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पिता के पत्र पुत्री के नाम

2 अक्टूबर 2021

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पंडित जवाहरलाल नेहरू–भारत के प्रथम प्रधानमंत्री-बीसवीं शताब्दी के प्रमुख नायकों में से हैं। वह हमारे स्वाधीनता संग्राम की विशेष शक्तियों के प्रतीक-पुरुष हैं-जिन्होंने हमारे युग को नया रूप देने में अविस्मरणीय ऐतिहासिक भूमिका अदा की है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा ब्रिटेन में हुई थी और उन्होंने विश्व-इतिहास का मनोयोग से अध्ययन किया था। इतिहास के अध्ययन एवं साम्राज्यवादी लूटतंत्र की पीड़ा ने उन्हें भारत की आजादी के आंदोलन में कर्मठ देशभक्त के रूप में सामने किया। आजादी के आंदोलन के दिनों में जेल तथा उससे बाहर लिखे उनके पत्र उनकी गहन विवेक-वयस्कता, स्वाधीन-चिंतन और चिंतन की स्वाधीनता, दृष्टि की वैज्ञानिकता एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रति जागरूकता का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं। नेहरू जी ने अपनी पुत्री श्रीमती इंदिरा नेहरू को जो पत्र लिखे हैं, उनमें एक पिता का उच्छलित हृदय है और बेटी को अच्छी से अच्छी राह पर चलाने की शिक्षा का एक गौरवमय इतिहास है। पराधीनता देने वाला साम्राज्यवाद भारत के लिए अभिशाप है, उससे देश को मुक्ति मिलनी ही चाहिए। गरीबी, अशिक्षा, अज्ञान ने भारत को भीतर से अशक्त कर दिया है, जबकि इस देश की परंपराएँ महान रही हैं। यही सोचकर देश की समस्याओं-चिंताओं से जुड़ने की प्रेरणा वे अपनी बेटी को बार-बार पत्रों में देते हैं। नेहरू जी का मानवतावाद, देशभक्तिवाद इन पत्रों में शत-शत रूपों में नर्मदा की अजस्त्र धाराओं की तरह प्रवाहित है। जेल में नेहरू जी ने ज्यादा समय पूर्व और पश्चिम की विचारधाराओं-सिद्धांतों, दर्शनों को पढ़ने-समझने में लगाया था, वह समझ भी पूरे सार-सर्वस्व के साथ इन पत्रों में मौजूद है। तीसरे विश्व की मानवता को जगाने में नेहरू जी का समाजवाद, लोकतंत्रवाद सदैव आगे रहा है। इस दृष्टि से पुत्री इंदु को लिखे गए उनके पत्र एक ‘पाठ’ हैं, जिन पर नयी पीढ़ी को नया विमर्श करना चाहिए।

जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि एवं सस्ता साहित्य मण्डल के सहयोग से जवाहरलाल नेहरू वाङ्मय का ग्यारह खंडों में प्रकाशन हो चुका है। इन मूल्यवान पत्रों को उन्हीं खंडों के भीतर से बीन-बटोरकर यहाँ संकलित कर दिया गया है। इस कार्य की प्रेरणा डॉ. कर्ण सिंह जी से मिली है, जिनका स्नेह मेरी शक्ति रहा है।

मुझे विश्वास है कि उत्तर-आधुनिक त्रासदी समय में जबकि पत्र लिखना हम भूलते जा रहे हैं-इन पत्रों का प्रकाशन नयी पीढ़ी में एक नयी प्रेरणा एवं उत्साह पैदा करेगा। आशा है कि इन पत्रों का पाठक-समाज में बड़े सम्मान में स्वागत होगा।

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रचनाएँ
पिता के पत्र पुत्री के नाम- जवाहरलाल नेहरू
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आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसमें अपनी एकलौती बेटी इंदिरा नेहरू का जिक्र किया था। जिसका सारांश इस प्रकार है- एक खत एकाएक खत्म हो जाता है। गर्मी का मौसम खत्म होता है और इंदिरा पहाड़ से उतर आई। फिर ऐसे खत लिखने का मौका मुझे नहीं मिला। उसके बाद के साल वह पहाड़ नहीं गई और दो साल बाद 1630 में मुझे नैनी की जो पहाड़ नहीं है, यात्रा करनी पड़ी। नैनी जेल में कुछ और पत्र मैंने इंदिरा को लिखे लेकिन वे भी अधूरे रह गए और भौर छोड़ दिया गया। ये नए खत इस किताब में शामिल नहीं है।
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पिता के पत्र पुत्री के नाम

2 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61580f00a9e73b20b620

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संसार पुस्तक है- नेहरू/ प्रेमचंद

26 अक्टूबर 2021
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<p>जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश क

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शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया - जवाहरलाल नेहरू

26 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पहले पन्‍ने में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मा

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जमीन कैसे बनी - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>तुम जानती हो कि जमीन सूरज के चारों तरफ घूमती है और चाँद जमीन के चारों तरफ घूमता है। शायद तुम्हें

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जानवर कब पैदा हुए - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होनेवाले पौधे दुनिया की जानदार च

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आदमी कब पैदा हुआ- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने तुम्हें पिछले खत में बतलाया था कि पहले दुनिया में बहुत नीचे दरजे के जानवर पैदा हुए और धीरे-

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शुरू के आदमी- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने अपने पिछले खत में लिखा था कि आदमी और जानवर में सिर्फ अक्ल का फर्क है। अक्ल ने आदमी को उन बड

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तरह- तरह की कौमें क्योंकर बनीं- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने नए पत्थर-युग के आदमियों का जिक्र किया था जो खासकर झीलों के बीच में मकानों

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आदमियों की कौमें और जबानें- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुर

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जबानों का आपस में रिश्ता- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि आर्य बहुत-से मुल्कों में फैल गए और जो कुछ भी उनकी जबान थी उसे अपने साथ लेते ग

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सभ्यता क्या है?- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहि

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जातियों का बनना- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने पिछले खतों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिल

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मजहब की शुरुआत और काम का बंटवारा- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>पिछले खत में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने जमाने में आदमी हर एक चीज से डरता था और खयाल करता थ

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खेती से पैदा हुई तब्दीलियां- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी

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खानदान का सरगना कैसे बना- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे भय है कि मेरे खत कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब जिंदगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज

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सरगना का इख्तियार कैसे बढ़ा- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुजुर्गों का हाल तुम्हें रूखा न मालूम होता होगा।</p> <p>

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सरगना राजा हो गया- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>बूढ़े सरगना ने हमारा बहुत-सा वक्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फुर्सत पा जाएंगे या यों कहो उसका

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शुरू का रहन-सहन- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>सरगनों और राजाओं की चर्चा हम काफी कर चुके। अब हम उस जमाने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंग

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पुरानी दुनिया के बडे़-बड़े शहर- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>मैं लिख चुका हूँ कि आदमियों ने पहले-पहल बड़ी-बड़ी नदियों के पास और उपजाऊ घाटियों में बस्तियाँ बना

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मिस्र और क्रीट- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>पुराने जमाने में शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े

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चीन और हिंदुस्तान- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम लिख चुके हैं कि शुरू में मेसोपोटैमिया, मिस्र और भूमध्‍य सागर के छोटे-से टापू क्रीट में सभ्यता

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समुद्री सफर और व्यापार- नेहरू/ प्रेमचंद

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<p>फिनीशियन भी पुराने जमाने की एक सभ्य जाति थी। उसकी नस्ल भी वही थी जो यहूदियों और अरबों की है। वे ख

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भाषा, लिखावट और गिनती- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही जिक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है।

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आदमियों के अलग-अलग दरजे- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>लड़के, लड़कियों और सयानों को भी इतिहास अकसर एक अजीब ढंग से पढ़ाया जाता है। उन्हें राजाओं और दूसरे

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राजा, मंदिर और पुजारी- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>हमने पिछले खत में लिखा था कि आदमियों के पाँच दरजे बन गए। सबसे बड़ी जमात मजदूर और किसानों की थी। क

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पीछे की तरफ एक नजर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>तुम मेरी चिट्ठियों से ऊब गई होगी! जरा दम लेना चाहती होगी। खैर, कुछ अरसे</p> <p>तक मैं तुम्हें नई

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फॉसिल और पुराने खंडहर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>मैंने अरसे से तुम्हें कोई खत नहीं लिखा। पिछले दो खतों में हमने उस पुराने जमाने पर एक नजर डाली थी

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