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खानदान का सरगना कैसे बना- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021

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मुझे भय है कि मेरे खत कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब जिंदगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने जमाने में लोगों की जिंदगी बहुत सादी थी और अब हम उस जमाने पर आ गए हैं जब जिंदगी पेचीदा होनी शुरू हुई। अगर हम पुरानी बातों को जरा सावधानी के साथ जाँचें और उन तब्दीलियों को समझने की कोशिश करें जो आदमी की जिंदगी और समाज में पैदा होती गईं, तो हमारी समझ में बहुत-सी बातें आ जाएँगी। अगर हम ऐसा न करेंगे तो हम उन बातों को कभी न समझ सकेंगे जो आज दुनिया में हो रही हैं। हमारी हालत उन बच्चों की-सी होगी जो किसी जंगल में रास्ता भूल गए हों। यही सबब है कि मैं तुम्हें ठीक जंगल के किनारे पर लिए चलता हूँ ताकि हम इसमें से अपना रास्ता ढूँढ़ निकालें।

तुम्हें याद होगा कि तुमने मुझसे मसूरी में पूछा था कि बादशाह क्या हैं और वह कैसे बादशाह हो गए। इसलिए हम उस पुराने जमाने पर एक नजर डालेंगे जब राजा बनने शुरू हुए। पहले-पहल वह राजा न कहलाते थे। अगर उनके बारे में कुछ मालूम करना है तो हमें यह देखना होगा कि वे शुरू कैसे हुए।

मैं जातियों के बनने का हाल तुम्हें बतला चुका हूँ। जब खेती-बारी शुरू हुई और लोगों के काम अलग-अलग हो गए तो यह जरूरी हो गया कि जाति का कोई बड़ा-बूढ़ा काम को आपस में बाँट दे। इसके पहले भी जातियों में ऐसे आदमी की जरूरत होती थी जो उन्हें दूसरी जातियों से लड़ने के लिए तैयार करे। अक्सर जाति का सबसे बूढ़ा आदमी सरगना होता था। वह जाति का बुजुर्ग कहलाता था। सबसे बूढ़ा होने की वजह से यह समझा जाता था कि वह सबसे ज्यादा तजरबेदार और होशियार है। यह बुजुर्ग जाति के और आदमियों की ही तरह होता था। वह दूसरों के साथ काम करता था और जितनी खाने की चीजें पैदा होती थीं वे जाति के सब आदमियों में बाँट दी जाती थीं। हर एक चीज जाति की होती थी। आजकल की तरह ऐसा न होता था कि हर एक आदमी का अपना मकान और दूसरी चीजें हों और आदमी जो कुछ कमाता था वह आपस में बाँट लिया जाता था क्योंकि वह सब जाति का समझा जाता था। जाति का बुजुर्ग या सरगना इस बाँट-बखरे का इंतजाम करता था।

लेकिन तब्दीलियाँ बहुत आहिस्ता-आहिस्ता होने लगीं। खेती के आ जाने से नए-नए काम निकल आए। सरगना को अपना बहुत सा वक्त इंतजाम करने में और यह देखने में कि सब लोग अपना-अपना काम ठीक तौर पर करते हैं या नहीं, खर्च करना पड़ता था। धीरे-धीरे सरगना ने जाति के मामूली आदमियों की तरह काम करना छोड़ दिया। वह जाति के और आदमियों से बिल्कुल अलग हो गया। अब काम की बँटाई बिल्कुल दूसरे ढंग की हो गई। सरगना तो इंतजाम करता था और आदमियों को काम करने का हुक्म देता था और दूसरे लोग खेतों में काम करते थे, शिकार करते थे या लड़ाइयों में जाते थे और अपने सरगना के हुक्मों को मानते थे। अगर दो जातियों में लड़ाई ठन जाती तो सरगना और भी ताकतवर हो जाता क्योंकि लड़ाई के जमाने में बगैर किसी अगुआ के अच्छी तरह लड़ना मुमकिन न था। इस तरह सरगना की ताकत बढ़ती गई।

जब इंतजाम करने का काम बहुत बढ़ गया तो सरगना के लिए अकेले सब काम मुश्किल हो गया। उसने अपनी मदद के लिए दूसरे आदमियों को लिया। इंतजाम करनेवाले बहुत-से हो गए। हाँ, उनका अगुआ सरगना ही था। इस तरह जाति दो हिस्सों में बँट गई, इंतजाम करनेवाले और मामूली काम करनेवाले। अब सब लोग बराबर न रहे। जो लोग इंतजाम करते थे उनका मामूली मजदूरों पर दबाव होता था।

अगले खत में मैं दिखाऊँगा कि सरगना का अधिकार क्योंकर बढ़ा।


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रचनाएँ
पिता के पत्र पुत्री के नाम- जवाहरलाल नेहरू
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आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसमें अपनी एकलौती बेटी इंदिरा नेहरू का जिक्र किया था। जिसका सारांश इस प्रकार है- एक खत एकाएक खत्म हो जाता है। गर्मी का मौसम खत्म होता है और इंदिरा पहाड़ से उतर आई। फिर ऐसे खत लिखने का मौका मुझे नहीं मिला। उसके बाद के साल वह पहाड़ नहीं गई और दो साल बाद 1630 में मुझे नैनी की जो पहाड़ नहीं है, यात्रा करनी पड़ी। नैनी जेल में कुछ और पत्र मैंने इंदिरा को लिखे लेकिन वे भी अधूरे रह गए और भौर छोड़ दिया गया। ये नए खत इस किताब में शामिल नहीं है।
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पिता के पत्र पुत्री के नाम

2 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61580f00a9e73b20b620

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संसार पुस्तक है- नेहरू/ प्रेमचंद

26 अक्टूबर 2021
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<p>जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश क

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शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया - जवाहरलाल नेहरू

26 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पहले पन्‍ने में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मा

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जमीन कैसे बनी - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>तुम जानती हो कि जमीन सूरज के चारों तरफ घूमती है और चाँद जमीन के चारों तरफ घूमता है। शायद तुम्हें

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जानवर कब पैदा हुए - जवाहरलाल नेहरू

27 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होनेवाले पौधे दुनिया की जानदार च

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आदमी कब पैदा हुआ- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने तुम्हें पिछले खत में बतलाया था कि पहले दुनिया में बहुत नीचे दरजे के जानवर पैदा हुए और धीरे-

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शुरू के आदमी- नेहरू/ प्रेमचंद

28 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने अपने पिछले खत में लिखा था कि आदमी और जानवर में सिर्फ अक्ल का फर्क है। अक्ल ने आदमी को उन बड

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तरह- तरह की कौमें क्योंकर बनीं- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने नए पत्थर-युग के आदमियों का जिक्र किया था जो खासकर झीलों के बीच में मकानों

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आदमियों की कौमें और जबानें- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुर

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जबानों का आपस में रिश्ता- नेहरू/ प्रेमचंद

29 अक्टूबर 2021
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<p>हम बतला चुके हैं कि आर्य बहुत-से मुल्कों में फैल गए और जो कुछ भी उनकी जबान थी उसे अपने साथ लेते ग

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सभ्यता क्या है?- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहि

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जातियों का बनना- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>मैंने पिछले खतों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिल

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मजहब की शुरुआत और काम का बंटवारा- नेहरू/ प्रेमचंद

30 अक्टूबर 2021
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<p>पिछले खत में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने जमाने में आदमी हर एक चीज से डरता था और खयाल करता थ

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खेती से पैदा हुई तब्दीलियां- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>अपने पिछले खत में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी

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खानदान का सरगना कैसे बना- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे भय है कि मेरे खत कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब जिंदगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज

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सरगना का इख्तियार कैसे बढ़ा- नेहरू/ प्रेमचंद

1 नवम्बर 2021
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<p>मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुजुर्गों का हाल तुम्हें रूखा न मालूम होता होगा।</p> <p>

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सरगना राजा हो गया- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>बूढ़े सरगना ने हमारा बहुत-सा वक्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फुर्सत पा जाएंगे या यों कहो उसका

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शुरू का रहन-सहन- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>सरगनों और राजाओं की चर्चा हम काफी कर चुके। अब हम उस जमाने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंग

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पुरानी दुनिया के बडे़-बड़े शहर- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>मैं लिख चुका हूँ कि आदमियों ने पहले-पहल बड़ी-बड़ी नदियों के पास और उपजाऊ घाटियों में बस्तियाँ बना

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मिस्र और क्रीट- नेहरू/ प्रेमचंद

3 नवम्बर 2021
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<p>पुराने जमाने में शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े

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चीन और हिंदुस्तान- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम लिख चुके हैं कि शुरू में मेसोपोटैमिया, मिस्र और भूमध्‍य सागर के छोटे-से टापू क्रीट में सभ्यता

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समुद्री सफर और व्यापार- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>फिनीशियन भी पुराने जमाने की एक सभ्य जाति थी। उसकी नस्ल भी वही थी जो यहूदियों और अरबों की है। वे ख

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भाषा, लिखावट और गिनती- नेहरू/ प्रेमचंद

6 नवम्बर 2021
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<p>हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही जिक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है।

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आदमियों के अलग-अलग दरजे- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>लड़के, लड़कियों और सयानों को भी इतिहास अकसर एक अजीब ढंग से पढ़ाया जाता है। उन्हें राजाओं और दूसरे

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राजा, मंदिर और पुजारी- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>हमने पिछले खत में लिखा था कि आदमियों के पाँच दरजे बन गए। सबसे बड़ी जमात मजदूर और किसानों की थी। क

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पीछे की तरफ एक नजर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>तुम मेरी चिट्ठियों से ऊब गई होगी! जरा दम लेना चाहती होगी। खैर, कुछ अरसे</p> <p>तक मैं तुम्हें नई

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फॉसिल और पुराने खंडहर- नेहरू/ प्रेमचंद

10 नवम्बर 2021
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<p>मैंने अरसे से तुम्हें कोई खत नहीं लिखा। पिछले दो खतों में हमने उस पुराने जमाने पर एक नजर डाली थी

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