दिल्ली में छायी प्रदूषित धुंध ने
जीना मुहाल कर दिया
जागरूक लोगों ने
पर्यावरण -संरक्षण का ख्याल कर लिया
नेताओं के बयान आये
फ़ौरी सरकारी समाधान आये
राजनीति की बिसात बिछी
दोषारोपण का दौर आरम्भ हुआ
ज़हरीली हवा में श्वांस लेने वालों की
तकलीफ़ों का अनचाहा फैलाव प्रारम्भ हुआ
चतुर-चालाक लोग व्यावसायिक उपाय लेकर आ गए
समझदार लोग अदालत में गुहार लेकर आ गए
देश के पर्यावरण मंत्री ने कहा
दिल्ली में प्रदूषण का पड़ोसी राज्यों का भाग मात्र बीस प्रतिशत है शेष दिल्ली का खुद है. ....
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा-
दिल्ली में प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्य ज़िम्मेदार हैं. ..........
एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा
दिल्ली में सत्तर प्रतिशत प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा ज़िम्मेदार हैं ...
अब सवाल यह है कि
जनता किस पर विश्वास करे ............???
सर्वोच्च न्यायलय ने सरकारों से कहा
प्रदूषण -नियंत्रण पर न्यूनतम -साझा- कार्यक्रम पेश करें ....
किलकारियां क़ैद न हों मासूमों की
बुढ़ापे में चैन की सांस दूभर न हो
प्रकृति के संगीत की स्वर लहरियां
अतीत की धरोहर न हो
हरीतिमाविहीन कोई भूधर न हो
मिलाओ हाथ से हाथ अभी वक़्त है
संभलने का मौक़ा आज गंवाया
तो फिर कुदरत का क़ानून बहुत सख़्त है
भौतिकता के भयावह रूप की
यह एक छोटी -सी झलक है
आदमी ने आदमी के लिए रची विनाश-लीला की
साफ़- साफ़ सुनी जाने वाली धमक है. .................
शब्द-सृजन:आसपास
हमारे आसपास जो कुछ घटित हो रहा है वह हमें प्रभावित किये बिना नहीं रहता .हम चाहें तो वस्तुस्थिति से आँखें चुरा सकते हैं. शब्द जब विस्फोट की तरह हमारे भीतर से बाहर आता है तो गूढ़ अर्थों से लबरेज़ होता है.
हमारे आसपास जो कुछ घटित हो रहा है वह हमें प्रभावित किये बिना नहीं रहता .हम चाहें तो वस्तुस्थिति से आँखें चुरा सकते हैं. शब्द जब विस्फोट की तरह हमारे भीतर से बाहर आता है तो गूढ़ अर्थों से लबरेज़ होता है.