shabd-logo

सभ्यता क्या है?- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021

27 बार देखा गया 27

मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहिए कि सभ्यता का अर्थ क्या है? कोश में तो इसका अर्थ लिखा है अच्छा करना, सुधारना, जंगली आदतों की जगह अच्छी आदतें पैदा करना। और इसका व्यवहार किसी समाज या जाति के लिए ही किया जाता है। आदमी की जंगली दशा को, जब वह बिल्कुल जानवरों-सा होता है, बर्बरता कहते हैं। सभ्यता बिल्कुल उसकी उलटी चीज है। हम बर्बरता से जितनी ही दूर जाते हैं उतने ही सभ्य होते जाते हैं।

लेकिन हमें यह कैसे मालूम हो कि कोई आदमी या समाज जंगली है या सभ्य? यूरोप के बहुत-से आदमी समझते हैं कि हमीं सभ्य हैं और एशियावाले जंगली हैं। क्या इसका यह सबब है कि यूरोपवाले एशिया और अफ्रीकावालों से ज्यादा कपड़े पहनते हैं? लेकिन कपड़े तो आबोहवा पर निर्भर करते हैं। ठंडे मुल्क में लोग गर्म मुल्कवालों से ज्यादा कपड़े पहनते हैं। तो क्या इसका यह सबब है कि जिसके पास बंदूक है वह निहत्थे आदमी से ज्यादा मजबूत और इसलिए ज्यादा सभ्य है? चाहे वह ज्यादा सभ्य हो या न हो, कमजोर आदमी उससे यह नहीं कह सकता कि आप सभ्य नहीं हैं। कहीं मजबूत आदमी झल्ला कर उसे गोली मार दे, तो वह बेचारा क्या करेगा?

तुम्हें मालूम है कि कई साल पहले एक बड़ी लड़ाई हुई थी! दुनिया के बहुत- से मुल्क उसमें शरीक थे और हर एक आदमी दूसरी तरफ के ज्यादा से ज्यादा आदमियों को मार डालने की कोशिश कर रहा था। अंग्रेज जर्मनीवालों के खून के प्यासे थे और जर्मन अंग्रेजों के खून के। इस लड़ाई में लाखों आदमी मारे गए और हजारों के अंग-भंग हो गए कोई अंधा हो गया, कोई लूला, कोई लँगड़ा। तुमने फ्रांस और दूसरी जगह भी ऐसे बहुत-से लड़ाई के जख्मी देखे होंगे। पेरिस की सुरंगवाली रेलगाड़ी में, जिसे मेट्रो कहते हैं, उनके लिए खास जगहें हैं। क्या तुम समझती हो कि इस तरह अपने भाइयों को मारना सभ्यता और समझदारी की बात है? दो आदमी गलियों में लड़ने लगते हैं, तो पुलिसवाले उनमें बीच बचाव कर देते हैं और लोग समझते हैं कि ये दोनों कितने बेवकूफ हैं। तो जब दो बड़े-बड़े मुल्क आपस में लड़ने लगें और हजारों और लाखों आदमियों को मार डालें तो वह कितनी बड़ी बेवकूफी और पागलपन है। यह ठीक वैसा ही है जैसे दो वहशी जंगलों में लड़ रहे हों। और अगर वहशी आदमी जंगली कहे जा सकते हैं तो वह मूर्ख कितने जंगली हैं जो इस तरह लड़ते हैं?

अगर इस निगाह से तुम इस मामले को देखो, तो तुम फौरन कहोगी कि इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली और बहुत से दूसरे मुल्क जिन्होंने इतनी मार-काट की, जरा भी सभ्य नहीं हैं। और फिर भी तुम जानती हो कि इन मुल्कों में कितनी अच्छी-अच्छी चीजें हैं और वहाँ कितने अच्छे-अच्छे आदमी रहते हैं।

अब तुम कहोगी कि सभ्यता का मतलब समझना आसान नहीं है, और यह ठीक है। यह बहुत ही मुश्किल मामला है। अच्छी-अच्छी इमारतें, अच्छी-अच्छी तस्वीरें और किताबें और तरह-तरह की दूसरी और खूबसूरत चीजें जरूर सभ्यता की पहचान हैं। मगर एक भला आदमी जो स्वार्थी नहीं है और सबकी भलाई के लिए दूसरों के साथ मिल कर काम करता है, सभ्यता की इससे भी बड़ी पहचान है। मिल कर काम करना अकेले काम करने से अच्छा है और सबकी भलाई के लिए एक साथ मिल कर काम करना सबसे अच्छी बात है।

27
रचनाएँ
पिता के पत्र पुत्री के नाम- जवाहरलाल नेहरू
0.0
आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसमें अपनी एकलौती बेटी इंदिरा नेहरू का जिक्र किया था। जिसका सारांश इस प्रकार है- एक खत एकाएक खत्म हो जाता है। गर्मी का मौसम खत्म होता है और इंदिरा पहाड़ से उतर आई। फिर ऐसे खत लिखने का मौका मुझे नहीं मिला। उसके बाद के साल वह पहाड़ नहीं गई और दो साल बाद 1630 में मुझे नैनी की जो पहाड़ नहीं है, यात्रा करनी पड़ी। नैनी जेल में कुछ और पत्र मैंने इंदिरा को लिखे लेकिन वे भी अधूरे रह गए और भौर छोड़ दिया गया। ये नए खत इस किताब में शामिल नहीं है।
1

पिता के पत्र पुत्री के नाम

2 अक्टूबर 2021
2
3
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61580f00a9e73b20b620

2

संसार पुस्तक है- नेहरू/ प्रेमचंद

26 अक्टूबर 2021
2
1
0

<p>जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश क

3

शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया - जवाहरलाल नेहरू

26 अक्टूबर 2021
2
0
0

<p>अपने पहले पन्‍ने में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मा

4

जमीन कैसे बनी - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>तुम जानती हो कि जमीन सूरज के चारों तरफ घूमती है और चाँद जमीन के चारों तरफ घूमता है। शायद तुम्हें

5

जानवर कब पैदा हुए - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
2
1
0

<p>हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होनेवाले पौधे दुनिया की जानदार च

6

आदमी कब पैदा हुआ- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>मैंने तुम्हें पिछले खत में बतलाया था कि पहले दुनिया में बहुत नीचे दरजे के जानवर पैदा हुए और धीरे-

7

शुरू के आदमी- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
2
0
0

<p>मैंने अपने पिछले खत में लिखा था कि आदमी और जानवर में सिर्फ अक्ल का फर्क है। अक्ल ने आदमी को उन बड

8

तरह- तरह की कौमें क्योंकर बनीं- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>अपने पिछले खत में मैंने नए पत्थर-युग के आदमियों का जिक्र किया था जो खासकर झीलों के बीच में मकानों

9

आदमियों की कौमें और जबानें- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुर

10

जबानों का आपस में रिश्ता- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>हम बतला चुके हैं कि आर्य बहुत-से मुल्कों में फैल गए और जो कुछ भी उनकी जबान थी उसे अपने साथ लेते ग

11

सभ्यता क्या है?- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहि

12

जातियों का बनना- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>मैंने पिछले खतों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिल

13

मजहब की शुरुआत और काम का बंटवारा- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>पिछले खत में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने जमाने में आदमी हर एक चीज से डरता था और खयाल करता थ

14

खेती से पैदा हुई तब्दीलियां- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>अपने पिछले खत में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी

15

खानदान का सरगना कैसे बना- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>मुझे भय है कि मेरे खत कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब जिंदगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज

16

सरगना का इख्तियार कैसे बढ़ा- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
2
1
1

<p>मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुजुर्गों का हाल तुम्हें रूखा न मालूम होता होगा।</p> <p>

17

सरगना राजा हो गया- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>बूढ़े सरगना ने हमारा बहुत-सा वक्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फुर्सत पा जाएंगे या यों कहो उसका

18

शुरू का रहन-सहन- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>सरगनों और राजाओं की चर्चा हम काफी कर चुके। अब हम उस जमाने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंग

19

पुरानी दुनिया के बडे़-बड़े शहर- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>मैं लिख चुका हूँ कि आदमियों ने पहले-पहल बड़ी-बड़ी नदियों के पास और उपजाऊ घाटियों में बस्तियाँ बना

20

मिस्र और क्रीट- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>पुराने जमाने में शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े

21

चीन और हिंदुस्तान- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>हम लिख चुके हैं कि शुरू में मेसोपोटैमिया, मिस्र और भूमध्‍य सागर के छोटे-से टापू क्रीट में सभ्यता

22

समुद्री सफर और व्यापार- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
1
1
1

<p>फिनीशियन भी पुराने जमाने की एक सभ्य जाति थी। उसकी नस्ल भी वही थी जो यहूदियों और अरबों की है। वे ख

23

भाषा, लिखावट और गिनती- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
3
0
0

<p>हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही जिक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है।

24

आदमियों के अलग-अलग दरजे- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>लड़के, लड़कियों और सयानों को भी इतिहास अकसर एक अजीब ढंग से पढ़ाया जाता है। उन्हें राजाओं और दूसरे

25

राजा, मंदिर और पुजारी- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>हमने पिछले खत में लिखा था कि आदमियों के पाँच दरजे बन गए। सबसे बड़ी जमात मजदूर और किसानों की थी। क

26

पीछे की तरफ एक नजर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>तुम मेरी चिट्ठियों से ऊब गई होगी! जरा दम लेना चाहती होगी। खैर, कुछ अरसे</p> <p>तक मैं तुम्हें नई

27

फॉसिल और पुराने खंडहर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
5
1
0

<p>मैंने अरसे से तुम्हें कोई खत नहीं लिखा। पिछले दो खतों में हमने उस पुराने जमाने पर एक नजर डाली थी

---

किताब पढ़िए