shabd-logo

पुरानी दुनिया के बडे़-बड़े शहर- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021

21 बार देखा गया 21

मैं लिख चुका हूँ कि आदमियों ने पहले-पहल बड़ी-बड़ी नदियों के पास और उपजाऊ घाटियों में बस्तियाँ बनाईं जहाँ उन्हें खाने की चीजें और पानी बहुतायत से मिल सकता था। उनके बड़े-बड़े शहर नदियों के किनारे पर थे। तुमने इनमें से बाज मशहूर शहरों का नाम सुना होगा। मेसोपोटैमिया में बाबुल, नेनुवा, और असुर नाम के शहर थे। लेकिन इनमें से किसी शहर का अब पता नहीं है। हाँ, अगर बालू या मिट्टी में गहरी खुदाई होती है तो कभी-कभी उनके खंडहर मिल जाते हैं। इन हजारों बरसों में वे पूरी तरह मिट्टी और बालू से ढक गए और उनका कोई निशान भी नहीं मिलता। बाज जगहों में इन ढके हुए शहरों के ठीक ऊपर नए शहर बस गए। जो लोग इन पुराने शहरों की खोज कर रहे हैं उन्हें गहरी खुदाई करनी पड़ी है और कभी-कभी तले ऊपर कई शहर मिले हैं। यह बात नहीं है कि ये शहर एक साथ ही तले ऊपर रहे हों। एक शहर सैकड़ों वर्षों तक आबाद रहा होगा, लोग वहाँ पैदा हुए होंगे और मरे होंगे और कई पुश्तों तक यही सिलसिला जारी रहा होगा। धीरे-धीरे शहर की आबादी घटने लगी होगी और वह वीरान हो गया होगा। 

आखिर वहाँ कोई न रह गया होगा और शहर मलबे का एक ढेर बन गया होगा। तब उस पर बालू और गर्द जमने लगी होगी और यह शहर उसके नीचे ढक गए होंगे क्योंकि कोई आदमी सफाई करनेवाला न था। एक मुद्दत के बाद सारा शहर बालू और मिट्टी से ढक गया होगा और लोगों को इस बात की याद भी न रही होगी कि यहाँ कोई शहर था। सैकड़ों बरस गुजर गए होंगे तब नए आदमियों ने आ कर नया शहर बसाया होगा और यह नया शहर भी कुछ दिनों के बाद पुराना हो गया होगा। लोगों ने उसे छोड़ दिया होगा और वह भी वीरान हो गया होगा। एक जमाने के बाद वह भी बालू और धूल के नीचे गायब हो गया होगा। यही सबब है कि कभी-कभी हमें कई शहरों के खंडहर ऊपर-नीचे मिलते हैं। यह हालत खासकर बलुई जगहों में हुई होगी क्योंकि बालू हर एक चीज पर जल्दी जम जाती है।

कितनी अजीब बात है कि एक के बाद दूसरे शहर बनें, मर्दों, औरतों और बच्चों के जमघटों से गुलजार हों और तब धीरे-धीरे उजड़ जाऍं और जहाँ यह पुराने शहर थे वहाँ नए शहर बसें और नए-नए आदमी आ कर वहाँ आबाद हों। फिर उनका भी खात्मा हो जाए और शहर का कोई निशान न रहे। मैं तो इन शहरों का हाल दो-चार वाक्यों में लिख रहा हूँ, लेकिन सोचो कि इन शहरों के बनने और बिगड़ने और उनकी जगह नए शहरों के बनने में कितने युग बीत गए होंगे। जब कोई आदमी सत्तर या अस्सी साल का हो जाता है, तो हम उसे बुड्ढा कहते हैं। लेकिन उन हजारों बरसों के सामने सत्तर या अस्सी साल क्या हैं? 

जब ये शहर रहे होंगे तो उनमें कितने छोटे-छोटे बच्चे-बूढ़े हो कर मर गए होंगे और कई पीढ़ियाँ गुजर गई होंगी और अब बाबुल और नेनुवा का सिर्फ नाम बाकी रह गया है। एक दूसरा बहुत पुराना शहर दमिश्क था। लेकिन दमिश्क वीरान नहीं हुआ। वह अब तक मौजूद है और बड़ा शहर है। कुछ लोगों का खयाल है कि दमिश्क दुनिया का सबसे पुराना शहर है। हिंदुस्तान में भी बड़े-बड़े शहर नदियों के किनारे ही पर हैं। सबसे पुराने शहरों में एक का नाम इंद्रप्रस्थ था जो कहीं दिल्ली के आसपास था, लेकिन इंद्रप्रस्थ का अब निशान भी नहीं है। बनारस या काशी भी बड़ा पुराना शहर है, शायद दुनिया के सबसे पुराने शहरों में हो। इलाहाबाद, कानपुर और पटना और बहुत-से दूसरे शहर जो तुम्हें खुद याद होंगे नदियों ही के किनारे हैं। लेकिन ये बहुत पुराने नहीं हैं। हाँ, प्रयाग या इलाहाबाद और पटना जिसका पुराना नाम पाटलिपुत्रा था कुछ पुराने हैं।

इसी तरह चीन में भी पुराने शहर हैं।

27
रचनाएँ
पिता के पत्र पुत्री के नाम- जवाहरलाल नेहरू
0.0
आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसमें अपनी एकलौती बेटी इंदिरा नेहरू का जिक्र किया था। जिसका सारांश इस प्रकार है- एक खत एकाएक खत्म हो जाता है। गर्मी का मौसम खत्म होता है और इंदिरा पहाड़ से उतर आई। फिर ऐसे खत लिखने का मौका मुझे नहीं मिला। उसके बाद के साल वह पहाड़ नहीं गई और दो साल बाद 1630 में मुझे नैनी की जो पहाड़ नहीं है, यात्रा करनी पड़ी। नैनी जेल में कुछ और पत्र मैंने इंदिरा को लिखे लेकिन वे भी अधूरे रह गए और भौर छोड़ दिया गया। ये नए खत इस किताब में शामिल नहीं है।
1

पिता के पत्र पुत्री के नाम

2 अक्टूबर 2021
2
3
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61580f00a9e73b20b620

2

संसार पुस्तक है- नेहरू/ प्रेमचंद

26 अक्टूबर 2021
2
1
0

<p>जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश क

3

शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया - जवाहरलाल नेहरू

26 अक्टूबर 2021
2
0
0

<p>अपने पहले पन्‍ने में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मा

4

जमीन कैसे बनी - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>तुम जानती हो कि जमीन सूरज के चारों तरफ घूमती है और चाँद जमीन के चारों तरफ घूमता है। शायद तुम्हें

5

जानवर कब पैदा हुए - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
2
1
0

<p>हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होनेवाले पौधे दुनिया की जानदार च

6

आदमी कब पैदा हुआ- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>मैंने तुम्हें पिछले खत में बतलाया था कि पहले दुनिया में बहुत नीचे दरजे के जानवर पैदा हुए और धीरे-

7

शुरू के आदमी- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
2
0
0

<p>मैंने अपने पिछले खत में लिखा था कि आदमी और जानवर में सिर्फ अक्ल का फर्क है। अक्ल ने आदमी को उन बड

8

तरह- तरह की कौमें क्योंकर बनीं- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>अपने पिछले खत में मैंने नए पत्थर-युग के आदमियों का जिक्र किया था जो खासकर झीलों के बीच में मकानों

9

आदमियों की कौमें और जबानें- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुर

10

जबानों का आपस में रिश्ता- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>हम बतला चुके हैं कि आर्य बहुत-से मुल्कों में फैल गए और जो कुछ भी उनकी जबान थी उसे अपने साथ लेते ग

11

सभ्यता क्या है?- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहि

12

जातियों का बनना- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>मैंने पिछले खतों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिल

13

मजहब की शुरुआत और काम का बंटवारा- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
0
0
0

<p>पिछले खत में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने जमाने में आदमी हर एक चीज से डरता था और खयाल करता थ

14

खेती से पैदा हुई तब्दीलियां- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>अपने पिछले खत में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी

15

खानदान का सरगना कैसे बना- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>मुझे भय है कि मेरे खत कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब जिंदगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज

16

सरगना का इख्तियार कैसे बढ़ा- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
2
1
1

<p>मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुजुर्गों का हाल तुम्हें रूखा न मालूम होता होगा।</p> <p>

17

सरगना राजा हो गया- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>बूढ़े सरगना ने हमारा बहुत-सा वक्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फुर्सत पा जाएंगे या यों कहो उसका

18

शुरू का रहन-सहन- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>सरगनों और राजाओं की चर्चा हम काफी कर चुके। अब हम उस जमाने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंग

19

पुरानी दुनिया के बडे़-बड़े शहर- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>मैं लिख चुका हूँ कि आदमियों ने पहले-पहल बड़ी-बड़ी नदियों के पास और उपजाऊ घाटियों में बस्तियाँ बना

20

मिस्र और क्रीट- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>पुराने जमाने में शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े

21

चीन और हिंदुस्तान- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>हम लिख चुके हैं कि शुरू में मेसोपोटैमिया, मिस्र और भूमध्‍य सागर के छोटे-से टापू क्रीट में सभ्यता

22

समुद्री सफर और व्यापार- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
1
1
1

<p>फिनीशियन भी पुराने जमाने की एक सभ्य जाति थी। उसकी नस्ल भी वही थी जो यहूदियों और अरबों की है। वे ख

23

भाषा, लिखावट और गिनती- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
3
0
0

<p>हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही जिक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है।

24

आदमियों के अलग-अलग दरजे- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>लड़के, लड़कियों और सयानों को भी इतिहास अकसर एक अजीब ढंग से पढ़ाया जाता है। उन्हें राजाओं और दूसरे

25

राजा, मंदिर और पुजारी- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>हमने पिछले खत में लिखा था कि आदमियों के पाँच दरजे बन गए। सबसे बड़ी जमात मजदूर और किसानों की थी। क

26

पीछे की तरफ एक नजर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>तुम मेरी चिट्ठियों से ऊब गई होगी! जरा दम लेना चाहती होगी। खैर, कुछ अरसे</p> <p>तक मैं तुम्हें नई

27

फॉसिल और पुराने खंडहर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
5
1
0

<p>मैंने अरसे से तुम्हें कोई खत नहीं लिखा। पिछले दो खतों में हमने उस पुराने जमाने पर एक नजर डाली थी

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए