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सरगना राजा हो गया- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021

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बूढ़े सरगना ने हमारा बहुत-सा वक्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फुर्सत पा जाएंगे या यों कहो उसका नाम कुछ और हो जाएगा। मैंने तुम्हें यह बतलाने का वायदा किया था कि राजा कैसे हुए और वह कौन थे और राजाओं का हाल समझने के लिए पुराने जमाने के सरगनों का जिक्र जरूरी था। तुमने जान लिया होगा कि यह सरगना बाद को राजा और महाराजा बन बैठे। पहले वह अपनी जाति का अगुआ होता था। अंग्रेजी में उसे 'पैट्रियार्क' कहते हैं। 'पैट्रियार्क' लैटिन शब्द 'पेटर' से निकला है जिसके माने पिता के हैं। 'पैट्रिया' भी इसी लैटिन शब्द से निकला है जिसके माने हैं 'पितृभूमि'। फ्रांसीसी में उसे 'पात्री' कहते हैं। संस्कृत और हिंदी में हम अपने मुल्क को 'मातृभूमि' कहते हैं। तुम्हें कौन पसंद है? जब सरगना की जगह मौरूसी हो गई या बाप के बाद बेटे को मिलने लगी तो उसमें और राजा में कोई फर्क न रहा। वही राजा बन बैठा और राजा के दिमाग में यह बात समा गई कि मुल्क की सब चीजें मेरी ही हैं। 

उसने अपने को सारा मुल्क समझ लिया। एक मशहूर फ्रांसीसी बादशाह ने एक मर्तबा कहा था 'मैं ही राज्य हूँ।' राजा भूल गए कि लोगों ने उन्हें सिर्फ इसलिए चुना है कि वे इंतजाम करें और मुल्क की खाने की चीजें और दूसरे सामान आदमियों में बाँट दें। वे यह भी भूल गए कि वे सिर्फ इसलिए चुने जाते थे कि वह उस जाति या मुल्क में सबसे होशियार और तजरबेकार समझे जाते थे। वे समझने लगे कि हम मालिक हैं और मुल्क के सब आदमी हमारे नौकर हैं। असल में वे ही मुल्क के नौकर थे।

आगे चल कर जब तुम इतिहास पढ़ोगी, तो तुम्हें मालूम होगा कि राजा इतने अभिमानी हो गए कि वे समझने लगे कि प्रजा को उनके चुनाव से कोई वास्ता न था। वे कहने लगे कि हमें ईश्‍वर ने राजा बनाया है। इसे वे ईश्‍वर का दिया हुआ हक कहने लगे। बहुत दिनों तक वे यह बेइंसाफी करते रहे और खूब ऐश के साथ राज्य के मजे उड़ाते रहे और उनकी प्रजा भूखों मरती रही। लेकिन आखिरकार प्रजा इसे बरदाश्त न कर सकी और बाज मुल्कों में उन्होंने राजाओं को मार भगाया। तुम आगे चल कर पढ़ोगी कि इंग्लैंड की प्रजा अपने राजा प्रथम चार्ल्स के खिलाफ उठ खड़ी हुई थी, उसे हरा दिया और मार डाला। इसी तरह फ्रांस की प्रजा ने भी एक बड़े हंगामे के बाद यह तय किया कि अब हम किसी को राजा न बनाएँगे। तुम्हें याद होगा कि हम फ्रांस के कौंसियरजेरी कैदखाने को देखने गए थे। क्या तुम हमारे साथ थीं। इसी कैदखाने में फ्रांस का राजा और उसकी रानी मारी आंतांनेत और दूसरे लोग रखे गए थे। तुम रूस की राज्य-क्रांति का हाल भी पढ़ोगी जब रूस की प्रजा ने कई साल हुए अपने राजा को निकाल बाहर किया जिसे 'जार' कहते थे। इससे मालूम होता है कि राजाओं के बुरे दिन आ गए और अब बहुत-से मुल्कों में राजा हैं ही नहीं। फ्रांस, जर्मनी, रूस, स्विट्जरलैंड, अमरीका, चीन और बहुत-से दूसरे मुल्कों में कोई राजा नहीं है। वहाँ पंचायती राज है जिसका मतलब है कि प्रजा समय-समय पर अपने हाकिम और अगुआ चुन लेती है और उनकी जगह मौरूसी नहीं होती।

तुम्हें मालूम है कि इंग्लैंड में अभी तक राजा है लेकिन उसे कोई अधिकार नहीं हैं। वह कुछ कर नहीं सकता। सब इख्तियार पार्लमेंट के हाथ में है जिसमें प्रजा के चुने हुए अगुआ बैठते हैं। तुम्हें याद होगा कि तुमने लंदन में पार्लमेंट देखी थी।

हिंदुस्तान में अभी तक बहुत से राजा, महाराजा और नवाब हैं। तुमने उन्हें भड़कीले कपड़े पहने, कीमती मोटर गाड़ियों में घूमते, अपने ऊपर बहुत-सा रुपया खर्च करते देखा होगा। उन्हें यह रुपया कहाँ से मिलता है? यह रिआया पर टैक्स लगा कर वसूल किया जाता है। टैक्स दिए तो इसलिए जाते हैं कि उससे मुल्क के सभी आदमियों की मदद की जाए, स्कूल और अस्पताल, पुस्तकालय, और अजायबघर खोले जाऍं, अच्छी सड़कें बनाई जाएं और प्रजा की भलाई के लिए और बहुत-से काम किए जाऍं। लेकिन हमारे राजा-महाराजा उसी फ्रांसीसी बादशाह की तरह अब भी यही समझते हैं कि हमीं राज्य हैं और प्रजा का रुपया अपने ऐश में उड़ाते हैं। वे तो इतनी शान से रहते हैं और उनकी प्रजा जो पसीना बहा कर उन्हें रुपया देती है, भूखों मरती है और उनके बच्चों के पढ़ने के लिए मदरसे भी नहीं होते।

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रचनाएँ
पिता के पत्र पुत्री के नाम- जवाहरलाल नेहरू
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आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसमें अपनी एकलौती बेटी इंदिरा नेहरू का जिक्र किया था। जिसका सारांश इस प्रकार है- एक खत एकाएक खत्म हो जाता है। गर्मी का मौसम खत्म होता है और इंदिरा पहाड़ से उतर आई। फिर ऐसे खत लिखने का मौका मुझे नहीं मिला। उसके बाद के साल वह पहाड़ नहीं गई और दो साल बाद 1630 में मुझे नैनी की जो पहाड़ नहीं है, यात्रा करनी पड़ी। नैनी जेल में कुछ और पत्र मैंने इंदिरा को लिखे लेकिन वे भी अधूरे रह गए और भौर छोड़ दिया गया। ये नए खत इस किताब में शामिल नहीं है।
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पिता के पत्र पुत्री के नाम

2 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61580f00a9e73b20b620

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संसार पुस्तक है- नेहरू/ प्रेमचंद

26 अक्टूबर 2021
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<p>जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश क

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शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया - जवाहरलाल नेहरू

26 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पहले पन्‍ने में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मा

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जमीन कैसे बनी - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>तुम जानती हो कि जमीन सूरज के चारों तरफ घूमती है और चाँद जमीन के चारों तरफ घूमता है। शायद तुम्हें

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जानवर कब पैदा हुए - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होनेवाले पौधे दुनिया की जानदार च

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आदमी कब पैदा हुआ- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने तुम्हें पिछले खत में बतलाया था कि पहले दुनिया में बहुत नीचे दरजे के जानवर पैदा हुए और धीरे-

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शुरू के आदमी- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने अपने पिछले खत में लिखा था कि आदमी और जानवर में सिर्फ अक्ल का फर्क है। अक्ल ने आदमी को उन बड

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तरह- तरह की कौमें क्योंकर बनीं- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने नए पत्थर-युग के आदमियों का जिक्र किया था जो खासकर झीलों के बीच में मकानों

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आदमियों की कौमें और जबानें- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुर

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जबानों का आपस में रिश्ता- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि आर्य बहुत-से मुल्कों में फैल गए और जो कुछ भी उनकी जबान थी उसे अपने साथ लेते ग

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सभ्यता क्या है?- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहि

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जातियों का बनना- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने पिछले खतों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिल

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मजहब की शुरुआत और काम का बंटवारा- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>पिछले खत में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने जमाने में आदमी हर एक चीज से डरता था और खयाल करता थ

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खेती से पैदा हुई तब्दीलियां- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी

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खानदान का सरगना कैसे बना- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे भय है कि मेरे खत कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब जिंदगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज

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सरगना का इख्तियार कैसे बढ़ा- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुजुर्गों का हाल तुम्हें रूखा न मालूम होता होगा।</p> <p>

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सरगना राजा हो गया- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>बूढ़े सरगना ने हमारा बहुत-सा वक्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फुर्सत पा जाएंगे या यों कहो उसका

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शुरू का रहन-सहन- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>सरगनों और राजाओं की चर्चा हम काफी कर चुके। अब हम उस जमाने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंग

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पुरानी दुनिया के बडे़-बड़े शहर- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>मैं लिख चुका हूँ कि आदमियों ने पहले-पहल बड़ी-बड़ी नदियों के पास और उपजाऊ घाटियों में बस्तियाँ बना

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मिस्र और क्रीट- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>पुराने जमाने में शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े

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चीन और हिंदुस्तान- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम लिख चुके हैं कि शुरू में मेसोपोटैमिया, मिस्र और भूमध्‍य सागर के छोटे-से टापू क्रीट में सभ्यता

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समुद्री सफर और व्यापार- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>फिनीशियन भी पुराने जमाने की एक सभ्य जाति थी। उसकी नस्ल भी वही थी जो यहूदियों और अरबों की है। वे ख

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भाषा, लिखावट और गिनती- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही जिक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है।

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आदमियों के अलग-अलग दरजे- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>लड़के, लड़कियों और सयानों को भी इतिहास अकसर एक अजीब ढंग से पढ़ाया जाता है। उन्हें राजाओं और दूसरे

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राजा, मंदिर और पुजारी- नेहरू/ प्रेमचंद

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<p>हमने पिछले खत में लिखा था कि आदमियों के पाँच दरजे बन गए। सबसे बड़ी जमात मजदूर और किसानों की थी। क

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पीछे की तरफ एक नजर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>तुम मेरी चिट्ठियों से ऊब गई होगी! जरा दम लेना चाहती होगी। खैर, कुछ अरसे</p> <p>तक मैं तुम्हें नई

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फॉसिल और पुराने खंडहर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>मैंने अरसे से तुम्हें कोई खत नहीं लिखा। पिछले दो खतों में हमने उस पुराने जमाने पर एक नजर डाली थी

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