मदारी फिर घूम रहा है
पिटारा लेकर
बातें दोहराएगा
चटखारा लेकर
मज़मा लगाकर चुरा लेगा
आँखों का सुरमा
बताएगा पते की बात
कह उठेंगे हाय अम्मा
बनाएगा अपने और अपनों के काम
मन रंजित कर
चकमा देकर उगाहेगा दाम
लुटा-पिटा आदमी फिर आगे बढ़ जायेगा.
घर जाकर क्या-क्या बताएगा ..............?
शब्द-सृजन:आसपास
हमारे आसपास जो कुछ घटित हो रहा है वह हमें प्रभावित किये बिना नहीं रहता .हम चाहें तो वस्तुस्थिति से आँखें चुरा सकते हैं. शब्द जब विस्फोट की तरह हमारे भीतर से बाहर आता है तो गूढ़ अर्थों से लबरेज़ होता है.
हमारे आसपास जो कुछ घटित हो रहा है वह हमें प्रभावित किये बिना नहीं रहता .हम चाहें तो वस्तुस्थिति से आँखें चुरा सकते हैं. शब्द जब विस्फोट की तरह हमारे भीतर से बाहर आता है तो गूढ़ अर्थों से लबरेज़ होता है.