भारत सरकार ने
8 नवम्बर 2016 को रात 8 बजे
हज़ार पांच सौ के नोटों को अमान्य किये जाने की घोषणा की
अगले चार घंटों में देश एटीएम के आगे कतारों में खड़ा हो गया
सयाने लोग सोना खरीदते रहे रातभर
बेहिसाबी संपत्ति वाले जागते रहे रातभर
साधनहीन लोग बेखबर सोते रहे रातभर
घोषणा से पहले
सरकारी नज़र से बचाकर
सौदा करने वाले रोते रहे रातभर
अगले दिन बैंक खुले
लेकिन जनता के लिए नहीं
एटीएम बंद थे नौ दस के लिए
सुबह हुई तो जनता को
कुछ और नियमों की सरकारी बरसात मिली
कुछ चेहरे मायूस थे
कुछ की रंगत थी खिली-खिली
जब देश खड़ा था बैंकों के आगे कतारों में
नोटबंदी से मरने वालों की ख़बरें आयीं अख़बारों में
प्रधानमन्त्री तीन दिन जापान में
अफ़रा-तफ़री हिंदुस्तान में
जागा विपक्ष
निकाली आरोपों की तेज़ धार तलवार
सरकार पर होने लगे वार पर वार
रैलियां कर प्रधान सेवक(?) ने
जनता का उड़ाया मज़ाक
कालेधन की कहीं सगाई
कहीं चल रहा तलाक़
मीडिया दिखा रहा है
ख़बरें ज़्यादा सरकार के लिए कम विपक्ष के लिए
लेकिन बहुत कम जनता के लिए
पत्रकार अब चैनलों के मालिक हो गए हैं
पीड़ित-शोषित का दर्द भूलकर
बेशर्मी की चादर ओढ़ सो गए हैं
एक अखबार खबर लाया......
गुजराती भाषा के अखबार में छपी खबर-
1000 और 500 के नोट बंद होंगे.......01.04.2016
सरकार का दावा है इस गुप्त योजना पर पिछले दस माह से काम चल रहा था
अब एक चैनल ने उस अखबार से पूछा -
यह माज़रा क्या है...?
जवाब आया ......
वह तो अपैल-फूल था.......
हाँ भाई गुजरातियों के लिए इशारा था
शेष भारत के लिए "अपैल-फूल".............?