यंत गौर वर्ण की थी पर क्रोध में उनका चेहरा अग्नि के समान लाल हो जाता था । देवी सती का प्रत्य