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आध्यात्मिक

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1.वादा करने से पहले एक बारसोचें.2. साथ देने से पहले दो बार सोचे3.बात से मुकरने से पहले तीन बारसोचें4.रिश्ता तोड़ने से पहले चार बारसोचें5.धोखा देने से पहले पांच बारसोचें6.अन्याय करने से पहले छः बारसोचे

1. सोचो मत, शुरुआत करो।2. वादा मत करो, साबित करो।3. बताओ मत, करके दिखाओ।

 कोई बात अगर आपके अनुरूप न हो तो उसका केवल इतना ही अर्थ नहीं होता है कि वो एकदम गलत है अपितु उसका एक अर्थ यह भी है, कि हो सके उस बात को समझने के लायक आपकी बुद्धि का स्तर ही न हो।दुनियाँ की प्रतिस

देवी अपराजिता स्तोत्र विशेष 〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️ अपराजिता का अर्थ है जो कभी पराजित नहीं होता।देवी अपराजिता के सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य भी जानने योग्य हैं जैसे कि उनकी मूल प्रकृति क्या है ? देवी

श्रीचण्डी ध्वज स्तोत्रम्   〰🌼〰🌼〰🌼〰 महत्व 👉 देवी के अनेक रुपों में एक रुप चण्डी का भी है. देवी काली के समान ही देवी चण्डी भी प्राय: उग्र रूप में पूजी जाती हैं, अपने भयावह रुप में मां दुर्गा चण्डी अ

"मानो तो सुख" सुधिजन हमें लाख समझाए दुनिया में कोई सुख न पाए मानो तो सुख है बस वरना ढूँढे से सुख नजर न आए

डायरी दिनांक ०७/०४/२०२२ शाम के छह बजकर पैतीस मिनट हो रहे हैं ।   लगातार साथ रहने बाले पत्थर से भी मनुष्य को कुछ प्रेम हो जाता है। वह उस पत्थर को वहां से हटाना नहीं चाहता। उसकी आंखें हर रोज

आज अयोध्या नगरी प्यारा लागेअयोध्या वासी नाचन लागे होआज अयोध्या नगरी प्यारा लागे होमाँ कौशल्या के हुए है ललनामाँ कौशल्या लुटाए है कंगनाराजा दशरथ बजवाये है बजनवा होरानी आये है लेने ललनाराजा दशरथ लुटाए ह

मुक्तक----मां अनाचार बढ़ रहा देश में आप रौद्र रूप धारों।अब शैतानों का गला खींचकर धर-धर दे मारो।।अबलाओं पर ज़ुल्म बढ़ रहे कोन उनको बचाये।चण्डी का साहस दो माता फिर ना कोई सताये।।स्वरचित मुक्तक--रामसेवक

समाज में तीन प्रकार के लोग रहते है :उत्तम- ये वे लोग हैं जो अपने पूर्वजों से,शास्त्रों से शिक्षा लेकर अपने को सुव्यवस्थित और समय के अनुकूल ढालते हुए चलते हैं।मध्यम- वे लोग हैं जो अपने पूर्वजों से अपन

*|| श्री ललिता पञ्चरत्नं स्तोत्र ||*🙏 प्रातः स्मरामि ललितावदनारविन्दं बिम्बाधरं पृथुलमौक्तिकशोभिनासम् ।   आकर्णदीर्घनयनं मणिकुण्डलाढ्यं मन्दस्मितं मृगमदोज्ज्वलफालदेशम् ॥१॥     प्रातर्भजामि ललिताभुजक

द्वितीय शक्ति ब्रह्मचारिणीनवदुर्गाओं में दूसरी दुर्गा का नाम ब्रह्मचारिणी है। इनकी पूजा-अर्चना नवरात्र की द्वितीया तिथि के दौरान की जाती है। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और भव्य है। मा

 अनुशासित जीवन सदैव आदर्श जीवन भी होता है। माता - पिता के द्वारा डाँटा गया पुत्र, गुरु के द्वारा डाँटा गया शिष्य एवं सुनार के द्वारा पीटा गया सोना सदैव आभूषण ही बनते हैं।प्रहार ही तो जीवन में निख

दर्द दो तरह के होते हैं......एक आपको तकलीफ देता है, और एक आपको बदल देता हैकिसी भी लक्ष्य को पाने के लिए तीन बातो का होना अनिवार्य हैइच्छा, विश्वास, और मेहनत..जीवन में हर चीज और हर बात को समझने का

 जो होने वाला है वह तो होगा ही, उसको कोई अपनी शक्ति से रोक नहीं सकता और जो नहीं होने वाला है वह कभी होगा नहीं, उसको कोई अपने बल-बुद्धि से कर नहीं सकता इसलिए सिद्धि असिद्धि में सम रहते हुए कर

शरीर मे शक्ति वह जो शरीर को संचालित कर रही है । संसार की शक्ति वह जो प्रकृति को संचालित कर रही है । जिसे हम ईस्वर कहते है , न मानने वाले गॉड पार्टिकल यह एलियंस टेक्नोलॉजी  ( नाशा ,  बुद्ध जी

    एक बार एक राजा था। एक दिन वह बड़ा प्रसन्न मुद्रा में था सो अपने वज़ीर के पास गया और कहा कि तुम्हारी जिंदगी की सबसे बड़ी ख़्वाहिश क्या हैं? वज़ीर शरमा गया और नज़रे नीचे करके बैठ गया। राजा

एक बार एक चोर जब मरने लगा तो उसने अपने बेटे को बुलाकर एक नसीहत दी:-” अगर तुझे चोरी करनी है तो किसी गुरुद्वारा, धर्मशाला या किसी धार्मिक स्थान में मत जाना बल्कि इनसे दूर ही रहना और दूसरी बात अगर कभी पक

 एक बार एक गुरूजी अपने शिष्यों को भक्ति का उपदेश देते हुए समझा रहे थे कि बेटा पक्के साधक बनो, कच्चे साधक ना बने रहो । कच्चे पक्के साधक की बात सुनकर एक नये शिष्य के मन में सवाल पैदा हुआ !उसने पूछ

   रात दस बजे लगभग अचानक मुझे एलर्जी हो गई।घर पर दवाई नहीं, न ही इस समय मेरे अलावा घर में कोई और, श्रीमती जी बच्चों के पास गोवा और हम रह गए अकेले। ड्राईवर भी अपने घर जा चुका था बाहर हल्की बा

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