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आदमियों की कौमें और जबानें- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021

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हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुरू में वह कहाँ आबाद हुए। शायद आदमी एक ही वक्त में, कुछ आगे पीछे दुनिया के कई हिस्सों में पैदा हुए। हाँ, इसमें ज्यादा सन्देह नहीं है कि ज्यों-ज्यों बर्फ के जमाने के बड़े-बड़े बर्फीले पहाड़ पिघलते और उत्तर की ओर हटते जाते थे, आदमी ज्यादा गर्म हिस्सों में आते जाते थे। बर्फ के पिघल जाने के बाद बड़े-बड़े मैदान बन गए होंगे, कुछ उन्हीं मैदानों की तरह जो आजकल साइबेरिया में हैं। इस जमीन पर घास उग आई और आदमी अपने जानवरों को चराने के लिए इधर-उधर घूमते-फिरते होंगे। जो लोग किसी एक जगह टिक कर नहीं रहते बल्कि हमेशा घूमते रहते हैं 'खानाबदोश' कहलाते हैं। आज भी हिंदुस्तान और बहुत से दूसरे मुल्कों में ये खानाबदोश या बंजारे मौजूद हैं।

आदमी बड़ी-बड़ी नदियों के पास आबाद हुए होंगे, क्योंकि नदियों के पास की जमीन बहुत उपजाऊ और खेती के लिए बहुत अच्छी होती है। पानी की तो कोई कमी थी ही नहीं और जमीन में खाने की चीजें आसानी से पैदा हो जाती थीं, इसलिए हमारा खयाल है कि हिंदुस्तान में लोग सिन्धु और गंगा जैसी बड़ी-बड़ी नदियों के पास बसे होंगे, मेसोपोटैमिया में दजला और फरात के पास, मिस्र में नील के पास और उसी तरह चीन में भी हुआ होगा।

हिंदुस्तान की सबसे पुरानी कौम, जिसका हाल हमें कुछ मालूम है, द्रविड़ है। उसके बाद, हम जैसा आगे देखेंगे, आर्य आए और पूरब में मंगोल जाति के लोग आए। आजकल भी दक्षिणी हिंदुस्तान के आदमियों में बहुत-से द्रविड़ों की संतानें हैं। वे उत्तर के आदमियों से ज्यादा काले हैं, इसलिए कि शायद द्रविड़ लोग हिंदुस्तान में और ज्यादा दिनों से रह रहे हैं। द्रविड़ जातिवालों ने बड़ी उन्नति कर ली थी, उनकी अलग एक जबान थी और वे दूसरी जातिवालों से बड़ा व्यापार भी करते थे। लेकिन हम बहुत तेजी से बढ़े जा रहे हैं।

उस जमाने में पश्चिमी-एशिया और पूर्वी-यूरोप में एक नई जाति पैदा हो रही थी। यह आर्य कहलाती थी। संस्कृत में आर्य शब्द का अर्थ है शरीफ आदमी या ऊँचे कुल का आदमी। संस्कृत आर्यों की एक जबान थी इसलिए इससे मालूम होता है कि वे लोग अपने को बहुत शरीफ और खानदानी समझते थे। ऐसा मालूम होता है कि वे लोग भी आजकल के आदमियों की ही तरह शेखीबाज थे। तुम्हें मालूम है कि अंग्रेज अपने को दुनिया में सबसे बढ़ कर समझता है, फ्रांसीसी का भी यही खयाल है कि मैं ही सबसे बड़ा हूँ, इसी तरह जर्मन, अमरीकन और दूसरी जातियाँ भी अपने ही बड़प्पन का राग अलापती हैं।

ये आर्य उत्तरी-एशिया और यूरोप के चरागाहों में घूमते रहते थे। लेकिन जब उनकी आबादी बढ़ गई और पानी और चारे की कमी हो गई तो उन सबके लिए खाना मिलना मुश्किल हो गया इसलिए वे खाने की तलाश में दुनिया के दूसरे हिस्सों में जाने के लिए मजबूर हुए। एक तरफ तो वे सारे यूरोप में फैल गए, दूसरी तरफ हिंदुस्तान, ईरान और मेसोपोटैमिया में आ पहुँचे। इससे मालूम होता है कि यूरोप, उत्तरी हिंदुस्तान और मेसोपोटैमिया की सभी जातियाँ असल में एक ही पुरखों की संतान हैं, यानी आर्यों की; हालाँकि आजकल उनमें बड़ा फर्क है। यह तो मानी हुई बात है कि इधर बहुत जमाना गुजर गया और तब से बड़ी-बड़ी तब्दीलियाँ हो गईं और कौमें आपस में बहुत कुछ मिल गईं। इस तरह आज की बहुत-सी जातियों के पुरखे आर्य ही थे।

दूसरी बड़ी जाति मंगोल हैं। यह सारे पूर्वी एशिया अर्थात चीन, जापान, तिब्बत, स्याम (अब थाइलैंड) और बर्मा में फैल गई। उन्हें कभी-कभी पीली जाति भी कहते हैं। उनके गालों की हड्डियाँ ऊँची और आँखें छोटी होती हैं।

अफ्रीका और कुछ दूसरी जगहों के आदमी हब्शी हैं। वे न आर्य हैं, न मंगोल और उनका रंग बहुत काला होता है। अरब और फलिस्तीन की जातियाँ अरबी और यहूदी एक दूसरी ही जाति से पैदा हुईं।

ये सभी जातियाँ हजारों साल के दौरान में बहुत-सी छोटी जातियों में बँट गई हैं और कुछ मिल-जुल गई हैं। मगर हम उनकी तरफ धयान न देंगे। भिन्न-भिन्न जातियों के पहचान का एक अच्छा और दिलचस्प तरीका उनकी जबानों का पढ़ना है। शुरू-शुरू में हर एक जाति की एक अलग जबान थी, लेकिन ज्यों-ज्यों दिन गुजरते गए उस एक जबान से बहुत-सी जबानें निकलती गईं। लेकिन ये सब जबानें एक ही माँ की बेटियॉं हैं। हमें उन जबानों में बहुत-से शब्द एक-से ही मिलते हैं और इससे मालूम होता है कि उनमें कोई गहरा नाता है।

जब आर्य एशिया और यूरोप में फैल गए तो उनका आपस में मेल-जोल न रहा। उस जमाने में न रेलगाड़ियाँ थीं, न तार व डाक, यहाँ तक कि लिखी हुई किताबें तक न थीं। इसलिए आर्यों का हर एक हिस्सा एक ही जबान को अपने-अपने ढंग से बोलता था, और कुछ दिनों के बाद यह असली जबान से, या आर्य देशों की दूसरी बहनों से, बिल्कुल अलग हो गई। यही सबब है कि आज दुनिया में इतनी जबानें मौजूद हैं।

लेकिन अगर हम इन जबानों को गौर से देखें तो मालूम होगा कि वे बहुत-सी हैं लेकिन असली जबानें बहुत कम हैं। मिसाल के तौर पर देखो कि जहाँ-जहाँ आर्य जाति के लोग गए वहाँ उनकी जबान आर्य खानदान की ही रही है। संस्कृत, लैटिन, यूनानी, अंग्रेजी, फ्रांसीसी, जर्मन, इटालियन और बाज दूसरी जबानें सब बहनें हैं और आर्य खानदान की ही हैं। हमारी हिन्दुस्तानी जबानों में भी जैसे हिंदी, उर्दू, बाँग्ला, मराठी और गुजराती सब संस्कृत की संतान हैं और आर्य परिवार में शामिल हैं।

जबान का दूसरा बड़ा खानदान चीनी है। चीनी, बर्मी, तिब्बती और स्यामी जबानें उसी से निकली हैं। तीसरा खानदान शेम जबान का है, जिससे अरबी और इबरानी जबानें निकली हैं।कुछ जबानें जैसे तुर्की और जापानी इनमें से किसी वंश में नहीं हैं। दक्षिणी हिंदुस्तान की कुछ जबानें, जैसे तमिल, तेगलु, मलयालम और कन्नड़ भी उन खानदानों में नहीं हैं। ये चारों द्रविड़ खानदान की हैं और बहुत पुरानी हैं।

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रचनाएँ
पिता के पत्र पुत्री के नाम- जवाहरलाल नेहरू
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आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसमें अपनी एकलौती बेटी इंदिरा नेहरू का जिक्र किया था। जिसका सारांश इस प्रकार है- एक खत एकाएक खत्म हो जाता है। गर्मी का मौसम खत्म होता है और इंदिरा पहाड़ से उतर आई। फिर ऐसे खत लिखने का मौका मुझे नहीं मिला। उसके बाद के साल वह पहाड़ नहीं गई और दो साल बाद 1630 में मुझे नैनी की जो पहाड़ नहीं है, यात्रा करनी पड़ी। नैनी जेल में कुछ और पत्र मैंने इंदिरा को लिखे लेकिन वे भी अधूरे रह गए और भौर छोड़ दिया गया। ये नए खत इस किताब में शामिल नहीं है।
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पिता के पत्र पुत्री के नाम

2 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61580f00a9e73b20b620

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संसार पुस्तक है- नेहरू/ प्रेमचंद

26 अक्टूबर 2021
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<p>जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश क

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शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया - जवाहरलाल नेहरू

26 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पहले पन्‍ने में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मा

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जमीन कैसे बनी - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>तुम जानती हो कि जमीन सूरज के चारों तरफ घूमती है और चाँद जमीन के चारों तरफ घूमता है। शायद तुम्हें

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जानवर कब पैदा हुए - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होनेवाले पौधे दुनिया की जानदार च

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आदमी कब पैदा हुआ- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने तुम्हें पिछले खत में बतलाया था कि पहले दुनिया में बहुत नीचे दरजे के जानवर पैदा हुए और धीरे-

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शुरू के आदमी- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने अपने पिछले खत में लिखा था कि आदमी और जानवर में सिर्फ अक्ल का फर्क है। अक्ल ने आदमी को उन बड

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तरह- तरह की कौमें क्योंकर बनीं- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने नए पत्थर-युग के आदमियों का जिक्र किया था जो खासकर झीलों के बीच में मकानों

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आदमियों की कौमें और जबानें- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुर

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जबानों का आपस में रिश्ता- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि आर्य बहुत-से मुल्कों में फैल गए और जो कुछ भी उनकी जबान थी उसे अपने साथ लेते ग

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सभ्यता क्या है?- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहि

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जातियों का बनना- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने पिछले खतों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिल

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मजहब की शुरुआत और काम का बंटवारा- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>पिछले खत में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने जमाने में आदमी हर एक चीज से डरता था और खयाल करता थ

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खेती से पैदा हुई तब्दीलियां- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी

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खानदान का सरगना कैसे बना- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे भय है कि मेरे खत कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब जिंदगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज

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सरगना का इख्तियार कैसे बढ़ा- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुजुर्गों का हाल तुम्हें रूखा न मालूम होता होगा।</p> <p>

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सरगना राजा हो गया- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>बूढ़े सरगना ने हमारा बहुत-सा वक्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फुर्सत पा जाएंगे या यों कहो उसका

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शुरू का रहन-सहन- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>सरगनों और राजाओं की चर्चा हम काफी कर चुके। अब हम उस जमाने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंग

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पुरानी दुनिया के बडे़-बड़े शहर- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>मैं लिख चुका हूँ कि आदमियों ने पहले-पहल बड़ी-बड़ी नदियों के पास और उपजाऊ घाटियों में बस्तियाँ बना

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मिस्र और क्रीट- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>पुराने जमाने में शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े

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चीन और हिंदुस्तान- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम लिख चुके हैं कि शुरू में मेसोपोटैमिया, मिस्र और भूमध्‍य सागर के छोटे-से टापू क्रीट में सभ्यता

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समुद्री सफर और व्यापार- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>फिनीशियन भी पुराने जमाने की एक सभ्य जाति थी। उसकी नस्ल भी वही थी जो यहूदियों और अरबों की है। वे ख

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भाषा, लिखावट और गिनती- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही जिक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है।

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आदमियों के अलग-अलग दरजे- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>लड़के, लड़कियों और सयानों को भी इतिहास अकसर एक अजीब ढंग से पढ़ाया जाता है। उन्हें राजाओं और दूसरे

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राजा, मंदिर और पुजारी- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>हमने पिछले खत में लिखा था कि आदमियों के पाँच दरजे बन गए। सबसे बड़ी जमात मजदूर और किसानों की थी। क

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पीछे की तरफ एक नजर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>तुम मेरी चिट्ठियों से ऊब गई होगी! जरा दम लेना चाहती होगी। खैर, कुछ अरसे</p> <p>तक मैं तुम्हें नई

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फॉसिल और पुराने खंडहर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>मैंने अरसे से तुम्हें कोई खत नहीं लिखा। पिछले दो खतों में हमने उस पुराने जमाने पर एक नजर डाली थी

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