फुटपाथ पर बैठा दस वर्ष का बच्चा, बड़े कौतुहल से किसी की प्रतीक्षा कर रहा है घडी नहीं है उसके पास, फिर भी एक एक क्षण गिण रहा है आशा भरे नयनो से, चारो और देख रहा है अपना मन पसंद उपहार मिलने की उम्मीद में, दिन भर से यही संता की बाट जो रहा है किसी ने बताया उसको, की आज संता सबको मन पसंद उपहार दे रहा ह
भव सागर, यह संसार है जीवन, सागर मझधार हैघोर, गहन विपदा है घेरेजीवन में है, तेेरे और मेरे झंझावत ढेरों पारावार हैलहरों से उठती, हुँकार है आशा और निराशा इसमेंजीवन की दो पतवार है निराशा से होता कहाँ ?जन-जीवन का उद्धार हैआशा से ही लगती यहाँनौका तूफानों से पार हैभव-स
सुरों की मल्लिका, मशहूर गायिका आशा भोसले का कल जन्मदिन था , महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव सांगली में 8 सितम्बर 1933 को जन्मी आशा भोसले को शायद कभी इस बात का अंदाजा भी नही रहा होगा कि वो इतनी बड़ी गायिका बनेगी और सारी दुनिया उनको सलाम करेगी । आशा नौ साल की थीं, जब परिवार पुणे से बंबई आ गया. उन्होंने
जीवन में घोर निराशा हो काले बादल जब मँडरायेंथक हार के जब हम बैठ गयेंकोई मन्जिल ना मिल पायेतब आती धीरे से चलतीछोटी -छोटी , हल्की-हल्की मैं आशा हुँ , तेरे कल की।। रात्री का विकट अंधेरा हो कुछ भी नजर ना
काश भ्रष्टाचार न होता ,फिर भलों का दिल न रोताकानून ढंग से काम करता, काश भ्रष्टाचार न होता। लोकतंत्र भ्रष्ट न होता, रिश्वत का तो नाम न होता संसद ढंग से काम करता काश भ्रष्टाचार न होता।होता चहुँ और निष्पक्ष विकासफैलता स्वतं
हे ! वरदानीतुम आनबसो !मेरे अंदर वो प्राण भरो ! कायर होता,मैंमन ही मनवीर सा तुमउत्कर्ष भरो ! हे ! मानव रक्षकअभिमानीविश्वास भरो !आभास भरो ! चित्त को पावन अब कर दो ! तुम अमृत वाणी ! कुछ कहके तुमजीवन का मार्गप्रशस्त्र करो !हे ! वरदानीतुम आनबसो !मेरे अ