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जातियों का बनना- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021

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मैंने पिछले खतों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिलता था। धीरे-धीरे हजारों वर्षों में उसने तरक्‍की की और पहले से ज्यादा होशियार हो गया। पहले वह अकेले ही जानवरों का शिकार करता होगा, जैसे जंगली जानवर आज भी करते हैं। कुछ दिनों के बाद उसे मालूम हुआ कि और आदमियों के साथ एक गिरोह में रहना ज्यादा अक्ल की बात है और उसमें जान जाने का डर भी कम है। एक साथ रहकर वह ज्यादा मजबूत हो जाते थे और जानवरों या दूसरे आदमियों के हमलों का ज्यादा अच्छी तरह मुकाबला कर सकते थे। जानवर भी तो अपनी रक्षा के लिए अकसर झुंडों में रहा करते हैं। भेड़, बकरियाँ और हिरन, यहाँ तक कि हाथी भी झुंडों में ही रहते हैं। जब झुंड सोता है, तो उनमें से एक जागता रहता है और उनका पहरा देता है। तुमने भेड़ियों के झुंड की कहानियाँ पढ़ी होंगी। रूस में जाड़ों के दिनों में वे झुंड बांधाकर चलते हैं और जब उन्हें भूख लगती है, जाड़ों में उन्हें ज्यादा भूख लगती भी है, तो आदमियों पर हमला कर देते हैं। एक भेड़िया कभी आदमी पर हमला नहीं करता लेकिन उनका एक झुंड इतना मजबूत हो जाता है कि वह कई आदमियों पर भी हमला कर बैठता है। तब आदमियों को अपनी जान लेकर भागना पड़ता है और अक्सर भेड़ियों और बर्फ वाली गाड़ियों में बैठे हुए आदमियों में दौड़ होती है।

इस तरह पुराने जमाने के आदमियों ने सभ्यता में जो पहली तरक्‍की की वह मिल कर झुंडों में रहना था। इस तरह जातियों (फिरकों) की बुनियाद पड़ी। वे साथ-साथ काम करने लगे। वे एक दूसरे की मदद करते रहते थे। हर एक आदमी पहले अपनी जाति का खयाल करता था और तब अपना। अगर जाति पर कोई संकट आता तो हर एक आदमी जाति की तरफ से लड़ता था। और अगर कोई आदमी जाति के लिए लड़ने से इन्कार करता तो बाहर निकाल दिया जाता था।

अब अगर बहुत से आदमी एक साथ मिल कर काम करना चाहते हैं तो उन्हें कायदे के साथ काम करना पड़ेगा। अगर हर एक आदमी अपनी मर्जी के मुताबिक काम करे तो वह जाति बहुत दिन न चलेगी। इसलिए किसी एक को उनका सरदार बनना पड़ता है। जानवरों के झुंडों में भी तो सरदार होते हैं। जातियों में वही आदमी सरदार चुना जाता था जो सबसे मजबूत होता था इसलिए कि उस जमाने में बहुत लड़ाई करनी पड़ती थी।

अगर एक जाति के आदमी आपस में लड़ने लगें तो जाति नष्ट हो जाएगी। इसलिए सरदार देखता रहता था कि लोग आपस में न लड़ने पाएँ। हाँ, एक जाति दूसरी जाति से लड़ सकती थी और लड़ती थी। यह तरीका उस पुराने तरीके से अच्छा था जब हर एक आदमी अकेला ही लड़ता था।

शुरू-शुरू की जातियाँ बड़े-बड़े परिवारों की तरह रही होंगी। उसके सब आदमी एक-दूसरे के रिश्तेदार होते होंगे। ज्यों-ज्यों यह परिवार बढ़े, जातियाँ भी बढ़ीं।

उस पुराने जमाने में आदमी का जीवन बहुत कठिन रहा होगा, खासकर जातियाँ बनने के पहले। न उनके पास कोई घर था, न कपड़े थे। हाँ, शायद जानवरों की खालें पहनने को मिल जाती हों। और उसे बराबर लड़ना पड़ता रहा होगा। अपने भोजन के लिए या तो जानवरों का शिकार करना पड़ता था या जंगली फल जमा करने पड़ते थे। उसे अपने चारों तरफ दुश्मन ही दुश्मन नजर आते होंगे। प्रकृति भी उसे दुश्मन मालूम होती होगी, क्योंकि ओले, बर्फ और भूचाल वही तो लाती थी। बेचारे की दशा कितनी दीन थी। जमीन पर रेंग रहा है, और हर एक चीज से डरता है इसलिए कि वह कोई बात समझ नहीं सकता। अगर ओले गिरते तो वह समझता कि कोई देवता बादल में बैठा हुआ उस पर निशाना मार रहा है। वह डर जाता था और उस बादल में बैठे हुए आदमी को खुश करने के लिए कुछ न कुछ करना चाहता था जो उस पर ओले और पानी और बर्फ गिरा रहा था। लेकिन उसे खुश करे तो कैसे! न वह बहुत समझदार था, न होशियार था। उसने सोचा होगा कि बादलों का देवता हमारी ही तरह होगा और खाने की चीजें पसन्द करता होगा। इसलिए वह कुछ माँस रख देता था, या किसी जानवर की कुरबानी करके छोड़ देता था कि देवता आकर खा ले। वह सोचता था कि इस उपाय से ओला या पानी बंद हो जाएगा। हमें यह पागलपन मालूम होता है क्योंकि हम मेह या ओले या बर्फ के गिरने का सबब जानते हैं जानवरों के मारने से उसका कोई संबंध नहीं है। लेकिन आज भी ऐसे आदमी मौजूद हैं जो इतने नासमझ हैं कि अब तक वही काम किये जाते हैं।

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रचनाएँ
पिता के पत्र पुत्री के नाम- जवाहरलाल नेहरू
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आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसमें अपनी एकलौती बेटी इंदिरा नेहरू का जिक्र किया था। जिसका सारांश इस प्रकार है- एक खत एकाएक खत्म हो जाता है। गर्मी का मौसम खत्म होता है और इंदिरा पहाड़ से उतर आई। फिर ऐसे खत लिखने का मौका मुझे नहीं मिला। उसके बाद के साल वह पहाड़ नहीं गई और दो साल बाद 1630 में मुझे नैनी की जो पहाड़ नहीं है, यात्रा करनी पड़ी। नैनी जेल में कुछ और पत्र मैंने इंदिरा को लिखे लेकिन वे भी अधूरे रह गए और भौर छोड़ दिया गया। ये नए खत इस किताब में शामिल नहीं है।
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पिता के पत्र पुत्री के नाम

2 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61580f00a9e73b20b620

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संसार पुस्तक है- नेहरू/ प्रेमचंद

26 अक्टूबर 2021
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<p>जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश क

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शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया - जवाहरलाल नेहरू

26 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पहले पन्‍ने में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मा

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जमीन कैसे बनी - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>तुम जानती हो कि जमीन सूरज के चारों तरफ घूमती है और चाँद जमीन के चारों तरफ घूमता है। शायद तुम्हें

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जानवर कब पैदा हुए - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होनेवाले पौधे दुनिया की जानदार च

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आदमी कब पैदा हुआ- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने तुम्हें पिछले खत में बतलाया था कि पहले दुनिया में बहुत नीचे दरजे के जानवर पैदा हुए और धीरे-

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शुरू के आदमी- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने अपने पिछले खत में लिखा था कि आदमी और जानवर में सिर्फ अक्ल का फर्क है। अक्ल ने आदमी को उन बड

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तरह- तरह की कौमें क्योंकर बनीं- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने नए पत्थर-युग के आदमियों का जिक्र किया था जो खासकर झीलों के बीच में मकानों

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आदमियों की कौमें और जबानें- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुर

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जबानों का आपस में रिश्ता- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि आर्य बहुत-से मुल्कों में फैल गए और जो कुछ भी उनकी जबान थी उसे अपने साथ लेते ग

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सभ्यता क्या है?- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहि

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जातियों का बनना- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने पिछले खतों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिल

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मजहब की शुरुआत और काम का बंटवारा- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>पिछले खत में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने जमाने में आदमी हर एक चीज से डरता था और खयाल करता थ

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खेती से पैदा हुई तब्दीलियां- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी

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खानदान का सरगना कैसे बना- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे भय है कि मेरे खत कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब जिंदगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज

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सरगना का इख्तियार कैसे बढ़ा- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुजुर्गों का हाल तुम्हें रूखा न मालूम होता होगा।</p> <p>

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सरगना राजा हो गया- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>बूढ़े सरगना ने हमारा बहुत-सा वक्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फुर्सत पा जाएंगे या यों कहो उसका

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शुरू का रहन-सहन- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>सरगनों और राजाओं की चर्चा हम काफी कर चुके। अब हम उस जमाने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंग

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पुरानी दुनिया के बडे़-बड़े शहर- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>मैं लिख चुका हूँ कि आदमियों ने पहले-पहल बड़ी-बड़ी नदियों के पास और उपजाऊ घाटियों में बस्तियाँ बना

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मिस्र और क्रीट- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>पुराने जमाने में शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े

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चीन और हिंदुस्तान- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम लिख चुके हैं कि शुरू में मेसोपोटैमिया, मिस्र और भूमध्‍य सागर के छोटे-से टापू क्रीट में सभ्यता

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समुद्री सफर और व्यापार- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>फिनीशियन भी पुराने जमाने की एक सभ्य जाति थी। उसकी नस्ल भी वही थी जो यहूदियों और अरबों की है। वे ख

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भाषा, लिखावट और गिनती- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही जिक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है।

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आदमियों के अलग-अलग दरजे- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>लड़के, लड़कियों और सयानों को भी इतिहास अकसर एक अजीब ढंग से पढ़ाया जाता है। उन्हें राजाओं और दूसरे

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राजा, मंदिर और पुजारी- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>हमने पिछले खत में लिखा था कि आदमियों के पाँच दरजे बन गए। सबसे बड़ी जमात मजदूर और किसानों की थी। क

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पीछे की तरफ एक नजर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>तुम मेरी चिट्ठियों से ऊब गई होगी! जरा दम लेना चाहती होगी। खैर, कुछ अरसे</p> <p>तक मैं तुम्हें नई

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फॉसिल और पुराने खंडहर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>मैंने अरसे से तुम्हें कोई खत नहीं लिखा। पिछले दो खतों में हमने उस पुराने जमाने पर एक नजर डाली थी

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