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भाषा, लिखावट और गिनती- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021

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हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही जिक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है। आज हम यह विचार करेंगे कि लोगों ने बोलना क्यों सीखा।

हमें मालूम है कि जानवरों की भी कुछ बोलियाँ होती हैं। लोग कहते हैं कि बंदरों में थोड़ी-सी मामूली चीजों के लिए शब्द या बोलियॉं मौजूद हैं। तुमने बाज जानवरों की अजीब आवाजें भी सुनी होंगी जो वे डर जाने पर और अपने भाई- बंदों को किसी खतरे की खबर देने के लिए मुँह से निकालते हैं। शायद इसी तरह आदमियों में भी भाषा की शुरुआत हुई। शुरू में बहुत सीधी-सादी आवाजें रही होंगी। जब वे किसी चीज को देख कर डर जाते होंगे और दूसरों को उसकी खबर देना चाहते होंगे तो वे खास तरह की आवाज निकालते होंगे। शायद इसके बाद मजदूरों की बोलियॉं शुरू हुईं। जब बहुत-से आदमियों को कोई चीज खींचते या कोई भारी बोझ उठाते नहीं देखा है? ऐसा मालूम होता है कि एक साथ हाँक लगाने से उन्हें कुछ सहारा मिलता है। यही बोलियॉं पहले-पहल आदमी के मुँह से निकली होंगी।

धीरे-धीरे और शब्द बनते गए होंगे जैसे पानी, आग, घोड़ा, भालू। पहले शायद सिर्फ नाम ही थे, क्रियाएँ न थीं। अगर कोई आदमी यह कहना चाहता होगा कि मैंने भालू देखा है तो वह एक शब्द 

भालू

 कहता होगा और बच्चों की तरह भालू की तरफ इशारा करता होगा। उस वक्त लोगों में बहुत कम बातचीत होती होगी।

धीरे-धीरे भाषा तरक्‍की करने लगी। पहले छोटे-छोटे वाक्य पैदा हुए, फिर बड़े-बड़े। किसी जमाने में भी शायद सभी जातियों की एक ही भाषा न थी। लेकिन कोई जमाना ऐसा जरूर था जब बहुत सी तरह-तरह की भाषाएँ न थीं। मैं तुमसे कह चुका हूँ कि तब थोड़ी-सी भाषाएँ थीं। मगर बाद को, उन्हीं में से हर एक की कई-कई शाखाएँ पैदा हो गई।

सभ्यता शुरू होने के जमाने तक, जिसका हम जिक्र कर रहे हैं भाषा ने बहुत तरक्‍की कर ली थी। बहुत-से गीत बन गए थे और भाट व गवैये उन्हें गाते थे। उस जमाने में न लिखने का बहुत रिवाज था और न बहुत किताबें थीं। इसलिए लोगों को अब से कहीं ज्यादा बातें याद रखनी पड़ती थीं। तुकबंदियों और छंदों को याद रखना जयादा सहल है। यही सबब है कि उन मुल्कों में जहाँ पुराने जमाने में सभ्यता फैली हुई थी, तुकबंदियों और लड़ाई के गीतों का बहुत रिवाज था।

भाटों और गवैयों को मरे हुए वीरों की बहादुरी के गीत बहुत अच्छे लगते थे। उस जमाने में आदमी की जिंदगी का खास काम लड़ना था, इसलिए उनके गीत भी लड़ाइयों ही के हैं। हिंदुस्तान ही नहीं, दूसरे मुल्कों में भी, यही रिवाज था।

लिखने की शुरुआत भी बहुत मजेदार है। मैं चीनी लिखावट का बयान कर चुका हूँ। सभी में लिखना तस्वीरों से शुरू हुआ होगा। जो आदमी मोर के बारे में कुछ कहना चाहता होगा, उसे मोर की तस्वीर का खाका बनाना पड़ता होगा। हाँ, इस तरह कोई बहुत ज्यादा न लिख सकता होगा। धीरे-धीरे तस्वीरें सिर्फ निशानियाँ रह गई होंगी। इसके बहुत दिनों पीछे वर्णमाला निकली होगी और उसका रिवाज हुआ होगा। इससे लिखना बहुत सहल हो गया और जल्दी-जल्दी तरक्‍की होने लगी।

अदद और गिनती का निकलना भी बड़े मार्के की बात रही होगी। गिनती के बगैर कोई रोजगार करने का खयाल भी नहीं किया जा सकता। जिस आदमी ने गिनती निकाली वह बड़ा दिमागवाला या बहुत होशियार आदमी रहा होगा। यूरोप में पहले अंक बहुत बेढंगे थे। रोमन अंकों को तुम जानती हो प्ए प्प्ए प्प्प्ए प्टए टए टप्ए टप्प्ए टप्प्प्ए प्ग्ए ग् इत्यादि। ये बहुत बेढंगे हैं और इन्हें काम में लाना मुश्किल है। आजकल हम, हर एक भाषा में, जिन अंकों को काम में लाते हैं वे बहुत अच्छे हैं। मैं 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 वगैरह अंकों को कह रहा हूँ। इन्हें अरबी अंक कहते हैं क्योंकि यूरोपवालों ने उन्हें अरब जाति से सीखा। लेकिन अरबवालों ने उन्हें हिंदुस्तानियों से सीखा था। इसलिए उन्हें हिंदुस्तानी अंक कहना ज्यादा मुनासिब होगा।

लेकिन मैं तो सरपट दौड़ा जा रहा हूँ। अभी हम अरब जाति तक नहीं पहुँचे हैं।

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रचनाएँ
पिता के पत्र पुत्री के नाम- जवाहरलाल नेहरू
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आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसमें अपनी एकलौती बेटी इंदिरा नेहरू का जिक्र किया था। जिसका सारांश इस प्रकार है- एक खत एकाएक खत्म हो जाता है। गर्मी का मौसम खत्म होता है और इंदिरा पहाड़ से उतर आई। फिर ऐसे खत लिखने का मौका मुझे नहीं मिला। उसके बाद के साल वह पहाड़ नहीं गई और दो साल बाद 1630 में मुझे नैनी की जो पहाड़ नहीं है, यात्रा करनी पड़ी। नैनी जेल में कुछ और पत्र मैंने इंदिरा को लिखे लेकिन वे भी अधूरे रह गए और भौर छोड़ दिया गया। ये नए खत इस किताब में शामिल नहीं है।
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पिता के पत्र पुत्री के नाम

2 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61580f00a9e73b20b620

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संसार पुस्तक है- नेहरू/ प्रेमचंद

26 अक्टूबर 2021
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<p>जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश क

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शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया - जवाहरलाल नेहरू

26 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पहले पन्‍ने में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मा

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जमीन कैसे बनी - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>तुम जानती हो कि जमीन सूरज के चारों तरफ घूमती है और चाँद जमीन के चारों तरफ घूमता है। शायद तुम्हें

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जानवर कब पैदा हुए - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होनेवाले पौधे दुनिया की जानदार च

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आदमी कब पैदा हुआ- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने तुम्हें पिछले खत में बतलाया था कि पहले दुनिया में बहुत नीचे दरजे के जानवर पैदा हुए और धीरे-

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शुरू के आदमी- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने अपने पिछले खत में लिखा था कि आदमी और जानवर में सिर्फ अक्ल का फर्क है। अक्ल ने आदमी को उन बड

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तरह- तरह की कौमें क्योंकर बनीं- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने नए पत्थर-युग के आदमियों का जिक्र किया था जो खासकर झीलों के बीच में मकानों

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आदमियों की कौमें और जबानें- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुर

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जबानों का आपस में रिश्ता- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि आर्य बहुत-से मुल्कों में फैल गए और जो कुछ भी उनकी जबान थी उसे अपने साथ लेते ग

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सभ्यता क्या है?- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहि

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जातियों का बनना- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने पिछले खतों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिल

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मजहब की शुरुआत और काम का बंटवारा- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>पिछले खत में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने जमाने में आदमी हर एक चीज से डरता था और खयाल करता थ

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खेती से पैदा हुई तब्दीलियां- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी

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खानदान का सरगना कैसे बना- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे भय है कि मेरे खत कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब जिंदगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज

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सरगना का इख्तियार कैसे बढ़ा- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुजुर्गों का हाल तुम्हें रूखा न मालूम होता होगा।</p> <p>

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सरगना राजा हो गया- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>बूढ़े सरगना ने हमारा बहुत-सा वक्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फुर्सत पा जाएंगे या यों कहो उसका

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शुरू का रहन-सहन- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>सरगनों और राजाओं की चर्चा हम काफी कर चुके। अब हम उस जमाने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंग

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पुरानी दुनिया के बडे़-बड़े शहर- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>मैं लिख चुका हूँ कि आदमियों ने पहले-पहल बड़ी-बड़ी नदियों के पास और उपजाऊ घाटियों में बस्तियाँ बना

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मिस्र और क्रीट- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>पुराने जमाने में शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े

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चीन और हिंदुस्तान- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम लिख चुके हैं कि शुरू में मेसोपोटैमिया, मिस्र और भूमध्‍य सागर के छोटे-से टापू क्रीट में सभ्यता

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समुद्री सफर और व्यापार- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>फिनीशियन भी पुराने जमाने की एक सभ्य जाति थी। उसकी नस्ल भी वही थी जो यहूदियों और अरबों की है। वे ख

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भाषा, लिखावट और गिनती- नेहरू/ प्रेमचंद

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<p>हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही जिक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है।

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आदमियों के अलग-अलग दरजे- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>लड़के, लड़कियों और सयानों को भी इतिहास अकसर एक अजीब ढंग से पढ़ाया जाता है। उन्हें राजाओं और दूसरे

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राजा, मंदिर और पुजारी- नेहरू/ प्रेमचंद

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<p>हमने पिछले खत में लिखा था कि आदमियों के पाँच दरजे बन गए। सबसे बड़ी जमात मजदूर और किसानों की थी। क

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पीछे की तरफ एक नजर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>तुम मेरी चिट्ठियों से ऊब गई होगी! जरा दम लेना चाहती होगी। खैर, कुछ अरसे</p> <p>तक मैं तुम्हें नई

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फॉसिल और पुराने खंडहर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>मैंने अरसे से तुम्हें कोई खत नहीं लिखा। पिछले दो खतों में हमने उस पुराने जमाने पर एक नजर डाली थी

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