महकती
ख़ुशी से रहती है,
ये ज़ंजीर न बंधन के
चहकती
ख़ुशी से रहती है।
फूल खिलते हैं
हसीं रुख़ देने
नज़ारों को,
तितलियाँ
आ जाती हैं
बनाने ख़ुशनुमा
बहारों को।
कभी ढलकता है
कजरारी आँख से
उदास काजल,
कहीं रुख़ से
सरक जाता है
भीगा आँचल।
परिंदे भी आते हैं
ख़ामोश चमन में
पयाम-ए-अम्न लेकर,
न लौटा कभी
गुलिस्तान से
भारी मन लेकर।
#रवीन्द्र सिंह यादव
शब्दार्थ / WORD MEANINGS
सुगंध = महक, ख़ुशबू / FRAGRANCE
सुमन = पुष्प , फूल / FLOWER
ज़ंजीर= साँकल ,शृंखला / CHAIN
,हसीं = सुन्दर ,ख़ूबसूरत / BEAUTIFUL
कजरारी आँख = आँख जिसमें काजल लगा हो , काजलयुक्त आँख / EYE WITH KOHL
रुख़ = चेहरा ,दृटिकोण , चेहरे पर नज़र आने वाला भाव, दिशा / FACE , APPEARANCE, DIRACTION
चमन = बाग़/ FLOWER GARDEN
पयाम-ए-अम्न= शान्ति का सन्देश / MESSAGE OF PEACE
गुलिस्तान= बाग़ / FLOWER GARDEN