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जानवर कब पैदा हुए - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021

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हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होनेवाले पौधे दुनिया की जानदार चीजों में थे। वे सिर्फ पानी में ही रह सकते थे और अगर किसी वजह से बाहर निकल आते और उन्हें पानी न मिलता तो जरूर मर जाते होंगे। जैसे आज भी मछलियाँ सूखें में आने से मर जाती हैं। लेकिन उस जमाने में आजकल से कहीं ज्यादा समुद्र और दलदल रहे होंगे। वे मछलियाँ और दूसरे पानी के जानवर जिनकी खाल जरा चिमड़ी थी, सूखी जमीन पर दूसरों से कुछ ज्यादा देर तक जी सकते होंगे। क्योंकि उन्हें सूखने में देर लगती थी। इसलिए नर्म मछलियाँ और उन्हीं की तरह के दूसरे जानवर धीरे-धीरे कम होते गए क्योंकि सूखी जमीन पर जिंदा रहना उनके लिए मुश्किल था और जिनकी खाल ज्यादा सख्त थी वे बढ़ते गए। सोचो, कितनी अजीब बात है! इसका यह मतलब है कि जानवर धीरे-धीरे अपने को आस-पास की चीजों के अनुकूल बना लेते हैं। तुमने लंदन के अजायबघर में देखा था कि जाड़ों में और ठंडे देशों में जहाँ बहुतायत से बर्फ गिरती है चिड़ियाँ और जानवर बर्फ की तरह सफेद हो जाते हैं। गरम देशों में जहाँ हरियाली और दरख्त बहुत होते हैं वे हरे या किसी दूसरे चमकदार रंग के हो जाते हैं। इसका यह मतलब है कि वे अपने को उसी तरह का बना लेते हैं जैसे उनके आसपास की चीजें हों। उनका रंग इसलिए बदल जाता है कि वे अपने को दुश्मनों से बचा सकें, क्योंकि अगर उनका रंग आस-पास की चीजों से मिल जाए तो वे आसानी से दिखाई न देंगे। सर्द मुल्कों में उनकी खाल पर बाल निकल आते हैं जिससे वे गर्म रह सकें। इसीलिए चीते का रंग पीला और धारीदार होता है, उस धूप की तरह, जो दरख्तों से हो कर जंगल में आती है। वह घने जंगल में मुश्किल से दिखाई देता है।

इस अजीब बात का जानना बहुत जरूरी है। जानवर अपने रंग-ढंग को आसपास की चीजों से मिला देते हैं। यह बात नहीं है कि जानवर अपने को बदलने की कोशिश करते हों; लेकिन जो अपने को बदल कर आसपास की चीजों से मिला देते हैं उनको जिंदा रहना ज्यादा आसान हो जाता है। उनकी तादाद बढ़ने लगती है, दूसरों की नहीं बढ़ती। इससे बहुत-सी बातें समझ में आ जाती हैं। इससे यह मालूम हो जाता है कि नीचे दरजे के जानवर धीरे-धीरे ऊँचे दरजों में पहुँचते हैं और मुमकिन है कि लाखों बरसों के बाद आदमी हो जाते हैं। हम ये तब्दीलियाँ, जो हमारे चारों तरफ होती रहती हैं, देख नहीं सकते, क्योंकि वे बहुत धीरे-धीरे होती हैं और हमारी जिंदगी कम होती है। लेकिन प्रकृति अपना काम करती रहती है और चीजों को बदलती और सुधारती रहती है। वह न तो कभी रुकती है और न आराम करती है।

तुम्हें याद है कि दुनिया धीरे-धीरे ठंडी हो रही थी और इसका पानी सूखता जाता था। जब यह ज्यादा ठंडी हो गई तो जलवायु बदल गई और उसके साथ ही बहुत-सी बातें बदल गईं। ज्यों-ज्यों दुनिया बदलती गई जानवर भी बदलते गए और नई-नई किस्म के जानवर पैदा होते गए। पहले नीचे दरजे के दरियाई जानवर पैदा हुए, फिर ज्यादा ऊँचे दरजे के। इसके बाद जब सूखी जमीन ज्यादा हो गई तो ऐसे जानवर पैदा हुए जो पानी और जमीन दोनों ही पर रह सकते हैं जैसे, मगर या मेढक। इसके बाद वे जानवर पैदा हुए जो सिर्फ जमीन पर रह सकते हैं और तब हवा में उड़ने वाली चिड़ियाँ आईं।

मैंने मेढक का जिक्र किया है। इस अजीब जानवर की जिंदगी से बड़ी मजे की बातें मालूम होती हैं। साफ समझ में आ जाता है कि दरियाई जानवर बदलते-बदलते क्योंकर जमीन के जानवर बन गए। मेढक पहले मछली होता है लेकिन बाद में वह खुश्की का जानवर हो जाता है और दूसरे खुश्की के जानवरों की तरह फेफड़े से सँस लेता है। उस पुराने जमाने में जब खुश्की के जानवर पैदा हुए बड़े-बड़े जंगल थे। जमीन सारी की सारी झावर रही होगी, उस पर घने जंगल होंगे। आगे चल कर ये चट्टान और मिट्टी के बोझ से ऐसे दब गए कि वे धीरे-धीरे कोयला बन गए। तुम्हें मालूम है, कोयला गहरी खानों से निकलता है, ये खानें असल में पुराने जमाने के जंगल हैं।

शुरू-शुरू में जमीन के जानवरों में बड़े-बड़े साँप, छिपकलियाँ और घड़ियाल थे। इनमें से बाज सौ फुट लंबे थे। सौ फुट लंबे साँप या छिपकली का जरा ध्यान तो करो! तुम्हें याद होगा कि तुमने इन जानवरों की हड्डियाँ लंदन के अजायबघर में देखी थीं।

इसके बाद वे जानवर पैदा हुए जो कुछ-कुछ हाल के जानवरों से मिलते थे। ये अपने बच्चों को दूध पिलाते थे। पहले वे भी आजकल के जानवरों से बहुत बड़े होते थे। जो जानवर आदमी से बहुत मिलता-जुलता है वह बंदर या बनमानुस है। इससे लोग खयाल करते हैं कि आदमी बनमानुस की नस्ल है। इसका यह मतलब है कि जैसे और जानवरों ने अपने को आसपास की चीजों के अनुकूल बना लिया और तरक्‍की करते गए इसी तरह आदमी भी पहले एक ऊँची किस्म का बनमानुस था। यह सच है कि यह तरक्‍की करता गया या यों कहो कि प्रकृति उसे सुधारती रही। पर आज उसके घमंड का ठिकाना नहीं। यह खयाल करता है कि और जानवरों से उसका मुकाबला ही क्या। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि हम बंदरों और बनमानुसों के भाई-बंद हैं और आज भी शायद हम में से बहुतों का स्वभाव बंदरों ही जैसा है।

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रचनाएँ
पिता के पत्र पुत्री के नाम- जवाहरलाल नेहरू
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आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसमें अपनी एकलौती बेटी इंदिरा नेहरू का जिक्र किया था। जिसका सारांश इस प्रकार है- एक खत एकाएक खत्म हो जाता है। गर्मी का मौसम खत्म होता है और इंदिरा पहाड़ से उतर आई। फिर ऐसे खत लिखने का मौका मुझे नहीं मिला। उसके बाद के साल वह पहाड़ नहीं गई और दो साल बाद 1630 में मुझे नैनी की जो पहाड़ नहीं है, यात्रा करनी पड़ी। नैनी जेल में कुछ और पत्र मैंने इंदिरा को लिखे लेकिन वे भी अधूरे रह गए और भौर छोड़ दिया गया। ये नए खत इस किताब में शामिल नहीं है।
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पिता के पत्र पुत्री के नाम

2 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61580f00a9e73b20b620

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संसार पुस्तक है- नेहरू/ प्रेमचंद

26 अक्टूबर 2021
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<p>जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश क

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शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया - जवाहरलाल नेहरू

26 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पहले पन्‍ने में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मा

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जमीन कैसे बनी - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>तुम जानती हो कि जमीन सूरज के चारों तरफ घूमती है और चाँद जमीन के चारों तरफ घूमता है। शायद तुम्हें

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जानवर कब पैदा हुए - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होनेवाले पौधे दुनिया की जानदार च

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आदमी कब पैदा हुआ- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने तुम्हें पिछले खत में बतलाया था कि पहले दुनिया में बहुत नीचे दरजे के जानवर पैदा हुए और धीरे-

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शुरू के आदमी- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने अपने पिछले खत में लिखा था कि आदमी और जानवर में सिर्फ अक्ल का फर्क है। अक्ल ने आदमी को उन बड

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तरह- तरह की कौमें क्योंकर बनीं- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने नए पत्थर-युग के आदमियों का जिक्र किया था जो खासकर झीलों के बीच में मकानों

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आदमियों की कौमें और जबानें- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुर

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जबानों का आपस में रिश्ता- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि आर्य बहुत-से मुल्कों में फैल गए और जो कुछ भी उनकी जबान थी उसे अपने साथ लेते ग

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सभ्यता क्या है?- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहि

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जातियों का बनना- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने पिछले खतों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिल

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मजहब की शुरुआत और काम का बंटवारा- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>पिछले खत में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने जमाने में आदमी हर एक चीज से डरता था और खयाल करता थ

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खेती से पैदा हुई तब्दीलियां- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी

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खानदान का सरगना कैसे बना- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे भय है कि मेरे खत कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब जिंदगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज

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सरगना का इख्तियार कैसे बढ़ा- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुजुर्गों का हाल तुम्हें रूखा न मालूम होता होगा।</p> <p>

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सरगना राजा हो गया- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>बूढ़े सरगना ने हमारा बहुत-सा वक्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फुर्सत पा जाएंगे या यों कहो उसका

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शुरू का रहन-सहन- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>सरगनों और राजाओं की चर्चा हम काफी कर चुके। अब हम उस जमाने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंग

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पुरानी दुनिया के बडे़-बड़े शहर- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>मैं लिख चुका हूँ कि आदमियों ने पहले-पहल बड़ी-बड़ी नदियों के पास और उपजाऊ घाटियों में बस्तियाँ बना

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मिस्र और क्रीट- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>पुराने जमाने में शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े

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चीन और हिंदुस्तान- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम लिख चुके हैं कि शुरू में मेसोपोटैमिया, मिस्र और भूमध्‍य सागर के छोटे-से टापू क्रीट में सभ्यता

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समुद्री सफर और व्यापार- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>फिनीशियन भी पुराने जमाने की एक सभ्य जाति थी। उसकी नस्ल भी वही थी जो यहूदियों और अरबों की है। वे ख

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भाषा, लिखावट और गिनती- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही जिक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है।

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आदमियों के अलग-अलग दरजे- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>लड़के, लड़कियों और सयानों को भी इतिहास अकसर एक अजीब ढंग से पढ़ाया जाता है। उन्हें राजाओं और दूसरे

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राजा, मंदिर और पुजारी- नेहरू/ प्रेमचंद

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<p>हमने पिछले खत में लिखा था कि आदमियों के पाँच दरजे बन गए। सबसे बड़ी जमात मजदूर और किसानों की थी। क

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पीछे की तरफ एक नजर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>तुम मेरी चिट्ठियों से ऊब गई होगी! जरा दम लेना चाहती होगी। खैर, कुछ अरसे</p> <p>तक मैं तुम्हें नई

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फॉसिल और पुराने खंडहर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>मैंने अरसे से तुम्हें कोई खत नहीं लिखा। पिछले दो खतों में हमने उस पुराने जमाने पर एक नजर डाली थी

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